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चाणक्य नीति से जानें बुरा वक़्त आने पर कैसे करें खुद को तैयार
चाणक्य एक महान शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, न्यायिक और चन्द्र गुप्त मौर्य के शासन में शाही सलाहकार थे। कहते हैं चन्द्र गुप्त मौर्य को राजा बनाने में चाणक्य ने बहुत ही अहम भूमिका निभायी थी।
एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले चाणक्य चन्द्र गुप्त मौर्य के न केवल बेहद करीब थे बल्कि उनके गुरु भी थे। आज भी चाणक्य कई लोगों के लिए एक आदर्श मार्गदर्शक हैं। उनकी पुस्तक चाणक्य नीति कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। इसी पुस्तक में से हम आपके लिए कुछ बहुत ही प्रसिद्ध उद्धरण लाए हैं जो आपको ज़रूर प्रेरित करेगी और साथ ही आपको बुद्धिमान भी बनाएगी ताकि ज़रूरत पड़ने पर आप स्वयं की सहायता कर पाएं। तो चलिए जानते हैं उन प्रसिद्ध उद्धरणों के बारे में।
1. “सबसे पहले सीधे वृक्ष को काटने के लिए चुना जाता है, इसलिए सीधा वृक्ष न बनें।”
इसका अर्थ है कि हमें हमारे स्वभाव के कारण कई बार जीवन में दुःख और सुख दोनों ही झेलने पड़ते हैं। ख़ास तौर पर जो लोग ज़रूरत से ज़्यादा सीधे होते हैं उन्हें ज़्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि चालाक और चतुर लोग इनके भोलेपन का फायदा उठाते हैं। चाणक्य के अनुसार ज़रुरत से ज़्यादा सीधा, सरल और सहज होना मूर्खता है। उनका कहना था कि हमें सही और गलत का ज्ञान होना चाहिए। साथ ही हम में इतनी समझ होनी चाहिए कि कौन हमारा भला चाहता है और कौन नहीं। इसी प्रकार वन में सीधे वृक्षों को काटने के लिए हमेशा पहले चुना जाता है क्योंकि टेढ़े मेढ़े वृक्षों को काटना बेहद कठिन होता है।
इसलिए ज़्यादा भोलापन आपके लिए हानिकारक साबित हो सकता है क्योंकि चतुर लोग ऐसे लोगों को ही बेवकूफ़ बनाकर अपना मतलब निकालते हैं। अपने दिल की बात हर किसी को बताने से पहले अच्छे से सोच विचार कर लें और सबकी नज़र में भला बनने की कोशिश में आप मुर्ख बनने से बचें।
2. “फूल की खुशबू केवल हवा की दिशा में जाती है लेकिन एक अच्छे इंसान की अच्छाई हर जगह फैलती है।”
बिलकुल सत्य, हमने कई बार यह पढ़ा और सुना होगा कि इंसान को एक फूल की तरह बनना चाहिए चारों ओर खुशबु फैलाने वाला। लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि फूल की खुशबु हवा के झोंके के साथ ही जाती है यानी जिस दिशा में हवा का झोंका जाता है उसी दिशा में फूल की खुशबु को भी अपना रूख करना पड़ता है। इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं कि इंसान अपनी अच्छाई छोड़ दे। हमें चाहिए की हम भी फूल की तरह ही महके लेकिन हमारी अच्छाई की महक चारों दिशाओं में फैले।
व्यक्ति को अपने स्वयं की सोच को भी अच्छा रखना चाहिए और दूसरों के लिए भी अपनी सोच भली ही रखनी चाहिए। ज़रूरतमन्दों और दुखियों की मदद करके आप अपनी अच्छाई का सबूत दे सकते हैं। ऐसा करके आप स्वयं भी सुकून महसूस करेंगे।
हो सकता है आपके पेशेवर जीवन की सफलता के कारण ही समाज में आपका सम्मान हो पर यदि आप लोगों को यह यकीन दिलाने में असफल रह गए कि आप एक अच्छे इंसान हैं तो आपके बुरे वक़्त में कोई भी आपके काम नहीं आएगा और आप बिल्कुल अकेले पड़ जाएंगे।
3. “दूसरों की गलतियों से भी सीख लेनी चाहिए क्योंकि अपने ही ऊपर प्रयोग करने पर तुम्हारी आयु कम पड़ जाएगी।”
यह सत्य है कि हमें अपनी गलतियों से सबक सीखना चाहिए लेकिन दूसरों की गलतियों से भी हमें बहुत कुछ सीखना चाहिए यह भी एक सत्य है। हम हर पल सतर्क रह कर स्वयं की मदद कर सकते हैं। अपने चारों ओर होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखें और उससे सीख लें यदि आप दूसरों के दुःख में उनकी मदद करेंगे तो वे आपकी अच्छाई से प्रेम करने लगेंगे साथ ही आप भी उनसे बहुत कुछ सीख पाएंगे।
अपने ही जीवन में व्यस्त रहना और इस बात का दावा करना कि आप बुद्धिमान हैं केवल यह काफी नहीं होता और न ही इससे आपका कुछ भला होता है। ज़रुरत के समय लोगों की तरफ मदद का हाथ बढ़ा कर आप खुद के लिए भी अच्छा कर सकते हैं। बुद्धिमान होते हैं ऐसे लोग जो केवल देख कर ही बहुत कुछ सीख लेते हैं।
4. “जैसे ही भय आपके करीब आये, तुरंत उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये।”
हम में से हर किसी को किसी न किसी बात का भय रहता है चाणक्य के अनुसार यदि हम किसी चीज़ से डरने लगे तो वह चीज़ हमें तब तक डराती है जब तक हम उस वस्तु से डरते हैं। डर को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए बल्कि उस समस्या को ही नष्ट कर देना चाहिए जिसके कारण हमारा भय शुरू हुआ है ऐसा करने से हमारा डर हमेशा के लिए दूर हो जएगा।
5. “हमें अतीत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए। विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में ही जीते हैं।”
जो बीत गया उसके बारे में सोच कर कोई फायदा नहीं होता क्योंकि गुज़रा हुआ कल कभी वापस लौट कर नहीं आता। साथ ही भविष्य में क्या होने वाला है इस पर भी ज़्यादा विचार करके मनुष्य को अपना कीमती समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए बल्कि उसे अपने वर्तमान में वे कार्य करने चाहिए जिससे वह खुद भी प्रसन्न रह सके और दूसरों को भी प्रसन्नता दे सके। अपने वर्तमान को बेहतर बनाने से जीवन में सफलता ज़रूर मिलती है।
6. “आपका हमेशा खुश रहना आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है।”
आपका दुश्मन आपको कभी सफल और खुश होता हुआ नहीं देख सकता। आपकी खुशियों की राह में वह कई तरह की बाधाएं उत्पन्न करने की हमेशा ही कोशिश करेगा। यदि आप अपने दुश्मन को सज़ा देना चाहते हैं तो हमेशा खुश रहिये आपकी प्रसन्नता उसकी सबसे बड़ी सज़ा होगी और आपकी ख़ुशी ही उसके दुःख का सबसे बड़ा कारण बनेगी।
7. “अगर सांप ज़हरीला न भी हो तो उसे खुद को ज़हरीला दिखाना चाहिए।”
यदि सांप के अंदर ज़हर न हो तो उसका आंतक भी खत्म हो जाता है। ऐसे में उसे खुद को ज़हरीला दिखाने में ही उसकी भलाई है। यानी मनुष्य को दूसरों के सामने अपनी कमज़ोरी नहीं दिखानी चाहिए ऐसा करने से लोग उसकी कमज़ोरी का फायदा उठा सकते हैं। इसलिए कमज़ोर होते हुए भी खुद को हमेशा मज़बूत रूप में पेश करना चाहिए।