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स्तन कैंसर से लड़ने में भावनाएं मददगार

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न्यूयार्क, 3 अगस्त (आईएएनएस)| एशियाई-अमेरिकी स्तन कैंसर के मरीजों के लिए अपने डर, भावना और कैंसर निदान के लाभ को लिखित रूप में व्यक्त करना फायदेमंद हो सकता है। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है। यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन में सांस्कृतिक एवं स्वास्थ्य शोध केंद्र के सहायक प्रोफेसर क्वि आन लू ने कहा, "भावनाओं को लिख कर व्यक्त करने का कौशल लेखन निर्देश है। वरना, लेखन सिर्फ एक दस्तावेजी तथ्य और घटना मात्र है।"

लू ने अपने शोध में पाया कि एशियाई-अमेरिकी स्तन कैंसर के मरीज कैंसर की वजह से शर्म और खुद को कलंकित महसूस करते हैं और सामाजिक सौहार्द को नुकसान न पहुंचाने के लिए अपनी भावनाएं दबाकर अकेले दुख सहने के लिए खुद को मजबूर पाते हैं। पुरुषों को भी होता है ब्रेस्‍ट कैंसर

 Emotions can fight with breast cancer

शोध के दौरान लू की टीम ने प्रतिभागियों से तीन सप्ताह की अवधि में प्रत्येक सप्ताह 20 मिनट तक अपनी भावनाओं को लिखकर व्यक्त करने के लिए कहा और उनको लेखन के लिए अलग अलग निर्देश भी दिए गए। शोध में पाया गया कि प्रतिभागियों ने लेखन को आसान कार्य के रूप में स्वीकार किया और अपनी भावनाएं उजागर करने के साथ अपने वो अनुभव भी साझा किए, जो उन्होंने किसी के भी साथ साझा नहीं किए थे।

शोध में पाया गया कि भावनाओं को लिखकर व्यक्त करने का सीधा प्रभाव दिमागी तनाव झेलने और संक्रमण एवं बीमारी से लड़ने की शारीरिक क्षमता पर पड़ता है। लू ने कहा, "मैंने अपने शोध में पाया कि प्रतिभागियों द्वारा अपने डर और गहरी भावनाओं को लिखकर व्यक्त करने से स्तन कैंसर के मरीजों में उनके शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।" यह शोध जर्नल हेल्थ साइकलॉजी में प्रकाशित हुई है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

English summary

Emotions can fight with breast cancer

"In my research, I found long-term physical and psychological health benefits when research participants wrote about their deepest fears and the benefits of a breast cancer diagnosis," Lu contended.
Story first published: Tuesday, August 5, 2014, 11:27 [IST]
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