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आंखों का यह रंग बताता है कि आप कितनी शराब पीते हैं!
आपकी आंखों के रंग से पता चल सकता है कि आप कितनी शराब पीते हैं और अन्य कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों का भी पता चलता है।
मेलेनिन की मात्रा के कारण आंखों का रंग अलग-अलग होता है। यह एक पिग्मेंट है, जो आंखों इरिस में होता है। इसकी कमी से आपकी आंखें नीले रंग की हो सकती है जबकि भूरी आंखों में बहुत परिणाम दिख सकते हैं।
हरी आंखों का मतलब है कि पिग्मेंट का लेवल बीच में बना हुआ है। शोध में पाया गया है कि विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य स्थितियों को आंखों के रंग से पहचाना जा सकता है।
एक
अध्ययन
के
अनुसार,
शराब
पीने
वालीं
की
काली
आंखों
वाले
लोगों
की
तुलना
में
54
फीसदी
अधिक
हल्की
होती
हैं।
इसका
कारण
यह
है
कि
काली
आंखों
वाले
लोग
अधिक
सेंसटिव
होते
हैं
और
जल्दी
से
नशे
में
हो
जाते
हैं
और
इसलिए
शायद
कम
सेवन
करते
हैं।
इसके अलावा काली आंखों वाले लोगों को मोतियाबिंद का अधिक खतरा होता है। इतना ही नहीं उन्हें स्किन की समस्या विटिलिगो का भी जोखिम होता है।
जिनकी आंखों का रंग हल्का होता जैसे- हरा, नीला, भूरा, उन्हें अंधेपन, कैंसर आदि का अधिक खतरा होता है। इसका कारण यह है कि उनकी आखों की इरिस का लेवल कम होता है।
इसके अतिरिक्त, हल्के रंग की आंखों वाले लोगों को उम्र से संबंधित मैकुलर डीजेनरेशन का अधिक खतरा होता है। इतना ही नहीं एक अन्य अध्ययन के अनुसार, उन्हें आंखों में भी अधिक दर्द होता है।