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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022, सातवें दिन पाए मां कालरात्रि का आशीर्वाद

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नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से, सभी पाप धुल जाते है और रास्ते में आने वाली संपूर्ण बाधाएं पूरी तरह खत्म हो जाती है। तो यहां हम आपको मां कालरात्रि की उत्पत्ति से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने के साथ ही नवरात्रि के सातवें दिन के पूजा-विधान, भोग, मंत्र और आरती के बारे में बताने वाले है।

Ashadha gupt navratri 2022 day 7 maa kalratri puja vidhi shubh muhurat mantra bhog and aarti

मां कालरात्रि अंधेरे और अज्ञान की विनाशक है

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना का विधान है। वर्ष 2022 में आषाढ़ सुदी सप्तमी की पूजा 6 जुलाई मंगलवार को होगी। मां कालरात्रि अंधेरे और अज्ञान को नष्ट करती है क्यूंकि कालरात्रि अंधेरे की शत्रु है। कालरात्रि देवी माँ के सबसे क्रूर,सबसे भयंकर रूप का नाम है। दुर्गा का यह रूप ही प्रकृति के प्रकोप का कारण है। भले ही मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम 'शुभंकारी' भी है। अतः इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी प्रकार से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र है जो कि ब्रह्मांड के समान गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें निकलती रहती हैं।

जब कालरात्रि सांस लेती या छोड़ती है तो आग की ज्वाला निकलती है

जब मां कालरात्रि अपने नाक से सांस लेती है या छोड़ती है तो आग की भयंकर लपटें निकलती दिखाई देती है। मां कालरात्रि का वाहन गधा है। इस देवी के दाएं हाथ हमेशा उपर की ओर उठा रहता है जो ये इंगित करता है कि मां सभी को आशीर्वाद दे रही है। मां कालरात्रि के निचले दाहिने हाथ की मुद्रा भक्तों के भय को दूर करने वाली है। जबकि उनका बाएं हाथ में लोहे से बना एक कांटे जैसा अस्त्र है और निचले बाएं हाथ में कटार है।

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मां कालरात्रि की पूजा से भक्त सभी सिद्धियां जीत सकता है

माँ कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने वाली हैं। दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते है। ये ग्रह-बाधाओं को भी दूर करने वाली हैं। इनके उपासकों को अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय आदि कभी नहीं होते। इनकी कृपा से वह सर्वथा भय-मुक्त हो जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र तक पहुंच जाता है। इस तरह के भक्तों के लिए, ब्रह्मांड की सभी सिद्धियों को प्राप्त करने के दरवाजे खुल जाते है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है और रास्ते में आने वाली सभी बाधाएं पूरी तरह खत्म हो जाती है।

मां कात्यायनी की पूजा का शुभ मूहुर्त

विजय मुहूर्त : दोपहर 02:45 से दोपहर 03:40 तक।

मां कालरात्रि का मंत्रः ॐ कालरात्रि देव्ये नमः , इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

सातवें दिन का रंग: स्काई ब्लू या ग्रे कलर

सातवें दिन का प्रसादः उड़द दाल का बना वडा और दही व शहद से बना मधुपाक

मां कालरात्रि की आरती

कालरात्रि जय-जय-महाकाली। काल के मुह से बचाने वाली।

दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतार।।

पृथ्वी और आकाश पे सारा। महाकाली है तेरा पसारा।

खडग खप्पर रखने वाली। दुष्टों का लहू चखने वाली।।

कलकत्ता स्थान तुम्हारा। सब जगह देखूं तेरा नजारा।

सभी देवता सब नर-नारी। गावें स्तुति सभी तुम्हारी।।

रक्तदंता और अन्नपूर्णा। कृपा करे तो कोई भी दुःख ना।

ना कोई चिंता रहे बीमारी। ना कोई गम ना संकट भारी।।

उस पर कभी कष्ट ना आवें। महाकाली माँ जिसे बचाबे।

तू भी भक्त प्रेम से कह। कालरात्रि माँ तेरी जय।।

English summary

Ashadha gupt navratri 2022 day 7 maa kalratri puja vidhi shubh muhurat mantra bhog and aarti

Maa Kalratri is worshiped on the seventh day of Navratri. It is said that by worshiping Maa Kalratri, all the sins are washed away and all the obstacles in the way are completely removed. So here we are going to tell you some interesting facts related to the origin of Maa Kalratri, as well as about the worship, Bhog, Mantra and Aarti of the seventh day of Navratri.
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