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मल्टीप्ल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम की वजह से करुणानिधि की हुई मुत्यु, जानें इस सिंड्रोम के बारे
मल्टीप्ल ऑर्गन फेलियर की वजह से तमिलनाडू के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि ने 7 अगस्त 2018 को अपनी आखिरी सांसे ली। इस आर्टिकल में जानेंगे कि आखिर कैसे मल्टीपल ऑर्गन फेलियर यानी दो से ज्यादा अंग निष्क्रिय यानी काम करना बंद कर देते हैं।
क्या होता है मल्टीप्ल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम?
मल्टीप्ल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम तब उभरकर सामने आता है जब शरीर के दो से ज्यादा अंग काम करना बंद देते हैं। मल्टीप्ल ऑर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम को मल्टी ऑर्गन फेलियर और मल्टीपल सिस्टम ऑर्गन फेलियर भी कहा जाता है। ये सिंड्रोम हेमेटोलॉजिकल सिस्टम, एंडोक्राइन सिस्टम या प्रतिरक्षा प्रणाली सहित शरीर विज्ञान प्रणाली को भी प्रभावित करता है।
कैसा होता है ये सिंड्रोम?
ये सिंड्रोम चोट, संक्रमण, हाइपरमेटाबॉलिज्म और हाइपोपरफ्यूजन के कारण होता है। मल्टीपल ऑर्गन डिसफंक्शनि सिंड्रोम होने का पहला कारण सेप्सिस होता है।
क्या होता है सेप्सिस?
इस
बीमारी
में
बॉडी
का
ब्लड
सर्कुलेशन
बिगड़
जाता
है।
इससे
बॉडी
में
सूजन
आने
के
साथ
ही
ब्लड
क्लॉट
बनने
लगते
हैं।
इस
सिंड्रोम
की
वजह
से
शरीर
में
रोग
प्रतिरोधक
प्रणाली
अत्यधिक
सक्रिय
हो
जाती
है।
बीमारी
की
शुरुआत
शरीर
में
किसी
प्रकार
के
संक्रमण
से
होती
है।
जैसे
शरीर
के
किसी
हिस्से
में
खरोंच
या
कट
जाना,
कीड़े
का
काट
लेना।
सेप्सिस
नाम
की
इस
बीमारी
से
हर
साल
44,
हज़ार
लोगों
की
मौत
हो
रही
है।
खतरनाक
बात
ये
है
कि
लोगों
को
इसके
बारे
में
कोई
जानकारी
नहीं
है।
सेप्सिस
के
लक्षण?
शरीर
में
तेज
कंपकपाहट
या
मांसपेशियों
में
दर्द,
दिन
भर
पेशाब
का
ना
आना,
सांस
लेने
में
अत्यधिक
कठिनाई,
त्वचा
का
बेजान
पड़
जाना।
बच्चों में इसके लक्षण
शरीर का पीला पड़ जाना, बेजान दिखना, बहुत सुस्ती, जागने में मुश्किल, शरीर का ठंडा पड़ जाना, तेज सांसें, शरीर का अकड़ जाना।
किन लोगों को ज्यादा होने की सम्भावना
बच्चों में और बुर्जुग लोगों में होने के ज्यादा सम्भावना रहती हैं।
जिन लोगों का आईसीयू में ईलाज चल रहा होता है या हो चुका होता है।
जिन लोगों का इम्यून सिस्टम बहुत ही कमजोर होता है।
कैसे
सेप्सिस
के
बारे
में
मालूम
चलेगा?
अगर आपको भी ऊपर बताए गए लक्षणों में से कुछ महसूस होता है और अपने डॉक्टर से मिलें। वो आपका पूरा रक्त जांच करेगा। जिसमें इंफेक्शन और ब्लड क्लॉट बनने के बारे में जांच की जाएंगी। इसके अलावा हो सकता है कि डॉक्टर इस बीमारी तक पहुंचने के लिए मूत्र परीक्षण, श्लेष्मा स्राव परीक्षण, और घाव स्राव परीक्षण जैसे अन्य परीक्षण भी कर सकते हैं।
सेप्सिस
का
इलाज
अगर समय रहते सेप्सिस का इलाज नहीं किया गया तो ये बीमारी आपकी जान भी ले सकती है। इसके इलाज के लिए संक्रमण की शुरूआत में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं और कोशिश की जाती है कि संक्रमित अंग को आसानी से संक्रमण मुक्त कर सके।