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जानिए कब पहली बार गर्भ में भ्रूण का दिल धड़कता है?
जब अल्ट्रासाउंड के मॉनिटर पर बच्चे का दिल दिखाई देता है और धड़कनें चलती रहती हैं। लेकिन ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकती।
आप बच्चे को जन्म देने वाली हैं! अधिकतर महिलाओं के लिए मातृत्व का ये एहसास पहली बार अल्ट्रा साउंड के साथ होता है।
जब अल्ट्रासाउंड के मॉनिटर पर बच्चे का दिल दिखाई देता है और धड़कनें चलती रहती हैं। लेकिन ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनकी आप कल्पना भी नहीं कर सकती।
भ्रूण की हार्टबीट, प्रिग्नेंसी, जन्म और बाद में भी आपके बच्चे के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ये अच्छी बात है कि आपके बच्चे की दिल की धड़कनों को देखने की तकनीक कई जानकारियाँ प्रदान करती है, गर्भावस्था के दौरान सब ठीक रहे और जन्मजात दिल की बीमारियों का जल्दी ही पता चल जाता है।
बच्चे का हार्ट –
शुरुआत में एक ट्यूब की संरचना का होता है जो कि एक चेम्बर्ड अंग में विकसित होता है जिससे हम वाकिफ हैं, निषेचन के कुछ दिनों बाद ही यह विकसित हो जाता है। हम इस बारे में आपको कुछ जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
बच्चे का हार्ट –
तीसरा सप्ताह: निषेचन के 22 दिन बाद भ्रूण का दिल बनना शुरू होता है, लेकिन इसकी धड़कनें सुनाई नहीं देती हैं।
पांचवा सप्ताह : भ्रूण का हार्ट चेम्बर विकसित होना शुरू होता है।
बच्चे का हार्ट –
छठा सप्ताह: हार्ट रेट 100-160 बीट्स पर मिनट (बीपीएम) हो जाती है। इस समय आप अल्ट्रासाउंड मॉनिटर पर धड़कनें देख सकते हैं।
आठवा सप्ताह: बच्चे की हार्टबीट में एक स्थिर रिदम होती है।
दसवां सप्ताह: हार्ट रेट 170 बीपीएम तक बढ़ जाती है और जन्म के समय 130 बीपीएम के लगभग स्थिर हो जाती है।
पौष्टिक खाना खाएं
बच्चे के दिल के विकास में आनुवंशिकी बड़ी भूमिका निभाती है, लेकिन आप बच्चे के स्वास्थ्य पर ध्यान दे सकती हैं इसके लिए आप फ्रेश खाना खाएं, पौष्टिक खाना खाएं, पूरी नींद लें और तनाव से दूर रहें। कुछ चीजें हैं जो आप ध्यान रखें।
फोलिक एसिड की दवाइयाँ
प्रेग्नेंसी से पहले और इसके दौरान फोलिक एसिड की दवाइयाँ लें जिससे कि दिल की बीमारियों से बचा जा सके।
ऐरोबिक एक्सर्साइज़ करें
प्रेग्नेंसी के दौरान ऐरोबिक एक्सर्साइज़ भी भ्रूण की हार्टरेट को प्रभावित करती है। अल्ट्रासाउंड तकनीक से खोजकर्ताओं इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि माध्यम और नियमित व्यायाम करने से भ्रूण की हार्टरेट कम होती है और हार्ट रेट की गतिशीलता बढ़ाती है (नर्वस सिस्टम के द्वारा हार्ट को नियंत्रित करने का माप), ये दोनों ही बच्चे के लिए लाभकारी हैं।
क्या कहता है रिसर्च
एक अन्य शोध से पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने से बच्चे के हार्ट और नर्वस सिस्टम के लिए डिलिवरी के बाद भी फायदेमंद है।
आयुर्वेद में क्या कहा गया है
आयुर्वेद में बच्चे के विकास के लिए कई ऐसे विशेष खादय पदार्थ बताए गए हैं जिनका प्रेग्नेंसी के दौरान सेवन फायदेमंद है। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी माँ और बच्चे के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए अनाज, दलहन, "फल-सब्जियां" (कद्दू, किडनी बीन्स, मटर और टमाटर), जड़ों वाली सब्जियां और कंद, दूध और दुग्ध से बने उत्पाद, मांस, जड़ी बूटियों और सुगंधित मसालों के सेवन की सलाह दी गई है।
यदि माता को डायबिटीज़ है तो
यदि माता को डायबिटीज़ है तो बच्चे को जन्मजात दिल की बीमारी होने का खतरा ज़्यादा रहता है। यदि आपको डायबिटीज़ है तो डॉक्टर से सलाह लें कि ब्लड शुगर को कैसे नियंत्रित रखें।