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साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी से मालूम चलेगा कैसी थी सुशांत सिंह राजपूत की द‍िमागी हालत, जाने इसके बारे में

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अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच में सीबीआई अब साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का भी सहारा लेगी। इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि मौत से पहले सुशांत सिंह राजपूत के दिमाग में क्या चल रहा था। इसमें सुशांत की दिमागी हालत जानने की कोशिश की जाएगी, जिससे मौत के पीछे के कई सवालों का जवाब मालूम किया जा सके। हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी की मौत की मिस्ट्री सुलझाने में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा लिया जा रहा है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी हत्या या आत्महत्या केस की गुत्थी सुझलाने में इस जांच का अहम योगदान होता है। इसमें संबंधित व्यक्ति के मरने से पहले की मनोस्थिति का पता लगाया जाता है। साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा अधिकतर आत्महत्या के केस में लिया जाता है। इसके जरिए आत्महत्या करने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों के जीवन में मरने से पहले हाल-फिलहाल की चल रही घटनाओं पर अध्ययन किया जाता है।

क्‍या होता है साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी?

क्‍या होता है साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी?

विशेषज्ञ बताते हैं कि सामान्य तौर पर डेड बॉडी यानी शव का ऑटोप्सी, टेस्ट किया जाता है। लेकिन जहां तक साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की बात है, इसकी सहायता अधिकतर आत्महत्या के केस में ली जाती है। इसके माध्यम से यह पता लगाया जाता है कि जिसकी मौत हुई है, उसका साइकोलॉजिकल मेकअप क्या था? उसके सोचने का तरीका क्या था? उसने मरने के कुछ दिनों पहले क्या-क्या किया था? उसका व्यवहार कैसा था? ऐसे सारे सवालों का जवाब जानने की कोशिश की जाती है।

सुशांत मामले की बात की जाए तो इसमें अभिनेता के लिखे नोट्स, किताब, व्हाट्सएप मेसेज चैट, सोशल मीडिया पर लिखी हुई तमाम पोस्ट का सीबीआई की फोरेंसिक टीम अध्ययन करेगी। इसके साथ ही परिवार वालों और दोस्तों से भी बातचीत करेगी।

उनकी मानसिक स्थिति में किस तरह का बदलाव आ रहा था, क्या वो आत्महत्या के बारे में सोच रहा था या फिर वो किसी तनाव में था। यानी कि साइक्लॉजिकल ऑटोप्सी के जरिए व्यक्ति की मेटंल कंडीशन के बारे में जानने की कोशिश की जाएगी।

पहले भी हो चुका है इसका इस्‍तेमाल

पहले भी हो चुका है इसका इस्‍तेमाल

यह कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी की मौत की गुत्थी सुलझाने में साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा लिया जा रहा है। इससे पहले चर्चित सुनंदा पुष्कर केस और दिल्ली के बुराड़ी में 11 लोगों की मौत के मामले में भी ऑटोप्सी का सहारा लिया जा चुका है।

विदेशों में ब‍हुत फेमस तरीका

विदेशों में ब‍हुत फेमस तरीका

विदेशों में बढ़ते आत्‍महत्‍या के केसेज में तस्‍दीक करने के ल‍िए पुल‍िस साइकोलॉजिकल आटोप्‍सी एक फेमस तरीका बन गया है। बीते कई सालों में दुनिया के कई देशों में भी आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। इन मामलों में आत्महत्या के कारणों को जानने के लिए साइकोलॉजिकल आटोप्‍सी की मदद ली गई, जिसमें पता चला कि ज़्यादातर मौतों की वजह बेरोज़गारी, अकेलापन, डिप्रेशन, मानसिक विकार और नशे की लत थी।

English summary

What is Psychological Autopsy? Why CBI is conducting it in Sushant Singh Rajput case?

A psychological autopsy (PA) is understood as a procedure which helps to classify fatal situations in which the manner of death (e.g., suicide, accident, etc) is uncertain or not immediately clear.
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