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हम क्यूं लगाते है गणपति बप्पा मोरया का जयकारा, जानने के लिए पढिए...

By Salman Khan
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गणेश महोत्सव के आते है हर तरफ गणपति बप्पा मोरया की ही गूंज सुनाई देती है। लोग अपने-अपने तरीके से गजानन की मूर्ति स्थापित करते है और 10 दिनों तक आस्था के सागर में डूब जाते हैं, पर क्या कभी आपके दिमाग में इस बात का ख्याल आया है कि आखिर क्यूं हम भगवान गणेश को याद करते हुए 'गणपति बप्पा मोरया' का जयकारा लगाते हैं, जी हां इसके पीछे भी एक मान्यता है। जानना चाहते हैं तो नीचे पढ़िए...

ganapati bappa morya

गणेश भक्त का नाम था मोरया
वैसे तो हमेशा भक्त भगवान के नाम से ही जाने जाते है पर यहां कहानी थोड़ी उल्टी है, जी हां गणेश भगवान का ये जयकारा एक भक्त के नाम पर लगाया जाता है। दरअसल ये कहानी महाराष्ट्र के एक गांव चिंचवाड़ की है जहां पर एक संत रहते थे जिनका नाम मोरया गोसावी था। ऐसी मान्यता है ति उनका जन्म भगवान गणेश के आशीर्वाद से हुआ था इसलिए वो बचपन से ही गजानन के बहुत बड़े भक्त थे और अपने माता पिता के साथ गणेश भक्ति में डूबे रहते थे।

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गणेश भगवान ने सपने में दिए दर्शन और कहीं ये बाते
मान्यता यहां तक है कि मोरया गोसावी हर वर्ष गणेश चतुर्थी को पैदल यात्रा करके गणेश पूजन करने के लिए मोरगांव जाते थे। समय के साथ जब वो बूढ़े होने लगे और चलने फिरने से लाचार हो गए तब खुद भगवान गणेश उनके सपने में आए और बताया कि पास के ही एक तालाब में उनको गणेश की प्रतिमा मिलेगी जिसको लाकर वो यहीं उनकी पूजा कर सकता है। जब गोसावी सुबह तालाब में पहुंचे तो उनको भगवान के कथनानुसार एक मूर्ति के प्राप्ति हुई।

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मोरया के भक्तों को कहा जाता था मंगलमूर्ति
तालाब में मूर्ति मिलने और भगवान गणेश के स्वंय सपने में आने वाली खबर आग की तरह फैल गई और दूर-दूर से लोग मोरया गोसावी के दर्शन के लिए आने लगे। मोरया गोसावी के भक्तों को मंगलमूर्ति के नाम से बुलाया जाता था। यही कारण है कि गणपति बप्पा मोरया और मंगलमूर्ति मोरया का ये जयकारा आज संसार की हर गली से गणेश चतुर्थी के दिन सुनाई पड़ता है।

English summary

do you know why we say ganapati bappa morya

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