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बिना एबॉर्शन के कैसे करें एक महीने की प्रेगनेंसी को समाप्त
कई बार आपके शरीर में भ्रूण का सही और स्वस्थ विकास नहीं हो पाता। ऐसी परिस्थितियों में ये सोचना ज़रूरी हो जाता है कि प्रेगनेंसी के एक महीने के भीतर ही उसे कैसे रोक दिया जाए।
कई बार गर्भनिरोधक गोलियों के बावजूद भी प्रेगनेंसी हो जाती है।उसके बाद प्रेगनेंसी को रोकने का एक हो तरीका बचता है, एबॉर्शन।
एबॉर्शन
हर
किसी
का
बहुत
ही
निजी
मामला
है।
एबॉर्शन
का
निर्णय
लेना
ही
एक
बहुत
मुश्किल
काम
है।
भ्रूण
के
भीतर
जीवन
आने
के
पहले
प्रेगनेंसी
को
ख़त्म
करने
की
प्रक्रिया
को
एबॉर्शन
कहते
हैं।
एबॉर्शन
का
निर्णय
लेना
आसान
नहीं
होता,
वो
भी
तब
जब
प्रेगनेंसी
को
एक
महीने
हो
चुके
है
क्योंकि
इससे
औरत
के
स्वास्थ्य
पर
भी
बुरा
असर
पड़ता
है।
ऐसे आहार जिनसे होता है प्राकृतिक गर्भपात
अगर आप एबॉर्शन नहीं करवाना चाहती हैं तो कुछ ऐसे विकल्प हैं जो प्रेगनेंसी रोकने में आपकी मदद कर सकते हैं। यहां हमने कुछ ऐसे ही विकल्प बता रहे हैं जो एक महीने बाद प्रेगनेंसी रोकने में आपके काम आएंगे।
चिकित्सकीय
विकल्प
ये
विकल्प
एक
तरह
का
एबॉर्शन
ही
है
जो
दवाइयों
की
मदद
से
किया
जाता
है।
भ्रूण
के
विकास
को
दवाइयों
से
पूरी
तरह
रोक
दिया
जाता
है।
मिफप्रिस्टोन
और
मेथोट्रेक्सेट
सबसे
ज्यादा
इस्तेमाल
की
जाने
वाली
दवाइयां
हैं।
मिफप्रिस्टोन
प्रोजेस्टेरोन
के
साथ
मिलकर
भ्रूण
को
नष्ट
कर
देती
है।
मेथोट्रेक्सेट
एक
ज़हरीला
केमिकल
है
जो
भ्रूण
की
कोशिकाओं
पर
हमला
करता
है
और
एबॉर्शन
कर
देता
है।
दोनों
ही
परिस्थितियों
में
मिसोप्रोस्टोल
भी
साथ
में
दिया
जाता
है
जो
भ्रूण
की
मरी
हुई
कोशिकाओं
को
बाहर
निकाल
दे।
खारे
पानी
के
प्रयोग
की
प्रक्रिया
इस
तरीके
में,
गर्भ
में
खारे,
नमक
घुले
पानी
के
इंजेक्शन
लगाए
जाते
हैं।
नमक
भ्रूण
के
विकास
में
ज़हर
का
काम
करता
है।इस
वजह
से
भ्रूण
नष्ट
हो
जाता
है।
आखिर क्यूं करवाएं जाते हैं गर्भपात
प्रोस्टाग्लैंडीन का प्रयोग
इस तरीके में गर्भ में कुछ ख़ास होर्मोन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। जिसकी वजह से समय से पहले ही औरत को लेबर पेन होता है और इस वजह से भ्रूण नष्ट हो जाता है।
रासायनिक तरीका
इस तरीके में हम युग्मनज (जाईगोट) को गर्भाशय की दीवार के भीतर भेज देते हैं। इस वजह से प्रेगनेंसी रुक जाती है। इस संयोजन के लिए जिस तरीके का इस्तेमाल किया जाता है वही तरीका एबॉर्शन के लिए इस्तेमाल होता है। सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला तरीका है नुवा रिंग- वजाइनल रिंग और ओर्थो-एवरा गर्भनिरोधक पैच।इन तरीकों में गोनाडोट्रोपिन होर्मोन का प्रयोग होता है जो डिम्ब (ऑव्यूल)के उत्सर्जन में मदद करता है।
अब यदि युग्मनज गर्भाशय की दीवार पर है तो गर्भ बन ही नहीं पाएगा। गर्भाशय ग्रीवा के श्लेम यानी लसलसे पदार्थ की वजह से शुक्राणु गर्भाशय में दाखिल नहीं हो पाएंगे। इस वजह से गर्भाशय की दीवार पतली हो जाएगी।इस तरीका का इस्तेमाल सिर्फ तभी करना चाहिए जब बाकी कोई भी तरीका कारगर साबित ना हो रहा हो।
हर्बल एबॉर्शन
इस
प्रक्रिया
में
बहुत
सारे
हानिकारक
और
असुरक्षित
तरीकों
से
प्रेगनेंसी
रोकी
जाती
है।ये
एक
कठिन
तरीका
है
और
इसका
प्रयोग
भी
ना
के
बराबर
होता
है।
इसमें
जड़ी-बूटियों
की
मदद
से
प्रेगनेंसी
रोकी
जाती
है।
यैरो
नाम
का
पौधा
जिसका
वैज्ञानिक
नाम
Achillea
millefolium
है,
भ्रूण
को
नष्ट
करने
के
लिए
इस्तेमाल
किया
जाता
है।
इस
पौधे
की
एक
ख़ास
खुराक
लेने
से
भ्रूण
भीतर
ही
भीतर
मर
जाता
है।ये
बहुत
ही
खतरनाक
तरीका
है।
प्रेगनेंसी
के
एक
महीने
बाद
इसे
किसी
भी
हालत
में
प्रयोग
में
नहीं
लाना
चाहिए।किसी
भी
तरीके
को
अपनाने
से
पहले
अपने
दिमाग
को
किसी
भी
दुष्प्रभाव
के
लिए
तैयार
कर
लेना
बेहतर
है।
गोलियों का सेवन
ये ऐसी गोलियां होती हैं जिनका सेवन भ्रूण के विकास को रोकने के लिए एक निश्चत समय के भीतर कर लिया जाना चाहिए।ये गोलियां आखिरी पीरियड्स के 63 दिनों से लेकर 9 हफ़्तों के बीच खा लेनी चाहिए। इस गोलियों की एक निश्चित खुराक होती है। इन्हें एक निश्चित अवधि के लिए खाना चाहिए।उस अवधि के पूरा हो जाने के बाद प्रेगनेंसी ख़त्म हो जाती है।ये गोलियां बहुत प्रभावी होती हैं और इनकी सफलता का प्रतिशत 98% है।
गर्भपात करवाने से पहले पता कर लें ये चीजें
बार-बार गर्भपात कराने के शारीरिक नुकसान