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7 फेरों के ये 7 वचन किस तहर हैं महिलाओं के हक में
हिंदू धर्म में विवाह के समय सात फेरों का बड़ा ही महत्व है। अगर सात फेरे ना लिये जाएं तो विवाह संपन्न नहीं माना जाता। सात फेरे के संस्कार में पवित्र अग्नि के साथ फेरे लिए जाते हैं। हर फेरे के साथ वर-वधू एक वचन लेते हैं।
सात फेरों में दूल्हा व दुल्हन दोनों से सात वचन लिए जाते हैं। यह सात फेरे ही पति-पत्नी के रिश्ते को सात जन्मों तक बांधते हैं। क्या आप जानते हैं कि विवाह के समय इन सात फेरों का महिलाओं के लिये क्या महत्व रखता है?
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लेख पढ़ते ही आपको पता चलेगा कि हिंदू धर्म में महिलाओं को कितने हक दिये गए हैं? आइये देखें-
पत्नि के बिना हर कार्य अधूरा
इस वचन में कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा या कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य करें तो इस दिन की भांति ही मुझे हमेशा अपने साथ शामिल करना। इसलिये हमेशा ध्यान रखें कि जिस धर्मानुष्ठान को पति-पत्नि दोनों मिल कर करते हैं, वही कार्य फलदायक होता है। पत्नि के बिना हर कार्य अधूरा माना जाता है।
वधू के मां-बाप का भी करें सम्मान
वधू न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने माता-पिता के लिये भी सम्मान की मांग करती है। देखा जाता है कि जब पति अपनी पत्नी से आपसी वाद-विवाद कर बैठता है तो उस स्थिति में वह अपनी पत्नि के परिवार से या तो सम्बंध कम कर देता है अथवा समाप्त कर देता है। पति को इस वचन को हमेशा ध्यान रखना चाहिये और अपनी पत्नी के परिवार वालों का सम्मान करना सीखना चाहिये।
दीर्घायु तक पति साथ निभाए
कन्या अपने होने वाले पति से वचन लेती है कि अगर आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे, तो ही मैं आपके साथ आउंगी। इससे यह समझ में आता है कि वर-वधू सुख दुख के साथ लंबे शांतिपूर्ण जीवन की कामना करते हैं।
आत्मनिर्भर हो कर ही शादी करें
यह एक ऐसा वचन है जिसके बिना शादी नहीं चल सकती। शादी चलाने के लिये रूपए-पैसों का होना बहुत जरुरी है। कन्या अपने होने वाले पति से यह वचन लेती है कि अगर वह पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होकर आर्थिक रूप से परिवारिक आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम है तो ही वह उससे शादी करने को तैयार है। इसलिये लड़कों की शादी तभी करनी चाहिये जब वह अच्छा कमाने लगें और जिम्मेदारी अपने कंधे पर लेने के लिये तैयार रहें।
पत्नी की सलाह लेना जरुरी
इस वचन में पत्नी अपने पति से मांग करती है कि अगर घर के कार्यों, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि पति उससे सलाह लेगें तो ही वह शादी करेगी। यह वचन पूरी तरह से पत्नि के अधिकारों को रेखांकित करता है।
भरी सभा में ना करें अपनी पत्नी का अपमान
हर पत्नी चाहती है कि उसका पति किसी के सामने उसका अपमान न करें। ऐसे व्यवहार से पत्नी का मन आहत होता है। इसलिये वह उससे शादी के समय अपनी इज्जत रखने का वचन लेती है।
ना डालें पराई स्त्रियों पर नज़र
आखिरी वचन में कन्या ये वर मांगती है कि आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगें और पति-पत्नि के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगें। इस वचन से कन्या अपने भविष्ट को सुरक्षित रखने की मांग करती है जिसमें कोई बुराई नहीं है।