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सिर्फ द‍िमाग ही तेज नहीं करता है शंखपुष्‍पी, डायब‍िटीज और माहवारी में है वरदान

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शंखपुष्पी फूल देखने में काफी सुंदर और शंख के आकार का होता है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल जड़ी-बूटी के रूप में किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, शंखपुष्पी एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जो दिमाग को स्वस्थ रखने के साथ-साथ अनेक तरह की बीमारियों को दूर करने वाली औषधि के रूप में काम आती है। शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी होती है और यह स्वाद में कसैली होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, आज के तनावपूर्ण वातावरण में प्रत्येक व्यक्ति को इसका सेवन करना चाहिए। इस पौधे के फूल, पत्ते, तना, जड़ और बीज समेत लगभग सभी हिस्सों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। आइए, जानते है शंखपुष्पी के फायदे।

याददाश्त बढ़ाने में मददगार-

याददाश्त बढ़ाने में मददगार-

दिमाग की मजबूती बढ़ाने के लिए शंखपुष्पी से अच्छी कोई औषधि नहीं मानी जाती। शंखपुष्पी का हमेशा से प्रयोग मस्तिष्क से संबंधित रोगों में किया जाता है। इसके अद्भुत गुणों के कारण प्राचीन काल से ही गुरुजन अपने शिष्यों को बह्म मुहूर्त में जड़ सहित इसके पूरे पौधे को ताजा पीसकर दूध या मक्खन के साथ शहद, मिश्री या शक्कर मिलाकर सेवन करने का उपदेश देते रहे हैं ताकि उनकी बुद्धि प्रखर हो जाए। शंखपुष्पी और गिलोय का सत्व, अपामार्ग की जड़ का चूर्ण, विडंग के बीजों का चूर्ण, कूठ, वचा, शतावरी और छोटी हरड़ को समान मात्रा में मिलाकर सुबह-शाम 3-3 ग्राम की मात्रा दूध के साथ सेवन करने से याददाश्त तेज होती है।

बाल बनें लंबे और चमकदार-

बाल बनें लंबे और चमकदार-

यह औषधि बालों को बढ़ाने वाली तथा इन्हें चमकदार बनाने वाली है। इसका जड़ सहित पूरा पौधा पीसकर उसका लेप सिर पर लगाने से बाल लंबे, सुंदर और चमकदार होते हैं। शंखपुष्पी की जड़ को पीसकर उसके रस की कुछ बूंदें नाक में डालने से समय से पहले बाल सफेद नहीं होते। इसके रस को शहद में मिलाकर पीने से बालों का झड़ना रुक जाता है और बाल घने, मजबूत और चमकदार हो जाते हैं। शंखपुष्पी, भृंगराज और आंवला से निर्मित तेल बालों में लगाने से बाल स्वस्थ होते हैं।

 खून की उल्टी रोके-

खून की उल्टी रोके-

शंखपुष्पी खून की उल्टी रोकने वाली उत्तम औषधि है। यदि किसी को खून की उल्टी हो रही हो, तो 4 चम्मच शंखपुष्पी का रस, 1 चम्मच दूब घास तथा 1 चम्मच गिलोय का रस मिलाकर पिलाने से तत्काल लाभ होता है। नाक से खून बहने पर भी इसकी बूंद नाक में डालने से खून आना बंद हो जाता है।

गर्भाशय को ताकत दे-

गर्भाशय को ताकत दे-

गर्भाशय से निकलने वाले रक्त को रोकने के लिए यह एक उत्तम और पौष्टिक औषधि है। गर्भाशय से संबंधित किसी भी रोग में यह अत्यंत लाभकारी साबित होती है। इसके लिए शंखपुष्पी को हरड़, घी, शतावरी और शक्कर मिलाकर सेवन करना चाहिए।

अस्थमा, सर्दी, खांसी, बुखार ठीक करे-

अस्थमा, सर्दी, खांसी, बुखार ठीक करे-

मौसम बदलने के साथ-साथ अस्थमा, सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। ऐसे में शंखपुष्पी एक असरदार औषधि साबित होती है। बुखार, अस्थमा और पुरानी खांसी से राहत के लिए इसके पत्तों को सुखाकर हुक्के की तरह इसका सेवन करने से लाभ होता है। शंखपुष्पी शरीर में पित्तदोष के रस का संतुलन बनाए रखती है, जिससे एसिडिटी की समस्या से राहत मिलती है। इसके लिए शंखपुष्पी के पत्ते का 4 छोटा चम्मच रस निकालकर 1 गिलास दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह सेवन करें। खांसी में इसके रस का सेवन तुलसी और अदरक के साथ कराया जाता है।

मिर्गी ठीक करे-

मिर्गी ठीक करे-

मिर्गी के मरीज को शंखपुष्पी के पूरे पौधे के रस या चूर्ण को कूठ के चूर्ण के साथ समान मात्रा में मिलाकर शहद के साथ देने से लाभ मिलता है। इससे मरीज के दिमाग को शक्ति मिलती है। हिस्टीरिया और उन्माद जैसे रोगों से मुक्ति दिलाने में भी शंखपुष्पी अचूक साबित होती है। इसके लिए शंखपुष्पी, वचा और ब्राह्मी को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें और इसे 3-3 ग्राम की मात्रा दिन में तीन बार दें, रोग ठीक जाएगा।

 बवासीर एवं कब्ज दूर करे-

बवासीर एवं कब्ज दूर करे-

बवासीर एवं गैस के रोगों में शंखपुष्पी अत्यंत लाभकारी औषधि साबित होती है। इसके सेवन से आंतों के अंदर रुका हुआ (मलरूपी) विष बाहर निकलता है और कब्ज एवं बवासीर दूर होता है।

नियमित सेवन लाभकारी-

शंखपुष्पी का नियमित सेवन 6 माह तक किया जा सकता है। इससे शरीर के कई रोग दूर होते हैं एवं मन शांत होता है। इसके चूर्ण की मात्रा 3 से 5 ग्राम तक ली जाती है। इसके रस की मात्रा 5 से 20 मिली लीटर तक ली जाती है। इसके सेवन के तुरंत बाद दूध का सेवन करना चाहिए। शंखपुष्पी के सेवन से पाचन शक्ति भी ठीक रहती है। शंखपुष्पी अपने प्रभाव से बढ़े रक्तचाप को घटाकर सामान्य करने वाली मुख्य औषधि है। यह धातुओं (रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा एवं शुक्र) को बढ़ाने वाली, आयुवर्धक, शरीर में कांति लाने वाली, स्वर एवं वाणी को ठीक करने वाली, तनाव को दूर करने वाली तथा कृमिरोग का नाश करने वाली होती है।

English summary

Know Shankhpushpi Health Benefits

in Ayurvedic medicine Shankhpushpi has been consumed for centuries as a brain and nerve tonic, anti-stress and calmative.
Story first published: Wednesday, November 11, 2020, 15:56 [IST]
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