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कमर दर्द दूर करे सेतुबंध आसन

By Super
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setubandhasan
सेतुबंध आसन

पीठ के बल लेट जाएँ. दोनों बाजू सीधे और शरीर के बगल में रखें. हथेली को ज़मीन से सटाकर रखें. दोनों पैरों के घुटने मोड़ें ताकि पैर के तलवे ज़मीन से लग जाएं. ये सेतुबंध आसन की प्रारंभिक स्थिति है.

सांस भरें, कुछ पल के लिए सांस रोकें और धीरे-धीरे कमर को ज़मीन से ऊपर उठाएँ. कमर को इतना ऊपर उठाएँ कि छाती ठुड्डी से स्पर्श करने लगे. साथ ही बाजुओं को कोहनी से मोड़ें और हथेलियों को कमर से नीचे लगाकर रखें. उंगलियों को रुख़ बाहर की ओर रहेगा.

इस प्रकार कमर और शरीर का भार आपकी कलाइयों और हथेलियों पर आएगा. इस स्थिति में सांस सामान्य कर लें.

नए अभ्यासी के लिए इतना कर लेना ही पर्याप्त है और अगर आप इतना सुविधापूर्वक कर सकते हैं तो दोनों पैरों को आगे की ओर सरकाते जाएँ ताकि घुटने सीधे हो जाएँ और पैर का तलवा ज़मीन से लग जाए. दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें.

कमर, हथेली और कलाई पर अत्यधिक भार आए तो पहले भुजंगासन, शलभासन और पूर्वोत्तानासन का अभ्यास करें. इसके बाद सेतुबंधासन का अभ्यास आसान हो जाएगा

इस स्थिति में 10 से 20 सेकंड तक रुकें. कमर के निचले हिस्से और रीढ़ पर खिंचाव को महसूस करें. अंत में वापस आने के लिए फिर से घुटने मोड़िए. दोनों हथेलियों को कमर के नीचे से हटाएँ. कमर को किसी प्रकार का झटका न लगे.

बाजू सीधी कर लें और सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर को नीचे कर लीजिए. पैरों को भी सीधा कर लें और कुछ देर शवासन में विश्राम करें. इस आसन को आवश्यकतानुसार और सुविधापूर्वक तीन बार दोहराएँ.

सावधानियां

सेतुबंधासन का नियंत्रणपूर्वक अभ्यास करें. किसी प्रकार का झटका न दें. संतुलन बनाए रखें.

अगर आपकी कमर, हथेली और कलाई पर अत्यधिक भार आए तो पहले भुजंगासन, शलभासन और पूर्वोत्तानासन का अभ्यास एक-दो महीने तक करें. इसके बाद सेतुबंधासन का अभ्यास आपके लिए आसान हो जाएगा.

जिन्हें पहले से अधिक कमर-दर्द, स्लिप डिस्क या अल्सर की समस्या हो, वे सेतुबंधासन का अभ्यास न करें या योग शिक्षक की देखरेख में ही अभ्यास करें.

सेतुबंध आसन के लाभ

सेतुबंध आसन रीढ़ की सभी कशेरुकाओं को अपने सही स्थान पर स्थापित करने में सहायक है.

ये आसन कमर दर्द को दूर करने में भी सहायक है. पेट के सभी अंग जैसे लीवर, पेनक्रियाज और आँतों में खिंचाव आता है. कब्ज की समस्या दूर होती है और भूख भी खुलकर लगती है.

पूर्वोत्तानासन की विधि

पूर्वोत्तानासन के अभ्यास से बाजुओं की मांसपेशियां सशक्त होती हैं

दोहरा कंबल बिछाएं. दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं. दोनों पैर सीधे और मिलाकर रखें. दोनों हाथों को पीछे की ओर नितंब के पास ज़मीन से सटाकर रखें, बाजू सीधी रहेगी, उंगलियों का रुख़ पीछे की ओर रहेगा. रीढ़ को भी सीधा रखें. यह पूर्वोत्तानासन की प्रारंभिक स्थिति है.

सांस भरें और अपने हाथों पर दबाव बनाते हुए कमर को ज़मीन से ऊपर उठाते जाएं ताकि पूरा शरीर सीधा हो जाए और पैर का तलवा ज़मीन से स्पर्श हो जाए. गर्दन को पीछे की ओर ढीला छोड़ दीजिए. आंखे खुली रखें और सांस रोककर रखिए.

इस स्थिति में पाँच सेकंड तक रुकें. उसके बाद सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर को नीचे कर लीजिए और फिर से प्रारंभिक स्थिति में आ जाएँ. इस आसन को तीन बार दोहराएँ.

सावधानियाँ

पूर्वोत्तानासन में पूरे शरीर का भार हथेली और कलाई पर आता है. जिनकी कलाई शरीर के भार को सहन न कर सके, वे ये आसन करते समय सावधानी बरतें अन्यथा न करें.

जिन्हें उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, अल्सर की शिकायत हो, उन्हें इस आसन के अभ्यास से बचना चाहिए.

लाभ

पूर्वोत्तानासन रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों को सशक्त करता है और कमर दर्द को दूर करने में सहायक है.

इसके अभ्यास से कंधे और बाजुओं की मांसपेशियों की शक्ति बढ़ती है. फेफड़ों में खिंचाव आता है. छाती का विकास होता है.

बढ़ते बच्चे और युवा इस आसन को एक व्यायाम के रूप में भी कर सकते हैं.

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