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coronavirus: क्या होती है प्लाज्मा थैरेपी, जानें कैसे ये काम करती है
दुनियाभर में विकराल रूप धारण करते जा रहे कोरोना वायरस को रोकने के लिए दुनिया के कई देशों में इसके इलाज की खोज की जा रही है। कोरोना संकट के बीच डॉक्टर की तरफ से इलाज ढूंढने के लगातार प्रयास जारी हैं। दिल्ली के कई अस्पताल में डॉक्टर प्लाज्मा थेरेपी से मरीजों का इलाज करने के प्रयास में डॉक्टर लगे हुए हैं। इससे पहले कोरोना वायरस से जूझ रही दिल्ली के लिए अच्छी खबर है कि पहले स्टेज में प्लाज्मा थेरेपी कारगर साबित हुई है।
कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी कारगर मानी जा रही है। प्लाज्मा थेरेपी कोरोना से पहले भी कई बार संकट के मौके पर अपना सटीक काम कर चुकी है।
कोरोना वायरस के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल सिर्फ दिल्ली में ही नहीं हो रहा है, बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के अलावा अमेरिका, स्पेन, दक्षिण कोरिया, इटली, टर्की और चीन समेत कई देशों में इसका इस्तेमाल हो रहा है।
अगर प्लाज्मा थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल सफल होता है तो कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से कोविड19 रोग से पीड़ित अन्य मरीजों का उपचार किया जा सकेगा।
चीन में रहा सफल
चीन में कोरोना वायरस का मामला सामने आने पर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल शुरू किया गया था। चीन में जहां कोरोना का मामला बढ़ा, वहां पर भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया। वहां भी रिजल्ट सकारात्मक रिजल्ट आए।
2002 में SARS पर इस्तेमाल
प्लाज्मा थेरेपी को पहले भी कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाया गया। वायरस से संबंधित कई गंभीर बीमारियों का इस थेरेपी से इलाज किया जा चुका है। प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 2002 में किया गया। 2002 में सार्स (SARS, Severe Acute Respiratory Syndrome) कहते हैं, नाम के वायरस ने कई देशों में तबाही मचा रखी थी। इस वायरस के खात्मे के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया। सार्स के बाद 2009 में खतरनाक एच1एन1 इंफेक्शन को रोकने के लिए प्लाज्मा थेरेपी से इलाज किया गया था, जिसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिली। इसी तरह 2014 में इबोला जैसे खतरनाक वायरस को रोकने के लिए भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया। तब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इबोला को रोकने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। 5 साल पहले 2015 में मर्स (Middle East respiratory syndrome) के इलाज में भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया।
क्या होती है प्लाज्मा थेरेपी ?
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके व्यक्तियों के खून से प्लाज्मा निकालकर दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को चढ़ाया जाता है। दरअसल संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है और 3 हफ्ते बाद उसे प्लाज्मा के रूप में किसी संक्रमित व्यक्ति को दिया जा सकता है ताकि उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगे।
प्लाज्मा संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के खून से अलग कर निकाला जाता है। एक बार में एक संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से 400ml प्लाज्मा निकाला जा सकता है। इस 400ml प्लाज्मा को दो संक्रमित मरीजों को दिया जा सकता है।
इससे कैसे किया जाता है इलाज
कोरोना से ठीक हो चुके एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है. प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम इस धारणा पर काम करता है कि जो मरीज किसी संक्रमण से उबर कर ठीक हो जाते हैं उनके शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाले प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं. इसके बाद उस वायरस से पीड़ित नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है। प्लाज्मा थेरेपी कोई नई थेरेपी नहीं है। डॉक्टरों का मानना है की ये एक प्रॉमिनेंट थेरेपी है जिसका फायदा भी हुआ और कई वायरल संक्रमण में इसका इस्तेमाल भी हुआ है।