Just In
- 20 min ago नारियल पानी Vs नींबू पानी, गर्मियों में हाइड्रेड रहने के लिए क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?
- 2 hrs ago Mukesh Ambani Quotes On Success: हर युवा को प्रेरित करते हैं मुकेश अंबानी के ये विचार
- 2 hrs ago Happy Birthday Mukesh Ambani: बुलंदियों पर पहुंचकर भी जड़ों को न भूलने वाले मुकेश अंबानी को दें जन्मदिन की बधाई
- 3 hrs ago Kamada Ekadashi 2024 Wishes: श्रीहरि विष्णु की कृपा के साथ प्रियजनों को भेजें कामदा एकादशी की शुभकामनाएं
Don't Miss
- News Israle-Iran Live: इजराइल ने ईरान पर मिसाइलों से किया जोरदार हमला, परमाणु ठिकाने वाले शहर में धमाके
- Movies दिव्यांका त्रिपाठी का एक्सीडेंट, टूट गईं इस जगह की हड्डियां, पति ने रद्द किए सारे इवेंट्स!
- Technology Youtube, UPI पेमेंट सपोर्ट के साथ Itel ने भारत में नया फीचर फोन किया लॉन्च, दाम 1800 रुपये से कम
- Education Jharkhand Board 10th Result 2024: कल आयेगा झारखंड बोर्ड 10वीं का परिणाम, कैसे चेक करें JAC Matric Result
- Finance Quarter 4 Result: Bajaj और Infosys ने जारी किया चौथे क्वार्टर का रिजल्ट, दोनों को मिला है बंपर मुनाफा
- Travel बोरिंग जिंदगी से चाहिए ब्रेक तो घूम आएं ये 6 बटरफ्लाई पार्क, जहां फूलों में रंग भरती हैं तितलियां
- Automobiles टोल प्लाजा पर अब नहीं होंगे ये बोर्ड! केंद्र सरकार ने लिया अहम फैसला, जानें डिटेल्स
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
GIRLS ध्यान दें... आयुर्वेद अनुसार ऐसे पाए हेवी ब्लीडिंग से छुटकारा
पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होना एक हद तक सामान्य है लेकिन अगर हर बार ऐसा होता है तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होने की समस्या को मेनोर्रहाजिया कहा जाता है। महिलाओं को ज्यादा ब्लीडिंग होने का पता आसानी से चल जाता है। अगर आपको दिन में कई बार पैड या टैम्पोन बदलने की जरूरत महसूस हो रही है तो जरूर कुछ गड़बड़ है। इसके साथ ज्यादा ब्लीडिंग होने से महिलाओं को एनीमिया और शरीर में हार्मोनल इम्बैलेंस की शिकायत होने लगती है। आयुर्वेदिक में इसे मेनोर्रहाजिया कहते हैं जिसे रक्तप्राधारा या असृग्धारा के नाम से जाना जाता है। असृग का मतबल है रक्त और धारा का मतलब है अत्यधिक बहाव।
आइए जानें पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होने के क्या कारण हो सकते हैं
1.
भोजन
में
लहसुन
और
सरसों
जैसे
डीप
पेनिट्रेटिव
चीज़ों
को
खाना।
2.
तनाव
3.
रोज़
ज्यादा
व्यायाम
करना
4.
अधिक
यौन
सम्बन्ध
बनाना
जिससे
वात
दोष
में
वृद्धि
हो
जाती
है।
5.
लंबे
समय
के
लिए
उपवास
करना,
जिससे
वात
और
पित्त
दोषों
में
वृद्धि
होती
है।
दोनों
दोषों
का
संबंध
मेनोर्रहाजिया
से
है।
महिलाओं में यह समस्या काफी आम है और गंभीर भी, यही कारण है कि बाजार में इसके लिए कई सारी दवाएं मिलती है। ये दवाएं पीरियड्स के दर्द को कुछ समय के लिए कम कर देती है। लेकिन लंबे समय के लिए नहीं और अगर इसे ठीक करना है तो इसका इलाज जड़ से करना होगा। इसके लिए आयुर्वेद में बहुत अच्छा उपाए है जिससे इसे ठीक किया जा सकता है।
सामग्री
- 1 चम्मच शहद
- केसर
बनाने की विधि
1. थोड़ी केसर लें और उसे अच्छे से टुकड़ों में तोड़ लें।
2. अब इसमें एक चम्मच शहद मिला कर खाएं।
आप इसे दिन में एक या दो बार ले सकते हैं।
आप यह कब खा सकती हैं?
1. पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग के दौरान खा सकती है।
2. पीरियड्स के दर्द में
3. प्रीमेस्वास्ट्रल सिंड्रोम
4. पीरियड्स में होने वाले मूड स्विंग में
5. यदि आप के शरीर में ज्यादा पित्त की शिकायत रहती है।
6. नाक से खून बहाना
7. अवसाद
यह उपाय कैसे काम करता है?
केसर में एंटीस्पास्मोडिक की तरह काम करता है जिससे पीरियड्स में होने वाले दर्द में आराम मिलता है। इसके साथ यह रक्तस्राव को भी कम करता है।
यह उपाए कब तक करना है?
अगर आप के आमतौर पर पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो आप पीरियड्स की तारीख से तीन या चार दिन पहले शहद में केसर का सेवन करना शुरू कर दें और तब तक खाएं जब तक पीरियड्स हो रहें हैं। लेकिन अगर आपके ज्यादा ब्लीडिंग नहीं होती है तो और सिर्फ दर्द होता है तो इसे आप ज्यादा पीरियड्स और दर्द के समय पर खा सकती हैं।
कब होगा खराब?
क्योंकि इसमें केसर और शहद है तो यह ख़राब नहीं होता है। लेकिन साथ में यह भी याद रखें कि आप असली केसर का इस्तेमाल करें और उसे एयर टाइट कंटेनर में रखें। इससे आप इसे साल भर इस्तेमाल कर सकती हैं।
क्या बच्चों के लिए यह सुरक्षित है?
- आगरा आपके बच्चे की उम्र तीन साल से ज्यादा है और उसे स्पासमोडिक पेट दर्द होता है तो आप इस उपाए को कर सकती हैं।
- यह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए भी सुरक्षित है।
- इस दवा की ज्यादा खुराक सुरक्षित नहीं है क्योंकि इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
ज्यादा ब्लीडिंग को रोकने के लिए कुछ अन्य उपाय
1. अशोक छाल महिलाओं की सेहत के लिए बहुत उपयोगी है। इससे मासिक धर्म का दर्द कम होता है। इसके बनाने के लिए 25 ग्राम अशोक की छाल का पाउडर और 500 ml पानी में इसे उबाल लें। जब यह 50ml रह जाए तब इसमें 50 m दूध मिलाएं और फिर से इसे उबालें। अब इसे छनि से छान लें। अब इस मिश्रण का 20-30 ml रोज़ सुबह खाली पेट पीएं। जब तक आपके पीरियड्स चल रहें हैं।
2. छुई-मुई की पत्तियों को पीस कर उसमें ताज़ा दूर्वा (सिन्नोन डैक्टाइलॉन) या टंडुलोडका (धोये हुए चावल का पानी) बना लें। और इसे खा सकती हैं।
3. नियमित रूप से किशमिश खाने से शरीर का पित्त शांत होता है और ज्यादा ब्लीडिंग नहीं होती है।
इन सारे आयुर्वेदिक उपचारों को आज़माएँ। और नीचे अपने विचार और टिप्पणियाँ जरूर दें।