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चातुमार्स डाइट : हिंदू कैलेंडर के इन 4 पवित्र माह में वर्जित है प्याज, लहुसन और मांस का सेवन, जानें क्यों?
सावन माह के साथ चातुर्मास की शुरुआत हो जाएंगी। हिंदू कैलेंडर में चातुर्मास यानी श्रावन, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक माह को धार्मिक माना जाता है। चातुमार्स के दौरान सबसे ज्यादा व्रत त्योहार पड़ते हैं। इसलिए इन धार्मिक महीनों के दौरान हिंदू धर्म में प्याज-लहुसन और मांस का सेवन करना वर्जित होता है। पुराने समय में लोग इन बातों का बहुत ध्यान रखते थे। लेकिन अगर इस बात का अगर वैज्ञानिक पहलू देखा जाए तो इस मौसम में मौसमी बीमारियों का डर ज्यादा रहता है इसलिए इस दौरान इन चीजों को खाने से बचना चाहिए।
जानें असली वजह
दरअसल पुराने जमाने में लोग अपने सेहत को लेकर काफी सजग थे। इसलिए वो धर्म और माह के अनुसार खानपान के नियमों का अनुसरण किया करते थे। चातुर्मास में अधिकत्तर हिंदू इस वजह से भी प्याज-लहुसन और मांस से दूरी बना लेते थे कि क्योंकि इस चार माह ज्यादात्तर लोग मनन-चिंतन, ध्यान, योग, धार्मिक कार्यों में समय व्यतीत करते थे। क्योंकि बरसात के पानी से होने वाली मौसमी बीमारियों के संक्रमण का खतरा बना रहता था। ये वो ही समय है जब सबसे ज्यादा बीमारी फैलती है। यहीं कारण है कि इन चार माह में लोग खान-पान के नियमों को गंभीरता से लेते थे।
पेट की दिक्कतें बढ़ जाती है
मानसून के दौरान पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है और ऐसे में चिकन, मटन, मछली जैसे से खाद्य पदार्थों को पचा पाना मुश्किल होता है। यही कारण है कि मानसून में गैस्ट्रिक और पेट से जुड़ी समस्याओं की ज्यादा शिकायतें रहती है। इसलिए शास्त्रों में भी इन चीजों को खाने का परहेज बताया है। सेहत के लिहाज से इन चार माह आपको ये वस्तुएं खाने से परहेज करना चाहिए।
क्या खाने से परहेज करें
चातुर्मास के दौरान दूध या डेयरी पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि बरिश में इन्हें पचाना मुश्किल होता है। मांस, प्याज और लहसुन के अलावा हमें उड़द और मसूर की दाल का ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए। साथ ही मसाला वाले भोजन, तेल और नमक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
क्या जरुर खाएं
इन माह के दौरान हमें स्वस्थ रहने के लिए ज्यादा से ज्यादा मौसमी फलों का सेवन करना चाहिए। इसलिए चातुमर्स में हमें ज्यादा से ज्यादा सात्विक भोजन को ज्यादा प्रिफरेंस देना चाहिए। क्योंकि ये पचाने में आसान होने के साथ हर पेट से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती है।