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Nipah Virus: ब्रेन में पहुंचा तो कोमा में जा सकता है मरीज, 4 से 8 दिन में दिखते है लक्षण
केरल में निपाह वायरस के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, केरल से सटे कन्याकुमारी और नीलगिरी में भी अलर्ट जारी कर दिया होता है। कर्नाटक में भी निपाह वायरस के दो संदिग्ध केस सामने आए है। धीरे धीरे ये वायरस अपनी जड़े फैलाता जा रहा है।
निपाह वायरस के संक्रमण से निजात दिलाने के लिए नेशनल सेंटर फार डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की एक टीम केरल पहुंच चुकी है, जो संक्रमण से बचाव और संक्रमित लोगों के इलाज पर काम कर रही है। जब तक इस संक्रमण का कोई ठोस ईलाल नहीं मिल जाता है तो सावधानी बरतनी बहुत जरुरी है।
4 से 18 दिनों में दिखते हैं लक्षण
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस वायरस से संक्रमित लोगों में इंफ्लूयेंजा की तरह लक्षण दिखते हैं। जिसमें तेज बुखार आना और शरीर में तेज दर्द होना प्रारंभिक लक्षण है। कुछ परिस्थितियां ऐसी भी आई हैं, जहां सही समय पर ईलाज नहीं मिलने पर मरीज कोमा में चला गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इस वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड 4 से 18 दिनों के बीच है। Nipah Virus, इन चीजों का रखे ध्यान, छूने से भी फैलती है ये बीमारी
इन बातों का रखें विशेष ख्याल
- साफ सफाई का ध्यान रखें. खांसी या झींक आने पर मुंह पर रुमाल रखें।
- कटे हुए फल न खाएं।
- बिना पका हुआ मीट न खाएं।
- खजूर के पेड़ के पास खुले कंटेनर में बनी ताड़ी और शराब पीने से बचें।
- बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें। यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।
- इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए।
- पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
- आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें।
- निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है।
- मृत व्यक्ति को गले लगाने से बचें और उसके सम्पर्क में आने से बचें क्योंकि उसमें वायरस के अवशेष मौजूद होंगे। और उसके अंतिम संस्कार से पहले शरीर को स्नान करते समय सावधानी बरतें।
- डॉक्टर्स अपना खयाल रखें और मास्क लगाए।
- बुखार होने पर तुंरत दवा न लें।
- एयरपोर्ट्स पर खास ध्यान रखें और इन्फेक्टेड व्यक्ति की सूचना ड्यूटी रूम में दें।
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मरीज पहुंच सकता है कोमा में
फिलहाल इसके टेस्ट की सुविधा नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (पुणे) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (दिल्ली) में है। केवल लक्षण के आधार पर इलाज हो रहा है। यानि इस वायरस के लिए कोई विशेष दवा और वैक्सीन नहीं है। इस वायरस के ब्रेन में पुहंचने पर मरीज कोमा में जा सकता है। इसलिए सावधानी बरतना बहुत जरूरी है।
High Alert! केरल में फैला Nipah Virus, जानिए कितना खतरनाक है ये वायरस
क्या है निपाह वायरस?
निपाह मनुष्यों और जानवरों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्शन (वायरस) है। यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण होता है, इसलिए इसे 'निपाह वायरस एन्सेफलाइटिस' भी कहा जाता है! 'निपाह वायरस' हेंड्रा वायरस से संबंधित है। यह इंफेक्शन फ्रूट बैट्स यानी फल खाने वाले चमगादड़ के जरिए फैलता है। शुरुआती जांच के मुताबिक खजूर की खेती से जुड़े लोगों को ये इंफेक्शन जल्द ही अपनी चपेट में ले लेता है। इस वायरस की वजह से 2004 में बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे। यह वायरस शुरुआत में चमगादड़ों से सुअरों में फैला।