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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022, पहले दिन करें मां शैलपुत्री की आराधना
हिंदू पंचांग के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आषाढ़ मास में जो नवरात्रि आती है उसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 30 जून 2022 को गुप्त नवरात्रि का पहला दिन है और इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है। यहां हम आपको मां शैलपुत्री के जन्म से जुड़ी दिलचस्प जानकारियां देने के साथ ही उनकी पूजा विधि के बारे में बताने जा रहे है।
मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री है
मां शैलपुत्री देवी के नौ अवतारों में से सबसे पहला रूप है। गुप्त नवरात्रि के पहले दिन यानि 30 जून को मां शैलपुत्री की पूजा करने से विशेष फल मिलेगा। शैल संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है पर्वत और पुत्री यानि बेटी। इसका पूरा अर्थ हुआ हिमालय की पुत्री। देवी दुर्गा को इस नाम से इसलिए जाना जाता है। क्यूंकि उसने पर्वतराज के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया था।
देवी शैलपुत्री ब्रहमा, विष्णु और शिव की शक्तियों का प्रतीक है
मां शैलपुत्री बैल पर विराजित है और उनके दाहिने हाथ में शूल है और बाएं हाथ में बहुत सारे फूल है। उनकी नवरात्रि के पहले दिन पूजा होती है। पूर्व जन्म में माता शैलपुत्री दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थी। जो कि बचपन से ही भगवान शिव को समर्पित थी। जिसके बाद,सती का भगवान शिव के साथ विवाह हुआ। मां शैलपुत्री के पास कई दिव्य शक्तियां है। माता शैलपुत्री आपको अनुभव करने में मदद कर सकती है।
जिंदगी में पूर्णता
मां शैलपुत्री के पास कई दिव्य शक्तियां है। नवरात्रि के पहले दिन ध्यान लगाते समय, श्रद्धालु को मूलाधार चक्र पर फोकस करना चाहिए। यही से नवरात्रि साधना की यात्रा शुरू होती है। ये देवी सभी भौतिक इच्छाओं को पूरा करती है और इससे आप अपनी जिंदगी में पूर्णता का अनुभव कर सकते है। श्रद्धालु को मूलाधार चक्र पर मन केन्द्रित रखने की जरूरत है। ये भक्त की आध्यात्मिक यात्रा के प्रारंभिक बिंदु को दर्शाता है।
मां शैलपुत्री का मंत्र और उनसे जुड़े अन्य तथ्य
ध्यानः वंदे वंचित लाभाय चंद्रदा कृता शेखरम वृषारूढम शूलाधार शैलपुत्री यशशविनिम।
नवरात्रि के पहले दिन के लिए मंत्रः ओम साम शैलपुत्रये नमः। इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
नवरात्रि के पहले दिन का कलर - पीला
नवरात्रि के पहले दिन का प्रसाद - केला, शुद्ध घी और शक्कर