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भौम प्रदोष व्रत से जुड़ी कथा के पाठ से मिलता है भगवान शिव और हनुमान का आशीर्वाद

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प्रदोष व्रत जब मंगलवार के दिन पड़ता है तब उसे मंगल प्रदोष अथवा भौम प्रदोष कहा जाता है। प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव को समर्पित है और मंगलवार के दिन यह पर्व पड़ने से बजरंगबली की आराधना भी की जाती है। भौम प्रदोष व्रत के दिन भोलेनाथ और हनुमान जी का पूजन किया जाता है।

Bhaum Pradosh Vrat Katha in Hindi

इससे जातक के जीवन में चल रही कठिनाईयों का हल मिलता है और साथ परभी का आशीर्वाद बना रहता है। प्रदोष व्रत के दिन व्रत कथा सुनने या पढने का भी बड़ा महत्व है। भौम प्रदोष व्रत के दिन जरुर पढ़ें इससे जुड़ी ये प्रचलित व्रत कथा।

भौम प्रदोष व्रत कथा

एक समय की बात है। एक स्थान पर एक बहुत ही वृद्ध महिला रहती थी। उस का एक पुत्र था। वह महिला बजरंगबली की भक्त थी। हमेशा हनुमान जी की पूजा पूरे विधि-विधान से करती थी। वह हर मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा करती थी। एक बार हनुमान जी ने अपने इस भक्त की परीक्षा लेने के बारे में सोचा।

वे एक साधु का वेश धारण करके वृद्धा के घर आए। उन्होंने आवाज लगाते हुए कहा कि कोई है हनुमान भक्त, जो उनकी इच्छा को पूर्ण कर सकता है। यह आवाज सुनते ही वृद्धा जल्दी से बाहर आई। उसने साधु को प्रणाम किया और कहा कि आप अपनी इच्छा बताएं। इस पर हनुमान जी ने उससे कहा कि उनको भूख लगी है, वे भोजन करना चाहते हैं, तुम थोड़ी सी जमीन लीप दो। इस पर उस वृद्ध महिला ने हनुमान जी से कहा कि आप जमीन लीपने के अतिरिक्त कोई और काम कहें, उसे वह पूरा कर देगी।

Bhaum Pradosh Vrat Katha in Hindi

हनुमान जी ने उससे अपनी बातों को पूरा करने के लिए वचन लिया। तब उन्होंने कहा कि अपने बेटे को बुलाओ और उसकी पीठ पर आग जला दो। उस अग्नि पर ही वे अपने लिए भोजन बनाएंगे। हनुमान जी की यह बात सुनकर वृद्धा परेशान और चिंतित हो गई। वह करे भी तो क्या करे। उसने हनुमान जी को वचन दे दिया था। उसने आखिरकार बेटे को बुलाया और उसे हनुमान जी को सौंप दिया।

हनुमान जी ने उसके बेटे को जमीन पर लिटा दिया और वृद्धा से उसकी पीठ पर आग जलवा दी। वह वृद्धा आग जलाकर घर में चली गई। कुछ समय बाद साधु के वेश में हनुमान जी ने उसे फिर बुलाया। वह घर से बाहर आई, तो हनुमान जी ने कहा कि उनका भोजन बन गया है। बेटे को बुलाओ ताकि वह भी भोग लगा ले। इस पर वृद्धा ने कहा कि आप ऐसा कहकर और कष्ट न दें। लेकिन हनुमान जी अपनी बात पर अडिग थे। तब उसने अपने बेटे को भोजन के लिए पुकारा। वह अपनी मां के पास आ गया। अपने बेटे को जीवित देखकर वृद्धा आश्चर्यचकित रह गई। वह उस साधु के चरणों में नतमस्तक हो गई। तब हनुमान जी ने उसे दर्शन दिए और आशीर्वाद दिया।

English summary

Bhaum Pradosh Vrat Katha in Hindi

Pradosh is observed on trayodashi tithi of Shukla paksha and Krishna paksha of every month means twice a month. When Pradosh vrat falls on Tuesday it is celebrated as Bhaum Pradosh.
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