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क्या मेनोपॉज का महिलाओं के सेक्स लाइफ पर भी पड़ता है असर?
मेनोपॉज हर महिला के जीवन में एक टर्निंग प्वाइंट होता है, जो महिलाओं के जीवन में शारीरिक और मानसिक सेहत पर भी असर डालने के अलावा सेक्स लाइफ को भी प्रभावित करता है। अगर आप 40 साल की हैं और आपको मेनोपॉज के लक्षण दिखने शुरु हो जाते है।
मेनोपॉज का पहला असर जहां आपका मासिक धर्म होना बंद हो जाता है वहीं आपको खूब मूडस्विंग भी होते है। इस वजह से आपकी सेक्स लाइफ में भी काफी उतार चढ़ाव आने लगता है जानिए कि मेनोपॉज कैसे आपकी सेक्स लाइफ को प्रभावित करता है।
डिप्रेशन
मेनोपॉज का सबसे पहला असर आपके मानसिक स्वास्थय पर पड़ता है। कुछ महिलाएं मेनोपॉज आते ही डिप्रेशन में बंद हो जाती है। इस वजह से उनका मूड बहुत स्विंग करता है।
लो सेक्स ड्राइव
मेनोपॉज की वज़ह से शरीर में हार्मोन्स के स्तर में नाटकीय बदलाव आते हैं। सेक्सुअल इंटिमेसी में अचानक से कमी आने की वजह से सेक्स ड्राइव भी कम हो जाती है। यही नहीं मेनोपॉज के वक़्त दी जानेवाली दवाइयों की वजह से भी पीड़ित महिला अपने पार्टनर के स्पर्श के प्रति असंवेदनशील हो जाती है।
मूड स्विंग और नींद की कमी
मेनोपॉज के बाद शरीर में गर्मी या हॉट फ्लैश होने की वजह से महिलाओं को कम नींद और चिड़चिड़ीपन महसूस होता है। इसी तरह शरीर में हार्मोन्स के स्तर में उतार चढ़ाव के वजह से इस दौरान मूड स्विंग होना बहुत ही सामान्य है। इन दोनों कारणों से महिलाओं की रुचि सेक्स में कम होती जाती है और इसका असर उनकी सेक्स लाइफ पर पड़ता है।
संबंध बनाते समय होता है दर्द
मेनोपॉज के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन की कमी हो जाती है, इससे आपकी योनि में कई बदलाव आते हैं। अधिकतर बदलाव आपको नजर नहीं आते। लेकिन यह सच है कि आपकी योनि पहले जैसी नहीं रहती। लेकिन, मेनोपॉज के बाद सेक्स करना आपके लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इस दौरान आपकी योनि में रक्त प्रवाह कम हो जाता है और शारीरिक संबंध बनाने से योनि में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है और आपकी योनि स्वस्थ रहती है।
वजाइना में ड्रायनेस
मेनोपॉज के समय अचानक से एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है। जिसकी वजह से वजाइना में रक्त का बहाव कम हो जाता है। इसकी वजह से वजाइना में लुब्रिकेशन भी कम हो जाता है और वजाइना में बहुत अधिक सूखापन महसूस होने लगता है।
ऑर्गेज्म में मुश्किल
मेनोपॉज के बाद आपको ऑर्गेज्म तक पहुंचने में अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। लेकिन, इस बात से आपको अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं। आपको यह याद रखने की जरूरत है कि उम्र के साथ ऐसा होना स्वाभाविक है।
वजाइनल इंफेक्शन का ख़तरा
जैसा कि मेनोपॉज़ के दौरान शरीर में ढेर सारे बदलाव आते हैं। इसकी वजह से वैजाइना में बैक्टेरीया के सामान्य स्तर में भी बदलाव आ जाते हैं। एसिडिक माहौल में बैक्टेरीया पनपने और वैजाइनल इंफेक्शन का ख़तरा बढ़ जाता है।