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सावधान टीबी की दवा बना सकती है पागल
चिकित्सा विश्वविद्यालय के पल्मोनरी मेडिसिन में बतौर प्रोफेसर कार्य कर रहे प्रो. कुशवाहा का कहना है कि सिर्फ पागलपन ही नहीं आर्थराइटिस, त्वचा रोग, नेत्र सम्बंधी समस्याएं, बहरापन, प्रकाश से एलर्जी से बीमारियां हो सकती हैं। उनका कहना है कि एमडीआर टीबी यानि मल्टी डग रेजीडेंट क्षयरोग की ऐसी अवस्था जब दवाएं रोग पर असर नहीं करतीं और रोगी को विशेष
दवाएं दी जाती हैं। यह दवाएं दो-दो वर्र्ष तक चलती हैं। उनका कहना है कि कई बार दवाओं के रिएक्शन से अन्य बीमारियां होने लगती हैं और मरीज दवा खाना बंद कर देता है। यही कारण है कि मरीज का रोग अच्छा नहीं हो पाता। प्रो. कुशवाहा के अनुसार फिलहाल केजीएमयू में उनके अधीन ऐसा कोई मरीज भर्ती नहीं है कि जिसे दवा का रिएक्शन हुआ हो लेकिन इस प्रकार के दर्जनों मामले पूर्व में सामने आ चुके हैं।
उधर टीबी विशेषज्ञ डा. आशुतोष दुबे का कहना है कि टीबी की दवाएं बहुत ही प्रभावशाली होती हैं यह क्षयरोग पर तो कार्य करती ही हैं साथ अन्य रोगों को भी जन्म दे देती हैं। उनका कहना है कि टीबी की दवा कई बीमारियों का कारण बन सकती है। डा. दुबे के अनुसार मरीज टीबी की दवा कई बार बीच में ही खाना बंद कर देता है क्योंकि उसे टीबी के अतिरिक्त कई अन्य समस्याएं हो जाती हैं। उन्होंने टीबी की दवा लम्बे समय तक खाने से सामान्यता घुटनों में दर्द व आंखों में समस्या आने लगती है जिस कारण मरीज दवा खाना बंद कर देता है। उन्होंने बताया कि मेडिकल साइंस में हुए सर्वे में यह बात साबित हुई कि टीबी की दवा के रिएक्शन से ही व्यक्ति में अन्य बीमारियां हो गयीं।