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नसबंदी के नाम से क्यों मर्द कतराते है?
वैसे तो हर काम में पुरुष आगे रहना पसंद करते है, लेकिन बात जब फैमिली प्लानिंग की आती है तो वे यह जिम्मेदारी अपनी पत्नी के कंधों पर डाल कर खिसक जाते है। पुरूष नसबन्दी, पुरूषों के लिए गर्भनिरोध का सबसे सरल, सुरक्षित और कम खर्चीला उपाय है। इसमें शुक्रवाहिका नामक दो ट्यूबों को काट दिया जाता है जिससे शुक्राणु वीर्य तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। इसके अलावा पुरूष नसबन्दी करवाने में समय भी बहुत कम लगता है और यह गर्भनिरोधक के लिए महिला नसबन्दी जितना ही प्रभावशाली होता है।
लेकिन इसके बाद भी पुरुषों को लगता है कि फैमिली प्लानिंग और नसबंदी सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी है। हमारे देश में आज भी ज्यादात्तर पुरुष गर्भनिरोध के नाम पर सिर्फ कंडोम का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। कभी आपने सोचा है कि पुरुष नसबंदी करवाने से क्यूं बचते हैं?
आइए विश्व जनसंख्या दिवस पर जानते है कि आखिर नसबंदी न करवाने के पीछे पुरुषों की क्या मानसिकता रहती है।
दिल
की
बीमारी
हालांकि कई लोग मानते हैं कि नसबंदी के कारण पुरुषों के दिल पर बुरा असर पड़ता है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
टांके का डर
पुरुषों को लगता है नसबंदी के दौरान उन्हें चीरा लगाया जाएगा, टांके और चीरे की नाम से वो डर जाते है। लेकिन वर्ष 1998-99 के दौरान एनएसवी (नो स्कैल्पल वसेक्टमी) के रूप में नसबंदी की नयी पद्धति का शुरु हुई थी। जिसमें बिना चीरा और टांके की नसबंदी का चलन शुरु हो गया है तो पुरुषों को इस चीज से भी नहीं घबराने की जरुरत है।
दर्द
की
वजह
से
कई पुरुष दर्द के वजह से नहीं कराते है नसबंदी नसबंदी के दौरान पुरुषों को दर्द नहीं होता है। क्योंकि नसबंदी की पुरानी पद्धति में बहुत दर्द होता था। लेकिन एनएसवी सरीखी नयी पद्धति के चलते अब पुरुष झटपट नसबंदी कराके अपेक्षाकृत जल्दी अपने काम पर लौट सकते हैं और अब नई तकनीक में एनेस्थीसिया देते समय इंजेक्शन लगाने के दौरान, नाममात्र का ही दर्द होता है।
मर्दाना शक्ति पर असर?
ज्यादात्तर पुरुषों को लगता है कि नसबंदी करवाने से उनकी सेक्सलाइफ पर असर पड़ता है, नसबंदी के बाद सेक्स प्लेजर नहीं मिलता है। नसबंदी के बाद कुछ महीनों तक टेस्टिकल में आपको हल्का दर्द हो सकता है। लेकिन सेक्स में रुचि, इरेक्शन क्षमता, या स्खलन पर कोई प्रभाव नहीं होता। विशेषज्ञों की माने तो नसबंदी कराने से किसी प्रकार की नपुसंकता या नामर्दी नहीं आती है बल्कि इससे शीघ्रपतन की शिकायत दूर हो जाती हे। अनचाहें गर्भ की चिंता दूर हो जाती है तो यौन संबंध बनाने में पहले से ज्यादा प्लेजर मिलता है।
पुरुषों के टेस्टोस्टेरोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता
कई पुरुषों की गलत धारणा है कि नसबंदी के बाद पुरुषों के हार्मोन पर फर्क पड़ता है लेकिन ये गलत है। नसबंदी में शुक्राणु वाहिनी नालिकाओं को बांध दिया जाता है। जिससे शुक्राणु शरीर के बाहर नहीं जा पाते हैं ये शरीर में ही घुलकर रह जाते हैं। इस प्रकार शरीर के स्वस्थ रहने भी सहायक होते है। इससे पुरुषों के टेस्टोस्टेरोन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अमेरिका के अनुसंधानकर्त्ताओं का कहना है कि नसबंदी कराए हुए व्यक्तिओं का स्वास्थ्य दूसरे व्यक्तियों की तुलना में अधिक अच्छा होता है वे अधिक दिन जीवित रहते हैं।
कमजोरी आ जाती है?
कई पुरुषों को लगता है कि नसबंदी कराने से पुरुषों में शारीरिक कमजोरी आ जाती है, लेकिन ये गलत धारणा है। डेली रुटीन के कामों पर लौटने के लिए पुरुषों को नसबंदी के बाद एक दो दिन का आराम बहुत जरुरी होता है। ज्यादातर पुरुष 2-3 दिन बाद काम पर जा सकते हैं। नार्मल फिजिकल एक्टिविटीज जैसे की भागना, वर्क आउट, भारी समान उठाना आदि एक सप्ताह रुक कर शुरु किए जा सकते है।
अगर नसबंदी फेल हो गई तो ?
आजकल नसबंदी असफल होने की कई मामले सामने आते रहते है तो ऐसे में पुरुषों के मन में एक भय ये भी होता है कि अगर नसबंदी फेल हो गई तो? ये बात सही है कि नसबंदी करवाते ही एक तुरंत प्रभावी न हीं हो जाती है। यह तरीका प्रभावी होने में कई महीनों ले सकता है। क्योंकि ट्यूब्स में स्पर्म्स रह सकते हैं जो वीर्य के साथ निकलते हैं। इस समय के दौरान, कोई और प्रोटेक्शन की जानी चाहिए नहीं तो महिला गर्भवती हो सकती है। कम से कम तीन महीने के बाद यह तरीका प्रभाव हो सकता है। तीन महीने के बाद स्पर्म काउंट के लिए किए जाने वाले टेस्ट से पता किया जा सकता हैं की नसबंदी सफल हुई है या नहीं।