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चैत्र पूर्णिमा 2018: मन का कारक होता हैं चन्द्रमा
हम सब जानते है कि पूर्णिमा हर महीने आता हैं लेकिन चैत्र पूर्णिमा को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना गया हैं। हिन्दू वर्ष का सबसे पहला पूर्णिमा होने के कारण इसका ख़ास महत्व हैं। आपको बता दें कि इस बार पूर्णिमा 31 मार्च यानि आज हैं।
चंद्रमास का वह दिन जब चाँद पूर्ण रूप से दिखाई दे उसे पूर्णिमा कहतें हैं। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को व्रत रखकर चाँद की पूजा की जाती हैं इसके अलावा भगवान् विष्णु की भी पूजा की जाती है और भक्त सत्यनारायण की कथा सुनते हैं। पूर्णिमा तिथि को ज्योतिष शास्त्र में भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पूर्णिमा के दिन ही महान आत्माओं के जन्म की खुशियों से लेकर हम बड़े बड़े त्यौहार भी मनातें हैं ।
इस
वर्ष
एक
विशेष
संयोग
हैं,
करीब
नौ
वर्ष
के
पश्चात
पूर्णिमा
और
हनुमान
जयंती
एक
साथ
मनायी
जाएगी।
आइए
जानतें
है
इस
पवित्र
पूजा
की
विधि
और
महत्व।
चैत्र
पूर्णिमा
व्रत
विधि
कहते
हैं
किसी
भी
पूजा
को
अगर
विधिपूर्वक
किया
जाए
तो
उसका
फल
आपको
ज़रूर
मिलता
हैं।
चैत्र
पूर्णिमा
के
व्रत
को
बहुत
ही
फलदायक
माना
जाता
हैं।
इस
व्रत
को
करने
के
लिए
भी
आपको
कुछ
नियमों
का
पालन
करना
चाहिए।
सर्वप्रथम
सुबह
उठकर
स्नान
कर
लें
फिर
व्रत
का
संकल्प
लें।
भगवान
सत्यनारायण
की
आराधना
कर
उनकी
कथा
सुने
या
पढ़ें।
प्रसाद
के
रूप
में
आटे
का
चूरमा
बनाकर
भगवान
को
भोग
लगाएं।
रात को चंद्रमा की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिये एवं चंद्रमा को जल अर्पित करना चाहिये। चंद्रमा के पूजा के पश्चात अनाज का दान किसी योग्य ब्राह्मण या फिर किसी गरीब जरुरतमंद को दें। कहतें है इस दिन पूजा करने से विष्णु जी और चंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के सभी संकट हर लेतें हैं ।
शास्त्रों में चन्द्रमा को मन का कारक माना गया है। इसीलिए चन्द्रमा के अपने पूरे रूप में होने की वजह से उसका असर सीधे व्यक्ति के मन पर पड़ता हैं।
चैत्र
पूर्णिमा
के
दिन
तुलसी
स्नान
का
बहुत
अधिक
महत्व
है।
माना
जाता
है
कि
इस
दिन
पानी
में
तुलसी
डालकर
स्नान
करने
से
पुण्य
मिलता
हैं
।
चैत्र
पूर्णिमा
का
महत्व
हर
पूजा
का
अपना
एक
अलग
महत्व
होता
हैं
ठीक
उसी
प्रकार
पूर्णिमा
का
भी
अपना
एक
अलग
ही
महत्व
हैं
।
जिस
दिन
हमे
आकाश
में
पूरा
चाँद
दिखाई
दे
उसे
पूर्णिमा
कहतें
मतलब
अंधकार
पर
प्रकश
की
जीत
बुराई
पर
अच्छाई
की
जीत।
इस दिन पूजा करने से भक्तों के सभी दुःख, कष्ट और दरिद्रता दूर हो जाते हैं । कहतें हैं इस दिन बहुत से भगवान ने मानव अवतार लिया था।
इन
मन्त्रों
का
करें
जप
पूर्णिमा
के
दिन
इन
मन्त्रों
का
१०८
बार
जप
करना
चाहिए।
ॐ
नमो
नारायण
ॐ
नमो
भगवते
वासु
देवाय
नमः
ॐ
श्री
चंद्राये
नमो
नमः
भूलकर
भी
न
करें
ये
काम
इस
दिन
किसी
भी
प्रकार
की
तामसिक
वस्तुओं
का
सेवन
न
करें
साथ
ही
शराब
या
किसी
और
प्रकार
के
नशे
से
भी
दूर
रहे
नहीं
तो
इसका
दुष्परिणाम
आपको
भविष्य
में
भुगतना
पड़
सकता
हैं।
पूर्णिमा
का
वैज्ञानिक
महत्व
वैज्ञानिक
दृष्टिकोण
से
चन्द्रमा
पानी
को
अपनी
और
आकर्षित
करता
है
और
मानव
शरीर
के
भीतर
भी
70
प्रतिशत
पानी
होता
है
जिसकी
वजह
से
पूर्णिमा
वाले
दिन
व्यक्ति
के
स्वभाव
में
कोई
न
कोई
बदलाव
ज़रूर
आता
हैं।