Just In
- 38 min ago इस वजह से दिव्यांका त्रिपाठी की टूटी थी हाथ की हड्डी, Backflip करते हुए न करें ये गलतियां
- 2 hrs ago ब्लेजर से लेकर बोट नेकलाइन ब्लाउज तक, अदिती राव हैदरी के ब्लाउज डिजाइन हैं सबसे हटके
- 3 hrs ago World Malaria Day 2024 : मलेरिया होने पर जल्दी रिकवरी के लिए मरीज को क्या खिलाएं और क्या नहीं?
- 4 hrs ago Personality Test: पैरों का आकार बताता है कई राज, जानें अपनी पर्सनालिटी से जुड़ी ये ख़ास बात
Don't Miss
- News Odisha election 2024: ओडिशा में लुंगी कैसे बन गया चुनावी मुद्दा, BJP-BJD में क्यों चल रहे हैं शब्द बाण?
- Finance JioCinema New Plan: IPL देखने के लिए अब भरने पड़ सकते हैं पैसे, 25 अप्रैल को JioCinema लॉन्च करेगा नया प्लान
- Technology अब कुछ नया पेश करने की प्लानिंग में WhatsApp, बिना नंबर सेव किए कॉल करना होगा संभंव
- Movies अपने बेटे की मौत का मंजर Shekhar Suman को आया याद, फफक कर रोए, कहा- 'मैंने सिर पटक लिया...'
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Education MP Board 12th Toppers List 2024: एमपीबीएसई इंटर रिजल्ट जारी, जयंत यादव ने किया टॉप, 60% पास
- Automobiles भारत में लॉन्च हुई Ultraviolette F77 Mach 2 इलेक्ट्रिक बाइक, मिलेगी 323KM की रेंज, जानें कीमत
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022: दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि में पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। कहते है इस दिन मां की व्रत कथा करने और पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसी भी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की आराधना से तप, शक्ति ,त्याग ,सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है। इस आर्टिकल में हम आपको मां ब्रह्मचारिणी की उत्पत्ति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने के साथ ही नवरात्र के दूसरे दिन के पूजा-विधान के बारे में बताने वाले है।
मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और अच्छे आचरण की देवी है
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है।
मां ब्रह्मचारिणी के हाथ में कमंडल और माला सुशोभित होते है
मां के दाहिने हाथ में जप की माला है और बायें हाथ में कमण्डल है तथा मान्यता ये है कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और साधना करने से कुंडलिनी शक्ति जागृत होती है। हिन्दु मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी पर्वतराज हिमालय और मैना की पुत्री हैं, जिन्होंने भगवान नारद के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी क न तपस्या की, जिससे खुश होकर ब्रह्माजी ने इन्हे मनोवांछित वरदान दिया, जिसके प्रभाव से ये भगवान शिव की पत्नी बनीं। मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों को असंख्य लाभ देने में सक्षम है।
चक्र पर ध्यान लगाने से मिलता है आशीर्वाद
नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त को ध्यान की स्थिति में बैठकर स्वाधिस्थाना चक्र की ओर अपन मन लगाना चाहिए। इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करने वाला पूजक, देवी ब्रह्मचारिणी के स्नेह और आशीर्वाद के अलावा मनवांछित वस्तु प्राप्त करता है। मां ब्रह्मचारिणी के रूप में देवी का ये अवतार भक्त को असंख्य लाभ प्रदान करता है। इनकी पूजा करने से, सफलता और विजय की प्राप्ति की जा सकती है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मूहुर्त
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:57 से दोपहर 12:53 तक।
नवरात्रि के दूसरे दिन के लिए मां ब्रह्मचारिणी का मंत्रः
ओम ब्रह्म ब्रह्मचारीनै नमः। इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
दूसरे दिन का रंग - सफेद
दूसरे दिन का प्रसाद - शक्कर और बिना नमक का मक्खन