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क्या होता है बच्चों में गेमिंग एडिक्शन?, जाने कैसे बच्चों का इससे पीछा छुड़ाया
किसी भी चीज़ की लत लगना बुरा होता है। इसमें आपकी आत्मा तक को उस चीज़ की लत लग जाती है और इसकी वजह से ना केवल खुद को बल्कि खुद को प्यार करने वाले लोगों को भी दुख होता है। ऊपर कही गई हर एक बात सच है और हम सभी जानते हैं कि किसी भी चीज़ की लत ना सिर्फ उस इंसान को खत्म कर देती है बल्कि उसके करीबियों को भी बहुत बुरी तरह प्रभावित करती है क्योंकि उन्हें भी इस मुश्किल हालात से गुज़रना पड़ता है।
लत का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में शराब, सिंगरेट, ड्रग्स, सट्टे और यहां तक कि सेक्स का ख्याल आता है। हालांकि, इसके अलावा भी ऐसी कई लते हैं जिनके बारे में लोग ज्यादा तो नहीं जानते लेकिन ये भी शराब और ड्रग्स की लत जितनी ही खतरनाक होती हैं। जैसे कि कुछ लोगों को उन चीज़ों को चुराने की लत होती है जो उनके काम की ही ना हो, वो ये सब बस मजे के लिए करते हैं। इस मानसिक विकार को क्लेप्टोमेनिया कहते हैं।
किसी भी चीज़ या काम में बहुत ज्यादा घुसे रहने से उसकी लत लग जाती है। लत किसी भी इंसान की जिंदगी को बर्बाद कर सकती है क्योंकि इसमें इंसान उन चीज़ों को लेकर पागल हो जाता है जिसकी उसे लत होती है। किसी भी तरह की लत से सेहत, पैसे, रिलेशनशिप और इंसान के सम्मान की हानि होती है। हममें से कई लोगों ने इस बात पर गौर किया होगा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गेमिंग की लत को मानसिक विकार बताया है। क्या सच में गेमिंग इतनी खतरनक होती है ? आइए जानते हैं ..
गेमिंग क्या होती है
गेमिंग कंप्यूटर गेम्स या इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जैसे फोन, लैपटॉप, प्ले स्टेशन आदि पर खेले जाने वाले गेम्स होते हैं। घर से बाहर खेलने वाले गेम जोकि सेहतमंद होते हैं वो इस लिस्ट में नहीं आते हैं। आज कई लोग बच्चे और बड़े दोनों ही इस लत से ग्रस्त हैं। यहां तक कि 6 साल के बच्चे से लेकर 40 साल तक के आदमी को गेमिंग की लत लग चुकी है। ये लोग अपने इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर ऑनलाइन गेम खेलते हैं।
आम आदमी को इस सबसे मजा आता होगा लेकिन सच बात तो ये है कि गेमिंग आपको एक स्तर पर आकर अपने अंदर जकड़ लेगी। बच्चे घर से बाहर खेलने की बजाय घर पर ही अपने गैजेट्स पर गेम्स खेलना ज्यादा पसंद करने लगे हैं। इससे आप शारीरिक रूप से अनफिट बनते हैं और इससे आंखों में भी दिक्कत हो सकती है और स्कूल के काम में बच्चों का मन नहीं लगता है।
जो लोग गेम खेलते हैं वो अपने आसपास के लोगों से कम बात करते हैं और ऐसे में उनमें अकेलापन बढ़ जाता है क्योंकि वो अपना ज्यादातर समय घर पर अपने गैजेट्स के साथ बिताते हैं। अपनी इस आदत से वो अनफिट हो जाते हैं और इससे उनके करियर में भी परेशानी आती है।
कई रिसर्च में भी ये सामने आया है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को गेमिंग की लत ज्यादा होती है। हालांकि, महिलाएं भी पुरुषों की तरह ही लत के परिणाम भुगतती हैं।
गेमिंग कब बन जाती है लत
गेमिंग की लत के कुछ लक्षण हैं जैसे अपना ज्यादातर समय गेम खेलते हुए बिताना और इसका असर पढ़ाई, नौकरी और रिलेशनशिप आदि पर पड़ना। अगर आप इन सब बातों को नज़रअंदाज़ करके भी गेम में हर लगे रहते हैं तो 12 महीने के अंदर ही आपको इसकी लत लग जाती है। ज्यादा गेम खेलेन से व्यक्ति की पर्सनल लाइफ और रिलेशनशिप में तनाव बढ़ जाता है।
जब कोई इंसान अपनी जिंदगी में गेमिंग की लत की वजह से सभी सकारात्मक चीज़ों को खाने लगता है तो से उसकी दिमागी सेहत पर भी असर करने लगता है और इसे ही लत का नाम दिया गया है। जैसा कि हमने पहले भी बताया कि लत का असर ना सिर्फ खुद पर पड़ता है बल्कि ये हमारे आसपास के लोगों को भी प्रभावित करता है।
गेमिंग की लत पर विश्व स्वास्थ्य संगठन
18 जून, 2018 को डब्ल्यूएचओ ने गेमिंग की लत को मानसिक विकार घोषित कर दिया है। ऐसा गेमिंग के नकारात्मक प्रभाव की वजह से किया गया है और विशेषज्ञों का भी मानना है कि ये एक बीमारी है जिसका ईलाज किया जाना जरूरी है। मानसिक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कॉग्नेटिव बिहेवरियल थेरेपी, डि-एडिक्शन थेरेपी और दवाओं से इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। हालांकि, इस क्षेत्र से जुड़े अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि गेमिंग की लत को मानसिक विकार कहना सही नहीं है क्योंकि अभी इस मुद्दे पर और रिसर्च की जानी बाकी है। हालांकि, जीवन पर नकारात्मक असर और सेहत पर पड़ने वाले गलत प्रभाव को लोग मानसिक रोग के रूप में देख सकते हैं।
अगर आपको खुद में या अपने किसी करीबी में गेमिंग की लत दिखती है तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। चाहे इसे मानसिक रोग मानें या मानें लेकिन इसका सेहत और जीवन पर नकारात्मक असर तो पड़ता ही है।