Just In
- 3 min ago खूबसूरत स्किन की मल्लिका होती हैं ईरानी महिलाएं, ये हैं इनकी खूबसूरती के 6 राज
- 1 hr ago उन बाहरी खिड़कियों को कैसे करें साफ, जो है आपकी पहुंच से दूर
- 5 hrs ago Aaj Ka Rashifal 24th April: इन राशि वालों को मिलेगा आज भाग्य का पूरा सपोर्ट, बदलेगी इनकी जिंदगी
- 11 hrs ago Happy Birthday Sachin Tendulkar Wishes: अपने फेवरेट सचिन के 51वें जन्मदिन के मौके पर शेयर करें ये संदेश
Don't Miss
- Finance EPFO से निकाल सकते हैं चुटकियों में पैसे, जानिए कैसे निकाले पैसे
- Technology Xiaomi ने भारतीय ग्राहकों के लिए लॉन्च किए Redmi Buds 5A, AI फीचर्स की मिलेगी सुविधा
- News DC vs GT: दिल्ली-गुजरात के IPL मैच में आज कौन जीतेगा? महामुकाबले से पहले जानें हेड टू हेड रिकॉर्ड
- Movies युविका चौधरी की प्रेग्नेंसी पर प्रिंस नरूला ने लगाई मुहर? अफवाह है या सच, कर डाला खुलासा!
- Automobiles Hyundai की इस धांसू सेडान पर मिल रहा बंपर डिस्काउंट, शानदार फीचर्स और पावरफुल इंजन से है लैस
- Education MP Board Result 2024 Live: एमपीबीएसई 10वीं, 12वीं रिजल्ट शाम 4 बजे, कैसे करें रिजल्ट चेक
- Travel IRCTC का मानसखंड यात्रा टूर पैकेज, देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक मंदिरों में करें दर्शन
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
लग चुका है खरमास, इन विशेष मंत्रों के जाप से मिलेगा अद्भुत लाभ
इस वर्ष 15 दिसंबर, मंगलवार के दिन सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं। इसके साथ ही खरमास शुरू हो गया। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य भी इस अवधि में पूरी तरह से निषेध होते हैं। जनवरी में मकर संक्रांति के बाद ही खरमास महीने का समापन होगा। उस समय सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
हिंदू पंचांग के मुताबिक सूर्य जब तक धनु राशि में रहते हैं तब तक वह समय शुभ नहीं माना जाता है। हिंदू धर्म के मुताबिक खरमास के महीने में प्रातः स्नानादि के पश्चात् दिनभर भगवान विष्णु के नाम का जप करना चाहिए। खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं, मगर इस दौरान विशेष मंत्रों का जप करने से लाभ जरूर मिलता है।
1.
'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय'
2.
कौण्डिन्येन पुरा प्रोक्तमिमं मंत्र पुन: पुन:।
जपन्मासं नयेद् भक्त्या पुरुषोत्तममाप्नुयात्।।
ध्यायेन्नवघनश्यामं द्विभुजं मुरलीधरम्।
लसत्पीतपटं रम्यं सराधं पुरुषोत्तम्।।
अर्थ- इस मंत्र का मतलब है कि मंत्र जपते समय नवीन मेघश्याम दोभुजधारी बांसुरी बजाते हुए पीले वस्त्र पहने हुए श्रीराधिकाजी के सहित श्रीपुरुषोत्तम भगवान का ध्यान करना चाहिए।
3.
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।
4.
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
5.
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।