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बार-बार गर्भपात कराने के शारीरिक नुकसान
बहुत से लोगों को मालूम नहीं है कि लगातार गर्भपात कराना जीवन के लिए खतरनाक है। और लगातार गर्भपात कराते रहने से भविष्य में होने वाली प्रेग्नेंसी कष्टदायक हो सकती हैं। कुछ खोजों से पता चला है कि ज्यादा बार गर्भपात कराते रहने से महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा से संबन्धित समस्याएँ, स्टेर्न पेलविक इन्फ़्लामेट्री डीजीज, गर्भपात का खतरा और समय पूर्व बच्चे का जन्म आदि समस्याएँ पैदा हो सकती हैं। हम आपको बता रहे हैं कि बार-बार गर्भपात कराने के क्या शारीरिक नुकसान हैं।
गर्भपात के बाद होने वाली समस्याएं
ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं ज्यादा गर्भपात कराती हैं उनमें अवधि पूर्व जन्म या शिशु का वजन बहुत कम होना आदि परेशानियाँ पैदा होती हैं। जिन महिलाओं ने तीन या इससे अधिक बार गर्भपात कराया है उनकी गर्भाशय ग्रीवा के लिए खतरा है। इसके अलावा इससे कुछ समय बाद अपने आप गर्भपात भी हो सकता है।
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गर्भपात की जटिलताएँ प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं और समय पूर्ण जन्म की समस्याएँ भी पैदा कर सकती हैं। बहुत से लोगों को आजकल बांझपन, अस्थानिक गर्भावस्था या बच्चे के जन्म की परेशानी आदि समस्याएँ उठानी पड़ती हैं। बाझपन से तात्पर्य है कि 12 माह की कोशिशों के बावजूद भी बच्चा नहीं लगना। सामान्य रूप से महिलाओं में बांझपन होने के कई कारण हैं लेकिन बहुत से डॉक्टर्स ऑपरेशन से गर्भपात कराने को इसका प्रमुख कारण मानते हैं। हम बता रहे हैं कुछ कारण जिनसे पता चलता है कि गर्भपात शरीर के लिए किस प्रकार खतरनाक है...
बच्चा गिरना
कई बार मेडिकल रूप से गर्भपात कराने से भी बच्चा गिर जाता है। यदि किसी कारण से गर्भाशय ग्रीवा क्षतिग्रस्त हो जाती है तो आगे गर्भपात में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा इससे गर्भपात भी हो सकता है। यदि गर्भपात के दौरान बच्चेदानी क्षतिग्रस्त हो जाती है तो यह बच्चे के लिए भी खतरनाक है।
समय पूर्व प्रसव
ज्यादा बार गर्भपात कराने का यह एक मुख्य प्रभाव है। यह खतरनाक है क्यों कि इससे समय पूर्व प्रसव के अवसर बढ़ जाते हैं और गर्भ नाल इससे गलत रूप से बढ़ जाती है।
अस्थानिक गर्भावस्था
बार-बार गर्भपात कराने से अस्थानिक गर्भधारण का खतरा पैदा होता है। अस्थानिक गर्भावस्था ना केवल जीवन के खतरनाक है बल्कि इससे प्रजनन क्षमता भी कम हो सकती है।
पेडू के सूजन की बीमारी (पीआईडी)
पेडू के सूजन की बीमारी भी बार-बार गर्भपात से होती है। पीआईडी एक खतरनाक बीमारी है जो कि बांझपन का कारण भी बन सकती है। यह फैलोपियन ट्यूब के ऊतकों पर घाव पैदा कर सकती है जिससे आगे चलकर प्रजनन क्षमता में कमी होती है। कभी कभी पीआईडी गर्भपात या अबॉरशन के बाद भी हो सकती है। पीआईडी है से ग्रसित महिलाओं में अस्थानिक गर्भावस्था का खतरा भी बढ़ जाता है।
प्रजनन क्षमता में कमी
बहुत सी महिलाओं को लगता है कि गर्भपात के बाद गर्भ धारण की समस्या होती है और उन्हें महसूस होता है कि वे जब चाहें तब गर्भ धारण नहीं कर पाती हैं। वास्तविकता में इसका कारण गर्भपात के दौरान गर्भाशय में किसी खुरचन या फैलाव के कारण असामान्य घाव होना है।
एन्डोमिट्राइटिस(गर्भाशय की बीमारी जिसमें गर्भ धारण नहीं हो पाता है)
ज्यादा गर्भपात कराने से यह होता है। अबॉरशन के बाद यह समस्या होती है। 20 से 29 वर्ष की महिलाएं खास तौर पर इसका शिकार ज्यादा होती हैं।
गर्भाशय में छेद होना
गर्भपात कराने वाली 2 से 3 प्रतिशत मरीजों में यह परेशानी होती है। जो महिलाएं पहले बच्चे को जन्म दे चुकी हैं उनमें यह ज्यादा होता है। इस समस्या से ग्रसित मरीजों में कई बार गर्भपात के दौरान सामान्य एनेस्थेसिया भी देना पड़ता है।
संक्रमण
बार बार गर्भपात कराने से महिलों में स्वास्थ्य से संबन्धित समस्याएँ पैदा होती हैं जैसे कि ज्यादा रक्तस्राव, संक्रमण, ऐंठन, एनेस्थेसिया से संबन्धित जटिलताएँ, एम्बोलिज़्म, गर्भाशय में सूजन, एंडोटोक्सिक शॉक, गर्भाशय ग्रीवा का चोटिल होना, रक्तस्राव आदि। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं ज्यादा गर्भपात कराती हैं उनमें जटिलताएँ बढ़ जाती हैं। इसके अलावा दीर्घकालिक पेट दर्द, जलन, उल्टी, आंत में सूजन आदि छोटी-मोटी जटिलताएँ भी पैदा होती हैं।