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Akshaya Tritiya 2022: सोना खरीदने की कर रहे हैं प्लानिंग तो नोट कर लें अक्षय तृतीया की तिथि व शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग में आने वाले सबसे शुभ और महत्वपूर्ण दिनों में से एक अक्षय तृतीया का पर्व इस साल 3 मई को मनाया जाएगा। इस दिन किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य और शुभ आयोजन बिना पंचांग देखे ही किये जा सकते हैं। इस दिन को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन श्री हरि विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दान का विशेष पुण्य मिलता है। साथ ही अक्षय तृतीया की तिथि सोने-चांदी की खरीददारी के लिए शुभ मानी जाती है। जानते हैं अक्षय तृतीया की तिथि, पूजन विधि, उपाय और अन्य ज़रूरी जानकारियां।
अक्षय तृतीया की तिथि और शुभ मुहूर्त
वैशाख माह की तृतीय तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 3 मई को पड़ने वाली है।
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त: 05:39:10 से 12:18:13 तक
अवधि: 6 घंटे 39 मिनट
अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का समय - 3 मई को सुबह 05:39 बजे से 4 मई को सुबह 05:38 बजे तक
अवधि - 23 घण्टे 59 मिनट्स
पूजन विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होता है। घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा का गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें पीले फूल और तुलसीदल अर्पित करें। भगवान के समक्ष दीपक और धूप जलाकर आसन पर बैठें और विष्णु चालीसा का पठन करें। विष्णु आरती और भजन से भगवान विष्णु और उनके अवतार परशुराम जी प्रसन्न होते हैं।
अक्षय तृतीया का महत्व
इस दिन को सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में भी जाना जाता है। इस तिथि को विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण, घर, गाड़ी व आभूषणों की खरीददारी करना बेहद शुभ होता है। इस दिन पितरों को किया गया तर्पण और पिंडदान सफल होता है। इस दिन गंगा स्नान करना भी फलदायी माना जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन करें ये उपाय
इस दिन दान का पुण्य अवश्य करें। इस दिन अपनी क्षमता अनुसार सोने-चांदी की खरीददारी ज़रूर करें। इससे घर में माता लक्ष्मी की कृपा बने रहेगी। उन्हें प्रसन्न रखने के लिए भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें। इस दिन 14 प्रकार के दान कर्मों में से कोई एक अवश्य करें।
अक्षय तृतीया के लिए महालक्ष्मी मंत्र
'ॐ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात्..'।
अक्षय तृतीया के लिए विष्णु आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
नोट: यह सूचना इंटरनेट पर उपलब्ध मान्यताओं और सूचनाओं पर आधारित है। बोल्डस्काई लेख से संबंधित किसी भी इनपुट या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी और धारणा को अमल में लाने या लागू करने से पहले कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।