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इस हफ्ते से शुरू हो रहे है आषाढ़ गुप्त नवरात्री, ऐसे करे मां की पूजा-अर्चना

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गुप्त नवरात्रि 2018: कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कुछ नहीं | Gupt Navratri|Boldsky

हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस बार गुप्त नवरात्रि 13 जुलाई को शुरू होने वाली है जो 21 जुलाई को समाप्त हो जाएगी। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त इस दौरान सच्चे मन से आराधना करता है उसे देवी का आशीर्वाद ज़रूर प्राप्त होता है। आइए इस पवित्र पर्व के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानते हैं।

नौ दिनों तक चलने वाली यह पूजा देवी दुर्गा को समर्पित है। इन पवित्र दिनों में माँ दुर्गा की पूजा करके भक्त माता से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं। आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को शुरू होने वाला यह त्योहार माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का पर्व है। प्रत्येक दिन माता के एक रूप की पूजा अर्चना की जाती है।

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पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित है, दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी, तीसरा माँ चंद्रघंटा, चौथा दिन माँ कूष्मांडा, पांचवा दिन माँ स्कंदमाता, छठा दिन माँ कात्यायनी, सातवें दिन माँ कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री को पूजा जाता है।

सप्तशती पाठ का शुभ समय

किसी भी देवी देवता की पूजा के लिए एक विशेष दिन होता है ठीक उसी प्रकार नवरात्रि का पवित्र अवसर सप्तशती पाठ या सप्तशती स्तोत्र के लिए सबसे शुभ माना गया है। कहते हैं इस स्तोत्र को पढ़ने या सुनने से मनुष्य के जीवन से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं साथ ही उसके जीवन में सुख और समृद्धि में भी वृद्धि होती है।

दुर्गा कवच जो इस पाठ का ही एक हिस्सा है मनुष्य को हर तरह की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी नज़र से दूर रखता है। इसके अलावा यह पाठ रोग, दोष, चोरी व्यापार में नुकसान आदि जैसी समस्याओं से भी दूर रखता है और व्यक्ति को सफलता की बुलंदियों तक ले जाता है।

काला जादू

कुछ लोग नवरात्री के दौरान दस महाविद्याओं की पूजा करते हैं ताकि वे महासिद्धि प्राप्त कर सकें। महासिद्धि वह अवस्था है जिसमें न सिर्फ भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है बल्कि भविष्य को बदला भी जा सकता है। इतना ही नहीं नवरात्री में काला जादू भी किया जाता है। हालांकि हर धर्म में काला जादू को बहुत बड़ा पाप माना गया है।

नवरात्रि में व्रत

नवरात्री में न केवल माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है बल्कि लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत भी रखते हैं। इस दौरान भक्त अनाज ग्रहण नहीं करते वे फल या फिर तरल पदार्थ का ही सेवन करते हैं। यहां तक की वे बिस्तर पर न सोकर ज़मीन पर चटाई बिछाकर सोते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पूरे नौ दिनों तक कुर्सी या सोफे पर नहीं बैठते बल्कि ज़मीन पर बैठते हैं। माता की प्रतिमा या चित्र के आगे अखंड ज्योत जलाया जाता है।

आठवें और नौवें दिन को पारण का दिन कहा जाता है। जहां कुछ लोग अष्टमी को अपना व्रत खोलते हैं तो वहीं कुछ लोग नवमी को।

नवरात्रि पारण

पारण के दिन भक्त सुबह से ही अपनी तैयारियों में लग जाते हैं। सबसे पहले प्रसाद बनाया जाता है जैसे हलवा, पूरी और काले चने की सब्ज़ी। कहते हैं माता को यह सब बेहद प्रिय है। हालांकि कुछ लोग खीर भी बनाते हैं। माना जाता है कि यह प्रसाद घर पर ही बना होना चाहिए न की बाज़ार से मंगवाना चाहिए।

प्रसाद बनाने के बाद सबसे पहले माता और अन्य देवी देवताओं को इसका भोग लगाया जाता है। उसके बाद नौ कुंवारी कन्याओं को यह सब खिलाया जाता है। इन कन्याओं को माँ दुर्गा का नौ रूप कहा जाता है। प्रसाद देने से पहले इनके चरण धोये जाते हैं फिर तिलक लगाकर कलाई पर मोली बांधी जाती है। फिर इन्हें श्रृंगार का सारा सामान भेंट किया जाता है और अंत में प्रसाद दिया जाता है।

इन कन्याओं को कंजक भी कहा जाता है और इस पूजा को कंजक पूजा के नाम से जाना जाता है। लोग इनके चरण स्पर्श करके इनका आशीर्वाद भी लेते हैं।

English summary

Ashadh Gupt Navratri July 13 to July 21, 2018

Ashadh Gupt Navratri is one of the most important festivals for the followers of the Shaktism tradition in Hinduism. These are dedicated to the nine forms of the goddess.
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