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High Alert! केरल में फैला Nipah Virus, जानिए कितना खतरनाक है ये वायरस
केरल के कोझीकोड में निपाह वायरस से नौ लोगों की मौत का मामला सामने आया है। इसके अलावा अभी 25 लोगों को मेडिकल निगरानी में रखा गया है। इस वायरस को दुलर्भ और जानलेवा बताते हुए केरल में हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया है। इस बीमारी से निपटने के लिए केरल सरकार और केंद्र सरकार सख्त कदम उठाने के लिए तैयार हो गई है।
हालांकि, देश में निपाह वायरस का यह पहला गम्भीर मामला सामने आया है लेकिन यह वायरस दो दशक पुराना है जो कि एशियाई देशो जैसे मलेशिया, सिंगापुर और बांग्लादेश में अपना प्रकोप दिखा चुका है। ये वायरस इतना खतरनाक है कि अगर 24 से 28 घंटों के भीतर इसके चपेट में आए मरीज को ईलाज मुहैया नहीं करवाया गया तो उसकी मौत भी हो सकती है। आइए जानते है निपाह वायरस के बारे में।
क्या होता है निपाह वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों पर आक्रमण करता है। दो दशक पहले 1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह गांव के सुअरों में इस वायरस की पहली बार पहचान की गई थी। सुअरों से यह वायरस चमगादड़ (Fruit Bats) के संपर्क में आया। इसके द्वारा पशुओं और उनसे इंसानों में फैला। यह एक जूनोटिक बीमारी है।
मलेशिया में जब यह पहली बार पहचान में आया तो इससे संक्रमित करीब 50 प्रतिशत मरीजों की मौत हो गई। उसी दौरान यह संक्रामक बीमारी सिंगापुर में भी फैली। उसके बाद 2004 में बांग्लादेश में यह फैली। अब केरल में इस वायरस से जुड़े मामले देखने को मिल रहे है।
कोमा में जा सकता है मरीज
इस वायरस से प्रभावित शख्स को सांस लेने की दिक्कत होती है फिर दिमाग में जलन महसूस होती है। तेज बुखार आता है। वक्त पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज 24 से 28 घंटों के अंदर कोमा में भी जा सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है।
वायरस के लिए कोई वैक्सीन नहीं?
यह RNA(रिबोन्यूक्लिक एसिड) वायरस के कारण उत्पन्न होता है। आरएनए वायरस पैरामाईक्सोविरिडी (Paramyxoviridae) फैमिली और हेनीपावायरस (Henipavirus) वंश से संबंधित होता है और हेंड्रा (Hendra) वायरस से नजदीकी रूप से संबद्ध होता है। इस वायरस के ईलाज के लिए अभी तक इंसान या जानवरों के लिए किसी तरह के वैक्सीन ईजाद नहीं किया गया है। 2018 में इसी कारण इसको विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) ने दुलर्भ और खतरनाक वायरसों की सूची में रखा था, जो मनुष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते है।
फैलता है ये वायरस
जैसा कि इस वायरस से निपटने के लिए कोई वैक्सीन का ईजाद नहीं किया है, ये वायरस फैलने वाला संक्रमण है, इसलिए इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर चलना चाहिए। इस वायरस से बचाव के लिए रिबावायरिन नामक दवाई का इस्तेमाल किया जा रहा है।
पेड़ से गिरे फलों को न खाएं
इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए।