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शारीरिक दर्द से जुडी कुछ मिथक व सच्ची बातें
आज हर कोई शारीरिक पीडाओं की शिकायत करता नज़र आता है। किसी के कमर में दर्द हो तो किसी के घुटनों में। हम सभी इन पीडाओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तथा स्वस्थ बनने के लिए हम देसी से लेकर विदेशी इलाज भी कराते हैं।
इन शारीरिक तकलीफों से जुडी कुछ मिथक बातें आप तक सलाह के रूप में पहुंचती है और दर्द से निजात पाने के लिए आप इन्हें आज़मा भी लेते हैं। चलिए जानते हैं ऐसी ही कुछ मिथक बातों के बारे में और उनके पीछे छुपा सच।
जोड़ों का दर्द बदलते मौसम से साथ बढ़ता व घटता रहता है। सर्दियों के मौसम में बहती शीत हवाएं बुजुर्गों के जोड़ों के दर्द को बढ़ती है जबकि वही दर्द गर्मियों में ना के बराबर महसूस होता है। मौसम के साथ-साथ हवा का बैरोमीटर प्रेशर भी बदलता रहता है। यही बदलाव हमारे जोड़ों के दर्द का कारण बनता है।
अक्सर पीठ दर्द के मरीज़ों को डॉक्टर लंबे समय तक आराम करने की सलाह देते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर पीठ दर्द बढ सकता है। बजाय इसके, आप अपने रोजमर्रा के काम आराम से करें और हो सके तो थोडा सा व्यायाम व योगा भी करें।
यदि
आप
घुटनों
व
कूल्हों
के
दर्द
से
परेशान
हो
तो
अपने
वजन
को
घटाने
की
कोशिश
करें।
क्योंकि
हमारे
शरीर
का
पूरा
भार
हमारे
घुटनों
व
पैरों
पर
पड़ता
है।
वजन
कम
होने
पर
पैरों
पर
पड़ने
वाला
भार
भी
घट
जाएगा।
इस
तरह
आपको
घुटनों
के
दर्द
से
छुटकारा
मिल
सकता
है।
आप दर्द से कराह रहे हैं और बीमारी की वजह पता करने के लिए ड़ॉक्टर द्वारा कहे गए सारे टेस्ट कराते हैं लेकिन रिपोर्ट में सब नोर्मल है। इसका मतलब ये हुआ कि आप बेवजह एक दर्द को महसूस कर रहे हैं। जी नहीं। दरसल कुछ बीमारियों के पीछे मानसिक कारण छुपे होते हैं।
चिंता,
परेशानी
या
मन
में
दबा
गुस्सा
कई
पीडाओं
को
जन्न
दे
सकता
है।
अतः
दर्द
के
कारण
को
जानने
के
लिए
आपको
अपनी
भावनाओं
को
समझने
की
ज़रूरत
है।
यदि आपको हर दूसरे तीसरे दिन शरीर के किसी एक हिस्से में लगातार दर्द रहता है और आप इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए पेनकिल्लर का सहारा लेते हैं तो ऐसा करना सही नहीं होगा।
पेनकिल्लर आपको कुछ देर के लिए दर्द से छुटकारा दिला सकते हैं लेकिन ये बीमारी का इलाज़ नहीं है। ऐसी स्थिति में आपको ड़ॉक्टर से संपर्क करने की ज़रूरत है।