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दिवाली 2019: इस मुहूर्त में पूजा से जरूर मिलेगा लक्ष्मी माता का आशीर्वाद, ये है पूजा विधि
हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है दिवाली। मगर ये पर्व धर्म की बंदिशों से कहीं ऊपर है और पूरे देश में हर मजहब के लोगों द्वारा इसका उत्सव मनाया जाता है। भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश नेपाल और विदेशों में भी धनतेरस से लेकर भाई दूज तक पांच दिनों तक चलने वाला ये पर्व मनाया जाता है।
दीपों का ये उत्सव हर साल कार्तिक माह की अमावस्या को आता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्री राम दस दिनों तक चले युद्ध के बाद रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे। कार्तिक माह की अमावस्या को उनकी वापसी की खुशी में हर घर में घी के दीप जलाए गए थे।
दिवाली तिथि तथा पूजा का मुहूर्त
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस साल 27 अक्टूबर 2019 (रविवार) की दोपहर 12:13 से अमावस्या तिथि का आरंभ होगा। इसी दिन दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। 28 अक्टूबर (सोमवार) को अमावस्या तिथि सुबह 09.09 पर समाप्त हो जाएगी।
दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से घर में लक्ष्मी का निवास होता है। लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदोष काल बेहद शुभ माना जाता है। 27 अक्टूबर के दिन 17:40 से 20:16 तक प्रदोष काल रहेगा। प्रदोष काल में भी स्थिर लग्न का समय सबसे उत्तम रहता है। इस दिन 18:42 से 20:37 के दौरान वृष लग्न रहेगा। प्रदोष काल और स्थिर लग्न दोनों रहने से मुहुर्त बहुत ही शुभ रहेगा।
दिवाली पूजा
माना जाता है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं तो व्यक्ति के जीवन में धन संपदा से जुड़ी कोई परेशानी नहीं आती है। इस दिन शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश और सरस्वती माता की भी पूजा की जाती है। धार्मिक ग्रथों के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को माता लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं और हर घर का दौरा करती हैं। उन्हें जो घर सबसे साफ़ सुथरा और जगमगाता हुआ नजर आता है वहां वो निवास कर जाती हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन के साथ कुबेर जी की पूजा का भी खास महत्व है।
कुछ बातों का ध्यान रखकर ऐसे करें दिवाली पर लक्ष्मी पूजा
माता लक्ष्मी उसी घर में निवास करती हैं जहां स्वच्छता हो। पूजा से पहले घर की अच्छी सफाई कर लें। घर के वातावरण को शुद्ध करने के लिए गंगाजल का छिड़काव करें। आप घर के द्वार पर माता के स्वागत के लिए रंगोली बनाएं और दीप जलाएं।
घर के मंदिर में एक चौकी रखें और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी जी और गणेश भगवान की तस्वीर या मूर्ति रखें। चौकी के पास जल से भरा कलश रखें।
अब माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं। दिया जलाएं और फिर जल, चावल, मौली, फल, गुड़, हल्दी, अबीर आदि अर्पित करें। अब माता महालक्ष्मी की स्तुति करें। इनके साथ सरस्वती माता, काली मां, भगवान विष्णु और कुबेर देव की पूरी विधि से पूजा करें। लक्ष्मी पूजा के बाद घर की तिजोरी, बहीखाते आदि की पूजा करें।
कोशिश करें की लक्ष्मी पूजा के दौरान पूरा परिवार साथ हो। पूजा की समाप्ति के बाद सबको प्रसाद दें। अपनी आस्था के अनुसार दान दक्षिणा दें।