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ऑस्ट्रेलिया के कुछ ह‍िस्‍सों में फैली ‘बुरूली अल्सर', जानें क‍ितनी खतरनाक हैं ये बीमारी

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ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में मांस खाने वाली बीमारी बुरूली अल्सर फैल रही है। ऑस्ट्रेलिया के मशहूर शहर मेलबॉर्न में कई मामलों की पुष्टि हुई है। जिसके बाद इसके आसपास वाले इलाकों में रहने वाले लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों को सचेत रहने को कहा गया है। बुरूली अल्सर पर्यावरण में मौजूद माइकोबैक्टीरियम अल्सरान नाम के बैक्टीरिया की वजह से होती है।

ऐसा माना जा रहा है कि बीमारी मच्छरों के कारण और भी तेजी से फैलती है। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने आदेश दिया है कि मच्छरों की रोकथाम के लिए उपाय किए जाएं।

ये होते है शुरुआती लक्षण

ये होते है शुरुआती लक्षण

ये बीमारी आमतौर पर शरीर की त्वचा और कई बार हड्डियों को भी प्रभावित करती है। इससे लाल रंग का निशान बन जाता है। अगर शुरुआत में ही इसका इलाज नहीं कराया जाए तो प्रभावित इलाके से मांस कम होने लगता है। शुरुआत में जो निशान दिखता है, उसमें दर्द नहीं होता। उस स्थान पर सूजन आ जाती है, जिसके चलते कई बार लोगों को गलतफहमी हो जाती है कि ऐसा किसी कीड़े के काटने की वजह से हो रहा है।

सभी आयु वर्ग के ल‍िए खतरा

सभी आयु वर्ग के ल‍िए खतरा

अभी तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि बीमारी की शुरुआत आखिर कहां से हुई है। जिसका सीधा मतलब ये है कि बीमारी से बचने के लिए प्राथमिक तौर पर रोकथाम के कोई उपाय नहीं किए जा रहे। सभी आयु वर्ग के लोगों को संक्रमण के लिए संवेदनशील बताया गया है। उन लोगों को इसका सबसे अधिक खतरा है, जो कोरोना वायरस से प्रभावित इलाकों में रह रहे हैं या वहां से यात्रा करके लौटे हैं। माइकोबैक्टीरियम अल्सरान 29-33 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर बढ़ता है और इसे फैलने के लिए कम ऑक्सीजन की जरूरत होती है। अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के 33 देशों में संक्रमण के मामले सामने आए हैं।

इलाज

इलाज

इस बीमारी से शरीर के किसी भी हिस्से पर निशान बन सकता है लेकिन सबसे अधिक निशान टांगों पर पड़ने की आशंका बनी रहती है। मरीज को संक्रमित करने के लिए ये बीमारी चार हफ्ते से नौ महीने तक का समय लेती है। शरीर के जिस भी हिस्से को ये बैक्टीरिया प्रभावित करता है, वहीं पर त्वचा कम होने लगती है। कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जहां मरीज को विकलांगता तक का सामना करना पड़ा है। इस बीमारी का इलाज करने के ल‍िए खास तरह की एंटीबायोट‍िक दवाईयां, स्‍टेरॉयड्स दिए जाते है। इनकी डोज कुछ हफ्तों ते ही दी जाती है ज्‍यादा जरुरत पड़ने पर कई महीनों तक हैं। अगर यह बीमारी तेजी से फैलने लगी तो आपके शरीर का कोई अंग भी काटना पड़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे लेकर कहा है कि बीमारी को शुरुआती चरण में ही रोकने के लिए इसकी त्वरित पहचान और एंटीबायोटिक के जरिए इलाज करना जरूरी है।

English summary

Buruli Ulcer Spreads in Parts of Australia: Things to Know about the Flesh eating Disease in Hindi

Buruli ulcer often starts as a painless swelling of the affected area, which is usually the arms, legs or face. Large ulcers eventually develop, usually on the arms or legs.
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