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क्या होते है ग्रीन पटाखें, सुप्रीम कोर्ट ने जिसे ईको फ्रैंडली बताया है
दिवाली पर पटाखों की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त हिदायत दी है कि दिवाली पर पटाखे जलाने पर रोक नहीं है। लेकिन पटाखे रात 8 से 10 बजे के बीच सिर्फ 2 घंटे के लिए ही जलाए जा सकेंगे। इसके अलावा दिवाली हो या शादी-ब्याह का मौका। हर त्योहार पर सिर्फ ग्रीन पटाखे यानी कम प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा।
पटाखों से होने वाले प्रदूषण की सीमा से अन्य प्रदूषण की तुलना में हज़ारों गुना ज़्यादा होता है। विश्व स्वस्थ्य संगठन के मुताबिक कुछ पटाखे हैं जो काम प्रदूषण करते हैं। विश्व स्वस्थ्य संगठन ने 25 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर की सीमा तय की है लेकिन भारत में है सीमा 60 है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हर साल दीवाली पर पटाखों की वजह से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए ये सख्त कदम उठाया है।
आइए जानते है कि आखिर क्या होते हैं ग्रीन पटाखे और ऐसे कौन से पटाखे हैं जिन्हें जलाने से प्रदूषण कम होगा?
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे
ग्रीन
पटाखे
दिखने,
जलाने
और
आवाज़
में
सामान्य
पटाखों
की
तरह
ही
होते
हैं,
लेकिन
इनसे
प्रदूषण
कम
होता
है।
सामान्य
पटाखों
की
तुलना
में
इन्हें
जलाने
पर
40
से
50
फ़ीसदी
तक
कम
हानिकारण
गैस
पैदा
होते
हैं।
ऐसा
भी
नहीं
है
कि
इन
पटाखों
से
प्रदूषण
बिल्कुल
भी
नहीं
होगा।
लेकिन
बहुत
कम
तक
होग।
जहां
सामान्य
पटाखों
के
जलाने
से
भारी
मात्रा
में
नाइट्रोजन
कॉर्बन
मोनो
ऑक्साइड
और
सल्फ़र
गैस
निकलती
है,
वहीं
इन
पटाखों
से
इनकी
आवाज
कई
हद
तक
कम
होती
है।
रोशनी
के
साथ
मनाएं
दीवाली
आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि फुलझड़ी बेहद कम प्रदूषण करती है।फुलझड़ी सांप की टिकिया से भी कम खतरनाक होती है। इसके अलावा 2 मिनट जलने वाली फुलझड़ी 6 मिनट जलने वाली लड़ी ले ज्यादा सुरक्षित है।
धमाकों के हिसाब से भी कम
दरअसल एक आम आदमी के कान 60 डेसिबल से अधिक साउंड को सहन नहीं कर पाता है। यानी जिन पटाखों में 60 डेसिबल से अधिक की क्षमता होगी वो आप इस दिवाली नहीं छोड़ पाएंगे। आपको जानकर हैरानी होगी कि अभी तक दीवाली पर छोड़े जाने वाले पटाखें 80 डेसिबल से अधिक साउंड करते हैं।