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कोरोना के बाद बढ़ी है अल्जाइमर के मरीजों की संख्या, बचाव के लिए अपनाए ये उपाय
कोरोना ने लोगों के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है। एक्सपर्टस की मानें तो दुनिया भर में कोरोना के बाद से अल्जाइमर के मरीजों की संख्या बढ़ी है। भारत में मौजूदा समय में अल्जाइमर के करीब 60 लाख मरीज हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जिन लोगों को कोरोना के माइल्ड सिम्टम्स थे और यहां तक कि जिन्हें हॉस्पिटल जाने तक की जरूरत नहीं पड़ी। उन्हें भी कोरोना होने के कुछ महीनों बाद मेमोरी लॉस और नींद ना आने जैसी समस्याएं हो रही है।
देखा जाए तो, अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है, जो व्यनक्ति के दिमाग को कमजोर कर याद्दाश्तम पर असर डालती है। पहले ये बीमारी ज्या दातर बुजुर्गों में देखने में मिलती थी, लेकिन अब ये कम उम्र के व्य क्ति को भी अपना शिकार बना रही है। आश्चर्य की बात ये है कि अधिकांश लोगों को कई साल बीतने के बाद पता चलता है कि उन्हें अल्जाइमर की समस्या है। क्यूंकि ज्यादातर लोग उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त कम होना सामान्य मानते है। वैसे, अल्जा इमर के बढ़ने का कारण जागरूकता की कमी भी है। और इसी बात को ध्यान में रखते हुए हर साल 21 सितंबर को 'वर्ल्डी अल्जातइमर्स डे' मनाया जाता है। ये हर साल एक थीम के अनुसार सेलिब्रेट किया जाता है। इस वर्ष यानि 2022 की थीम है 'डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें'। तो वर्ल्ड अल्जाइमर डे पर यहां हम आपको कोरोना और एल्जाइमर के बीच का कनेक्शन इस समस्या के अन्य कारण, लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में बताने जा रहे है।
क्या कहती है रिपोर्ट
एल्जाइमर और कोरोना के बीच के कनेक्शन के बारे में हुई रिसर्च 53,000 से अधिक लोगों पर की गई। दो ग्रुप बनाकर की गई इस रिसर्च में एक ग्रुप में वे वयस्क शामिल थे जो कोरोना पॉजिटिव थे , जबकि दूसरे ग्रुप में वो लोग थे जिनका कोरोना टेस्ट नैगेटिव आया था। इसके अलावा इस रिसर्च में एक ग्रुप उन लोगों का भी था जिनका कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं था। इन पार्टिसिपेंटस की सामान्य आयु 47 थी, जिसमें 66 प्रतिशत महिलाएं शामिल थी। रिसर्च में ये बात सामने आई कि कोरोना पॉजिटिव होने के 8 महीनों बाद अधिकांश लोगों को मेमोरी लॉस की प्रॉब्लम आ रही है और कुछ लोग पूरी तरह से फोकस नहीं कर पा रहे है। बल्कि जिन लोगों ने कोरोना टेस्ट नहीं करवाया था, उनमें भी कई लोग इसी तरह की मानसिक समस्याएं से जूझ रहे है। यानि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना अल्जाइमर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है, और ये अल्जाइमर रोग के लिए ब्लड-बेस्ड मॉलिक्यूलर बायोमार्कर बढ़ाने का कारण बन सकता है।
अल्जाइमर के अन्य कारण
- हाई बीपी
- कोलेस्ट्रोल
- डायबिटीज
- जेनेटिक
- हाइपरकोलेस्ट्रोयलेमिया
- स्मोकिंग
- दुर्घटना का शिकार होना
अल्जाइमर के लक्षण
- सोचने समझने की शक्ति ना रहना
- अधिकाशं समय अकेले रहने का मन करना
- बोलचाल की भाषा प्रभावित होना
- समय या जगह नहीं बता पाना
- छोटे-मोटे काम भूलने लगना
- काम करने में असमर्थता
अल्जाइमर से बचाव के उपाय
- अल्जाइमर जैसी बीमारी के साइडइफेक्ट से बचने के लिए फल और सब्जियों का सेवन बहुत जरूरी है। ब्रोकली और गोभी ऐसी पत्तेदार सब्जियां है जो एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स से भरी होती है, ये हमारे ब्रेन को सुचारू रूप से काम करने में मदद करती है। इसके अलावा बेरीज और ड्राई फ्रूटस भी अल्जाइमर के मरीजों के लिए बेस्ट स्नैक्स हैं, क्यूंकि इनका संबंध दिमाग की सेहत से जुड़ा हुआ है, जो अल्जाइमर के संकेतों को धीमा करने में मदद कर सकते है ।
- अल्जाइमर जैसी बीमारी पर काबू पाने के लिए मेंटल गेम काफी फायदेमंद साबित हो सकते है। इसलिए बच्चों के साथ गेम्स खेलें जैसे बोर्ड गेम, पज़ल गैम इत्यादि। इससे आपके ब्रेन की कार्यक्षमता बढ़ती है और ब्रेन फंक्शन में सुधार होता है। ऑनलाइन वीडियो गेम्स खेलने से भी मेमोरी और ब्रेन फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
- अल्जाइमर पर कंट्रोल पाने का एक इलाज ये भी है कि जितना हो सकें, लोगों से बातें करें। इससे आप ना सिर्फ एक्सप्रेसिव होंगे, बल्कि लोगों से बातचीत करने से आप खुद को मेंटली रिफ्रेश महससू करेंगे। जो हेल्दी माइंड के लिए बहुत जरूरी है।
- अल्जाइमर के पीछे स्ट्रेस को भी एक बड़ा कारण माना जा सकता है। इसलिए ये जरूरी है कि स्ट्रेस फ्री रहने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाए। जैसे जब आप स्ट्रेस में हो तो म्यूजिक सुनें, किताबें पढ़े या हर वो काम करें जिसको करके आपको खुशी और मानसिक शांति मिलती है।