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शेक और स्मूदीज में होने लगा है हल्दी का इस्तेमाल, जाने कितनी मात्रा में करना चाहिए सेवन
हल्दी हमारे खाने में पड़ने वाला एक आवश्यक मसाला है, जिसका इस्तेमाल सालों से होता आ रहा है। हल्दी वैसे एक गुणकारी और ऐंटीसेप्टिक मसाला है जो पेट में जलन, गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्या के लिए रामबाण की तरह काम करती है। हल्दी की बढ़ती लोकप्रियता के वजह से इसका इस्तेमाल खाने के अलावा लाटे, स्मूदी, शेक और कैप्सूल के तौर पर भी किया जाने लगा है।
लेकिन क्या आप जानते है कि हल्दी तभी असरदायक है जब आप इसका सेवन उचित मात्रा में करें? आइए जानते है, अब हल्दी के इतने विकल्पों में कौनसा विकल्प सबसे ज्यादा प्रभावी है और इसका सेवन कैसे करना ज्यादा प्रभावी होता है,लाटे, कैप्सूल या फिर एक मसाले की तरह।
करक्यूमीन की वजह से
हल्दी का लोकप्रिय होने की वजह है इसमें पाया जाना वाला कारक करक्यूमीन है। जो कि हल्दी में मामूली तौर पर पाया जाता है। अगर आप हल्दी से पाए जाने वाले पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए कैप्सूल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको कैप्सूल में करक्यूमीन की मात्रा जरूर जांच लें। ऐसा माना जाता है पेट कि जलन और गैस से बचने के लिए कम से कम 500 से 1000 मिलीग्राम करक्यूमीन की आवश्यकता होती है। एक चम्मच पीसी हुई हल्दी में करीबन 200 मिलीग्राम करक्यूमीन पाया जाता है।
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बहुत है विकल्प
माना कि हल्दी की कैप्सूल या फिर गोली लेना सबसे आसान तरीका है, लेकिन आप चाहे तो करक्यूमीन की पूर्ति कई अलग-अलग चीजों से भी कर सकते हैं जैसे कि खाने में मसाले की तरह कॉफी या फिर स्मूदीज में भी। सही मात्रा में हल्दी के सेवन से आपकी सेहत तो बन सकती है लेकिन इससे समस्या पूरी तरह ठीक नहीं हो सकती है।
कैसे खाना होता है अच्छा
माना कि करक्युमीन बहुत ही असरदायक है, लेकिन यह बहुत जल्द ही अवशोषित हो जाता है। इसलिए आप इसे कितने ही सही मात्रा में सेवन कर लें। लेकिन ये जरूरी नहीं है कि इसका सही असर होगा या नहीं। इसलिए हल्दी को किसी दूसरे पावरफूल मसाले के साथ लेना चाहिए है, जैसे कि काली मिर्च। क्योंकि हल्दी को जब कालीमिर्च के साथ लिया जाता है तो जलन से लड़ने की इसकी क्षमता बढ़ जाती है। इसी वजह से बहुत से हल्दी की कैप्सूल्स में काली मिर्च भी पाई जाती है।
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बाजारू चीजों से रहे दूर
बाजार में आपको ऐसे कई ब्रांड मिल जाएंगे जो हल्दी के गुणों का गुणगान करके अपने प्रॉडक्ट्स की बिक्री बढ़ना चाहते हैं, लेकिन आपको इसके प्रति अवेयर होने की जरुरत है। क्योंकि हेल्थ के नाम पर बाजार में मिलने वाले हल्दी के प्रॉडक्ट की तुलना में घरेलू हल्दी ज्यादा किफायती और गुणी होती है। उदाहरण के तौर पर जैसे कि हेल्थ के नाम पर बेची जाने वाली हल्दी बार, जिसमे 20 ग्राम चीनी, कुछ प्रिजरवेटिव्स के साथ थोड़ी सी हल्दी डाली जाती है, जो कि आपकी सेहत के लिहाज से बिलकुल भी ठीक नहीं है। इन चीजों के वजह से हल्दी में पाए जाने वाले एंटीफ्लेमरी तत्व दब जाते है। और ये सेहत के लिए भी प्रभावी नहीं रहती हैं। इसलिए आंख बंद करके इन प्रॉडक्ट का इस्तेमाल न करें।