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World No Tobacco Day 2023 : सेकेंड हैंड स्मोकिंग से हो सकता है बांझपन और कैंसर
World No Tobacco Day 2023 : क्या आपने सुना सेकेंड हैंड स्मोकिंग के बारे में? सेकेंड हैंड स्मोकिंग से मतलब होता है कि सिगरेट पीने वाले से ज्यादा खतरा उसको होता है जो सिगरेट पीने वाले के पास बैठा होता है और सिगरेट के धुंए का सेवन करता है। स्मोकर्स के पास बैठकर सिगरेट के धुंए का सेवन करना सेकंड हैंड स्मोकिंग कहलाता है। सेंकड हैंड स्मोकिंग से बच्चों और बड़ों दोनों को गंभीर और जानलेवा बीमारी होने की आशंका रहती है।
सैकेंड हैंड स्मोकिंग करने वाले के दिल और ब्लड वेसेल्स पर इसका सीधा असर होता है। सिगरेट पीने वाले की तुलना में उनके साथ रहने वाले व्यक्ति को दिल की बीमारी होने का 25 फीसदी अधिक ख़तरा होता है। सेंकड हैंड स्मोकिंग से बच्चों और बड़ों दोनों को गंभीर और जानलेवा बीमारी होने की आशंका रहती है। उनमें फेफड़े का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
आइए जानते है कि सेकेंड हैंड स्मोकिंग की वजह से और क्या समस्याएं हो सकती है। World No Tobacco Day 2018 : नहीं छूट रही है स्मोकिंग की लत, इन आयुर्वेदिक तरीकों को जरुर ट्राय करे
गर्भवती महिलाओं पर बुरा असर
गर्भवती महिला अगर स्मोकिंग करती हैं या फिर सेकेंड हैंड स्मोकिंग करती हैं तो इससे उनके होने वाले बच्चे पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है। सेकेंड हैंड स्मोकिंग से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, सैकंड हैंड स्मोकिंग से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होता है क्योंकि उनके फेफड़े और अंग नाजुक होते हैं और प्रदूषण, धुंए या धूम्रपान के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
नवजात
बच्चों
पर
होता
है
ये
असर
असामान्य ब्लड प्रेशर होता है, उनके होठों में दरार पड़ सकती है, ख़ून की कमी, पेट दर्द, सांस लेने में तकलीफ़ या अस्थमा, आंखों में तकलीफ़ हो सकती है। इसके अलावा ये मिसकैरेज और नवजात शिशु मृत्यु की भी एक बड़ी वजह होती है। जिन बच्चों की माएं प्रेग्नेन्सी और बच्चों के जन्म के बाद सिग्रेट पीती हैं, उन बच्चों की मौत की आशंका उन बच्चों से 3-4 गुना ज्यादा होती है जिनकी माएं सिग्रेट नहीं पीती हैं। इससे बिल्कुल साफ़ है कि तंबाकू और शिशु मृत्यु दर में सीधा संबंध है। धूम्रपान छोड़ने के पुरुषों के लिए 20 उपाय
बांझपन
की
समस्या
एक शोध में बात सामने आई थी कि धूम्रपान या सैकंड स्मोकिंग की वजह से शरीर में जा रहे तंबाकू महिलाओं के प्रजनन तंत्र पर विपरीत प्रभाव डालने के साथ उनके हार्मोनल संतुलन को भी खराब कर देते है। प्रजनन तंत्र पर विपरीत असर पड़ने से गर्भवती होने में महिलाओं को दिक्कतों को सामना करना पड़ता है जबकि हार्मोनल संतुलन बिगड़ने से समय पूर्व रजोनिवृति का सामना करना पड़ सकता है।
ब्लड
प्रेशर
की
समस्या
यदि सिगरेट के धूएं के संपर्क में आप सिर्फ 30 मिनट तक रहते है तो आपको हार्ट रेट, बीपी जैसी समस्याएं हो सकती है।
अस्थमा का खतरा
सेकेंड हैंड स्मोकिंग के कारण फेफड़े से संबंधित समस्याएं होती है जैसे कि अस्थमा का खतरा आदि। यदि आपके घर में बच्चे है तो उन्हें स्मोकिंग से दूर रखे।
कैंसर की सम्भावना
ज्यादातर लोग समझते हैं कि सिगरेट से सिर्फ फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है। ये बात सच है कि इससे सबसे ज्यादा फेफड़ों के कैंसर का खतरा होता है लेकिन धूम्रपान या किसी दूसरे के धूम्रपान के धुंए के प्रभाव में रहने से अन्य प्रकार के कैंसर का खतरा भी 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी सिगरेट के धुएं में 7000 से ज्यादा रसायन होते हैं जिसमे से ज्यादातर रसायन विषैले होते हैं। और यह करीब 70 कैंसर उत्पन्न कर सकते है।
दिल
की
बीमारियां
सेकेंड हैंड स्मोकिंग से दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। धूम्रपान के धु्ंए से आपके कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके धुंए से रक्त की धमनियों में कार्टिसोल जम जाता है और इससे रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है। इसकी वजह से आपको हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉक और गंभीर स्ट्रोक का खतरा होता है। रिसर्च से ये भी पता चलता है कि स्मोकिंग के कारण मर्द और औरत दोनों में इन्फर्टीलिटी बढ़ती है।