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विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित बसंत पंचमी पर्व पर जरूर पढ़ें ये वंदना, मिलेगा आशीर्वाद

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बसंत पंचमी का पर्व पूरे देशभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन स्वर, विद्या और कला की देवी माता सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना होती है। इसी कारण यह पर्व बड़ों के साथ साथ बच्चों और विद्यार्थियों के लिए भी बहुत ख़ास होता है। बसंत पंचमी का त्यौहार कई मायनों में शुभ एवम् महत्वपूर्ण होता है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन माता सरस्वती प्रथम बार प्रकट हुईं थी और समस्त देवी देवताओं ने उनकी स्तुति की थी। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन ब्रम्हा ने सृष्टि की रचना भी की थी, इसलिए इस दिन से नए कार्यों को प्रारम्भ करना शुभ माना जाता है। तो चलिए जानते हैं इस वर्ष बसंत पंचमी की तिथि, मुहूर्त और अन्य ख़ास बातों के बारें में-

तिथि एवं मुहूर्त

तिथि एवं मुहूर्त

माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष यह पंचमी तिथि 5 फरवरी को पड़ रही है। पंचमी तिथि 5 फरवरी की सुबह 03:48 बजे से शुरू होकर अगले दिन की सुबह 03:46 तक चलने वाली है। अर्थात् बसंत पंचमी तिथि 5 फरवरी को रहेगी।

सरस्वती पूजन विधि

सरस्वती पूजन विधि

बसंत पंचमी का दिन देवी सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित रहता है। माता सरस्वती की पूजा के लिए पहले उनके आसन वाली जगह को अच्छे से साफ़ करें और उनकी प्रतिमा को स्थापित करें। कलश स्थापित करें, देवी सरस्वती को पीले फूल, पीले फल अर्पित करें और पीले वस्त्र पहनाएं और श्रृंगार करें। इसके साथ ही माता के चरणों में गुलाल चढ़ाएं और बूंदी भी प्रसाद स्वरुप रखें। देवी को पीले रंग का भोजन भोग में लगाएं। इसके साथ ही आरती, सरस्वती मन्त्रों और वंदना पूजा के वक्त गाएं। पुस्तकों और वाद्ययंत्रों को पूजा के वक्त रखें।

बसंत पंचमी की कथा

बसंत पंचमी की कथा

मान्यता अनुसार जब ब्रम्हा ने सृष्टि का निर्माण किया तब पूरी सृष्टि निस्वर थी। इस स्तिथि में ब्रह्मा जी ने आराध्य देव शिवजी और विष्णुजी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल अपने अंजलि में भरकर उच्चारण कर पृथ्वी पर छिड़कना शुरू कर दिया। उन्होंने जहां-जहां जल का छिड़काव किया, वहां-वहां कंपन होने लगा। इस बीच एक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ। इन शक्तिरूपी माता के एक हाथ में वीणा, तो दूसरे हाथ से तथास्तु मुद्रा में थी। इसके साथ ही उन्होंने अन्य दो हाथों में पुस्तक और माला धारण कर रखी थी। यह देख त्रिदेव ने देवी को प्रणाम कर वीणा बजाने की प्रार्थना की। मां के वीणा बजाने से तीनों लोकों में वीणा का मधुरनाद हुआ और त्रिदेव ने मां को शारदे और सरस्वती, संगीत की देवी का नाम दिया। इस तरह देवी सरस्वती की उत्पति हुई जिन्हें आगे चलकर विद्या और स्वर की देवी माना गया और पूजा गया।

English summary

Basant Panchami 2022: Date, Shubh Muhurat, Puja Vidhi, Katha, Saraswati Vandana in Hindi

Basant Panchami is a Hindu festival, celebrated during Spring usually in February. Goddess Saraswati is worshipped on this auspicious day. Check out the details of the festival in Hindi.
Story first published: Monday, January 24, 2022, 12:29 [IST]
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