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केरल में बाढ़ का प्रलय: ऐसे बचाव करें जल जनित रोगों से
केरल में आई तबाही ने पिछले सो सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इसमें अब तक 350 लोगों की मौत हो चुकी है। बाढ़ से पीडित इस राज्य के लोग वेक्टर बॉर्न रोगों जैसे कि चिकनगुनिया और डेंगू आदि से ग्रस्त हो रहे हैं। पब्लिक हैल्थ एक्सपर्ट की मानें तो केरल में लोगों को टाइफाइड, हैजा, हेपेटाइटिस और लेप्टोस्पिरोसिस का खतरा भी है। केरल के स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशालय के अनुसार अब तक राज्य में लेप्टोस्पिरोसिस के 225 मामले सामने आ चुके हैं और 846 लोग डेंगू के बुखार से पीडित हैं और 518 मलेरिया और 34 चिकनगुनिया और 191,945 मामले डायरिया के हैं।
बाढ़ से होने वाले जलजनित रोगों के बारे में जानिए...
लेप्टोस्पिरोसिस
ये बीमारी लेप्टोस्पिरा बैक्टीरिया की वजह से होती है। ये बैक्टीरिया जानवरों से इंसानों में यूरिन के ज़रिए फैलता है। ये बाढ़ के दौरान मिट्टी और पानी में पाया जाता है। लेप्टोस्पिरा इंसान के शरीर में आंखों, खुले घाव और म्यूकस मेंब्रेन के ज़रिए जा सकता है।
लेप्टोस्पिरोसिस के लक्षण
इस संक्रमण के होने के 5 से 14 दिनों के अंदर ही इसे लक्षण सामने आने लगते हैं। रोग नियंत्रण एवं रोकथाम के केंद्र के अनुसार संक्रमित स्रोत के संपर्क में आने के 2 से 4 सप्ताह के अंदर इंसान इस बीमारी का शिकार बन बीमार पड़ जाता है।
इसके लक्षण हैं :
- रैश
- डायरिया
- आंखों में लालपन
- तेज बुखार
- सिरदर्द
- पेट में दर्द
- दस्त
- उल्टी
- सर्दी लगना
- मांसपेशियों में दर्द होना
कुछ गंभीर मामनों में ये बीमारी किडनी और लिवर तक को फेल कर सकती है या मेनिनगिटिस का कारण बन सकती है। ये बीमारी 3 हफ्ते या इससे ज्यादा समय तक रह सकती है।
लेप्टोस्पिरोसिस
एंटीबायोटिक्स के ज़रिए लेप्टोस्पिरोसिस का ईलाज किया जा सकता है। इसमें डॉक्सीसाइक्लिन और पेनिसिलिन होता है। गंभीर लक्षण दिखने पर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है।
बचाव के टिप्स
- जानवरों को हाथ लगाने के बाद पानी और साबुन से हाथ धोएं।
- नंगे हाथों से मृत जानवरों को ना छुएं।
- पेस्ट कंट्रोल करवाएं।
- खुले घावों को साफ करें और उन्हें वॉटरप्रूफ ड्रेसिंग से ढक दें।
- बाढ़ के पानी से आने के बाद साफ पानी से जरूरर नहाएं।
- बाढ़ के पानी के संपर्क से आई हुई किसी भी चीज़ को ना खाएं।
- अपने कु्त्ते को लेप्टोस्पिरोसिस वैक्सीन जरूर लगवाएं।
हेपेटाइटिस ए
बाढ़ के पानी के जाने की उचित व्यवस्था ना होने पर हेपेटाइटिस का खतरा रहता है। हेपेटाइटिस वायरस ए से होने वाला हेपेटाइटिस ए लिवर में होने वाला खतरनाक संक्रमण है। ये पानी और खाने से फैलता है।
हेपेटाइटिस के लक्षण
इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं :
- थकान महससू होना
- जी मितली
- उल्टी होना
- पेट में दर्द
- भूख कम लगना
- बुखार रहना
- जोड़ों में दर्द
- गहरा पेशाब आना
- दस्त लगना
- खुजली होना
हेपेटाइटिस का ईलाज
हेपेटाइटिस ए के लिए कोई विशेष ईलाज नहीं है। हालांकि कुछ सावधानियां बरत कर आप संक्रमण से बच सकते हैं। कच्चा या कम पका हुआ खाना ना खाएं। फल-सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धोएं और काटें। बोतल का पानी पीएं। खाने से पहले अपने हाथों को धोएं।
हैजा
हैजा विब्रिओ कोलेराई बैक्टीरिया से होने वाला एपिडेमिक संक्रमण है जोकि सतही और नमकीन पानी में पाया जाता है। ये बैक्टीरियल रोग दस्त और डिहाइड्रेशन का कारण बनता है।
हैजा के लक्षण
इसके संपर्क में आने के 12 घंटे से 5 दिनों के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं :
- उल्टी
- पैरों में क्रैंप
- डायरिया
- डिहाइड्रेशन
हैजा का ईलाज
शरीर में पानी की अत्यधिक कमी के कारण हैजा मृत्यु का कारण बन सकता है। इसलिए हैजे में ओआरएस का घोल पिलाते रहना चाहिए। पर्याप्त देखभाल और ईलाज से इस रोग की गंभीरता को 1 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।
हैजा के संक्रमण से दूर रहने के टिप्स्
सीडीसी के अनुसार कुछ सावधानियां बरत कर इस बीमारी से बचा जा सकता है।
बोतल के पानी का इस्तेमाल करें और इसी से मुंह और दांतों को साफ करें। खाना पकाने में भी इसी पानी का इस्तेमाल करें।
एक साफ कंटेनर में पानी भरकर रखें।
नल का पानी प्रयोग करने से पहले उसे उबाल लें।
साबुन और साफ पानी से हाथों को धोएं।
शौचालय का इस्तेमाल करें और पानी के किसी भी तरह के मलबे से दूर रहें।
अपना खाना अच्छी तरह से बनाएं और उसे ढक कर रखें।
टायफाइड
ये बीमारी साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया की वजह से होती है और इस बैक्टीरिया से युक्त खाना और पानी का सेवन करने पर टायफाइड शरीर में पनपने लगता है। ये बैक्टीरिया गंदे पानी और सूखे नालों में हफ्तों तक रहता है।
टायफाइड के लक्षण
टायफाइड के लक्षण और संकेत 6 से 30 दिनों में नज़र आते हैं। इसका प्रमुख लक्षण बुखार है जिसमें 104 डिग्री फारेनहाइट बुखार के साथ त्वचा पर रैशेज़ भी होते हैं। इसके अलावा कमजोरी, कब्ज, पेट में दर्द और सिरदर्द भी इसके लक्षणों में शामिल हैं।
टायफाइड का ईलाज
इसका असरकारी ईलाज है एंटीबायोटिक्स जैसे सिप्रोफ्लोसेसिन और सेफ्ट्रिएक्सोन।
टायफाएड से बचने के टिप्स
कच्चे फल और सब्जियां खाने से बचें। इन्हें पानी से धोकर ही खाएं।
खाने को अच्छे से पकाएं और गर्म खाना ही खाएं।
बार-बार हाथों को धोते रहें।
रोगों से दूर रहने के लिए सेहत विशेषज्ञ और डॉक्टर्स हाइजीन का पूरा ध्यान रखने की सलाह देजे हैं और बाढ़ प्रभावित इलाकों में इन रोगों से बचने के लिए वैक्सीनेशन जरूर लगवाना चाहिए।