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अर्जुन नहीं कोई और था द्रौपदी का पहला प्‍यार उसी से करना चाहती थी शादी, जानिए कौन था ये महारथी?

जी हां बहुत कम लोग जानते है कि कर्ण और द्रोपदी एक दूसरे से आजीवन प्रेम करते थे। लेकिन कभी अभिव्‍यक्‍त नहीं कर पाएं। हालांकि इन दोनों ने एक दूसरे को महाभारत काल के दो अध्‍याय में अपमान किया था।

By Nisha
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अगर महाभारत की कहानियों को नजदीक से समझा जाएं तो आपको लगेगा कि यहां सिर्फ ऐसे दो किरदार थे, जिनके साथ ना सिर्फ अन्‍याय हुआ बल्कि जो सबसे दो सशक्‍त किरदार थे। एक द्रौपदी और दूसरा कर्ण। जी हां जहां कर्ण को पूरी जिंदगी उपेक्षा का शिकार होना पड़ा तो वहीं पांच पतियों का सौभाग्‍य मिलने के बाद भी एक भी उसके सम्‍मान की रक्षा नहीं कर पाया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कर्ण और द्रौपदी को लेकर एक और काहानी है उनकी प्रेम काहानी।

जी हां बहुत कम लोग जानते है कि कर्ण और द्रोपदी एक दूसरे से आजीवन प्रेम करते थे। लेकिन कभी अभिव्‍यक्‍त नहीं कर पाएं। हालांकि इन दोनों ने एक दूसरे को महाभारत काल के दो अध्‍याय में अपमान किया था। लेकिन द्रोपदी अपने पति अर्जुन से नहीं बल्कि महारथी कर्ण से शादी करना चाहती थी लेकिन किस्‍मत में अर्जुन और उसके 4 भाईयों के साथ शादी करना लिखा हुआ था।

आइए जानते हैं दानवीर कर्ण और पांचाली द्रोपदी की इस अनकही प्रेम कथा के बारे में

द्रोपदी चाहती थी ऐसा सर्वगुण सम्‍पन्‍न वर

द्रोपदी चाहती थी ऐसा सर्वगुण सम्‍पन्‍न वर

द्रोपदी एक ऐसा वर चाहती थी जो सर्वगुण सम्‍पन्‍न हो जो एक कुशल योद्धा होने के साथ नैन नक्‍श में अच्‍छा हो और हष्‍ट पुष्‍ठ होने के साथ वो उसमें नैतिक गुण हो और वो बुद्धिमान भी हो। लेकिन ये सारी खूबिया सिर्फ एक ही योद्धा में मौजूद थी महारथी कर्ण में। लेकिन महाभारत काल में दोनों की शादी नहीं होने लिखी थी इसलिए द्रोपदी ने पांडव से शादी की जिनमें अलग अलग ये गुण थे। ( युधिष्ठिर में नैतिक गुण, भीम में शारीरिक तौर पर मजबूत, अर्जुन एक कुशल योद्धा, नकुल के नैन नक्‍श और सहदेव की बुद्धिमानी)

कर्ण को हो गया था द्रोपदी से प्‍यार

कर्ण को हो गया था द्रोपदी से प्‍यार

पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री होने के कारण द्रौपदी से जुड़ी हुई कई विशेष बातें कई राज्यों में फैली हुई थी। उनकी सुंदरता, बुद्धि और विवेक को देखकर कई राजा द्रौपदी पर मोहित थे। लेकिन महारथी कर्ण को द्रौपदी का निडर स्वभाव बहुत पसंद था। द्रौपदी अपनी सखियों के साथ भ्रमण करने के लिए जाया करती थी. द्रौपदी को देखते ही कर्ण को उनसे प्रेम हो गया।

द्रोपदी को भी थे कर्ण पसंद

द्रोपदी को भी थे कर्ण पसंद

जब द्रौपदी के स्वयंवर के लिए राजा द्रुपद ने द्रौपदी के कक्ष में दासी द्वारा महान योद्धाओं के चित्र भिजवाए थे, तो उनमें कर्ण का चित्र भी था, क्योंकि दुर्योधन का मित्र होने के कारण सभी कर्ण का सम्मान करने के साथ उन्हें राजसी परिवार के वंश की तरह मानते थे।

द्रौपदी कर्ण का चित्र देखकर उन्हें पसंद करने लगी थी। जब स्वयंवर का दिन आया तो द्रौपदी की दृष्टि सभी राजाओं और पांडवों में से कर्ण को ढूंढ़ रही थी।

इसलिए नहीं किया कर्ण से विवाह

इसलिए नहीं किया कर्ण से विवाह

द्रौपदी को उनके पिता राजा द्रुपद ने भीष्म से प्रतिशोध लेने की प्रतिज्ञा के बारे में बहुत पहले ही बता दिया था। साथ ही द्रौपदी ये भी जान चुकी थी कि कर्ण एक सूतपुत्र है और अगर उसका विवाह कर्ण से होता है तो वो जीवनभर एक दास की पत्नी के रूप में पहचानी जाएगी।

उसने सोचा कि कर्ण से विवाह करने के बाद अपने पिता की प्रतिज्ञा को पूरा करने में वो सहयोग नहीं कर पाएगी। इस दुविधा में पड़कर द्रौपदी ने अपने दिल के बजाय दिमाग की बात सुनते हुए कर्ण से विवाह का इरादा छोड़ दिया।

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कर्ण का किया तिरस्‍कार

कर्ण का किया तिरस्‍कार

अपने आप से निराश हो चुकी द्रौपदी ने स्वयंवर में एक कठोर निर्णय लेते हुए कर्ण को सूतपुत्र कहकर अपमानित किया। द्रुपद पुत्री ने भरी सभा में कर्ण को कहा कि वो एक सूतपुत्र के साथ विवाह नहीं कर सकती है। इससे कर्ण को बहुत आघात पहुंचा कि द्रौपदी जैसी निडर और क्रांतिकारी सोच रखने वाली स्त्री उनका जाति के आधार पर इस तरह अपमान कैसे कर सकती है?

चीरहरण के वक्‍त इसलिए कर्ण रहे मौन

चीरहरण के वक्‍त इसलिए कर्ण रहे मौन

स्वयंवर में द्रौपदी से अपमानित होने के बाद कर्ण के मन में द्रौपदी के लिए कड़वाहट भर चुकी थी, द्रौपदी से विवाह न होने के बाद कर्ण ने दो विवाह किए थे।

जब दुर्योधन ने दुशासन को द्रौपदी के वस्त्र हरण करके अपनी जंघा पर बिठाने का आदेश दिया था तो सभी खेल के नियम का बहाना बनाकर मौन थे, वहीं कर्ण भी स्वयंवर में अपने अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए मौन रहे। लेकिन बाद में भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को समझाया कि कर्ण के कटु वचन पांडवों की सोई हुई आत्मा को जगाने के लिए थे।

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इसलिए कर्ण ने छोड़ा था भीम को

इसलिए कर्ण ने छोड़ा था भीम को

युद्ध के दौरान अर्जुन ने शपथ ली है कि या तो वह जयराथ को मार डालेगा या वह "अग्नि समाधि" लेगा। ये द्रोणा की एक योजना थी ताकि वो जयादाथ के साथ लड़ने में व्‍यस्‍त रहें ताकि वह युधिष्ठिर को पकड़ सकें। वहीं भीम को युधिष्ठिर की रक्षा के लिए नियुक्‍त किया गया था। दुर्योधन ने कर्ण को भीम को वहां से हटाने के लिए ललकारने के लिए कहा था। हालांकि इस युद्ध में दोनों के अलग अलग तरह के शस्‍त्र में पारंगत थे लेकिन किसी तरह कर्ण ने भीम को उलझाकर रखा।

द्रोपदी के लिए रखा भीम को जीवित

द्रोपदी के लिए रखा भीम को जीवित

भीम को न मारने की पीछे कर्ण के पास दो कारण थे। एक जो उसने अपनी मां कुंती को वचन दिया था कि उनके पांच पुत्र जीवित रहेंगे। अगर कर्ण भीम को मार देता तो वह अर्जुन का वध नहीं कर पाता। दूसरा अगर वो भीम को मार देता तो द्रोपदी अपना प्रतिशोध नहीं ले पाती क्‍यूंकि सिर्फ भीम ही था जो दुर्योधन की छाती को चीर कर उसके रक्‍त से द्रोपदी के बालों को स्‍नान करवा कर उसकी प्रतिज्ञा को पूरा करता।

जब द्रोपदी मालूम चला कर्ण के प्‍यार के बारे में

जब द्रोपदी मालूम चला कर्ण के प्‍यार के बारे में

जब भीष्म पितामह मृत्युशैय्या पर मौत की प्रतीक्षा कर रहे थे, उस समय महारथी कर्ण भीष्म से मिलने के लिए पहुंचे। उन्होंने भीष्म को द्रौपदी से आजीवन प्रेम करने का रहस्य बताया। जब वो अपनी प्रेम कहानी से जुड़ी विभिन्न घटनाएं भीष्म को बता रहे थे तो ये बात द्रौपदी ने भी सुन ली थी। उस समय द्रौपदी को ज्ञात हुआ कि केवल वो ही नहीं, बल्कि महारथी कर्ण भी उनसे बहुत प्रेम करते हैं। लेकिन महाभारत के युद्ध में अर्जुन द्वारा कर्ण का वध किए जाने के साथ ही ये अनकही प्रेम कहानी ख़त्म हो गई।

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 जब स्‍वर्ग पर किया द्रोपदी का स्‍वागत

जब स्‍वर्ग पर किया द्रोपदी का स्‍वागत

मुत्‍यु के पश्‍चात जब द्रोपदी स्‍वर्ग पहुंची तो वहां सबसे पहले अंगराज कर्ण ने द्रोपदी का मुस्‍कुराहते हुए स्‍वागत किया था।

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English summary

Draupadi and Karna – The Love Story that never blossomed

From years people have been talking about Draupadi and Karna’s soft corner for each other, and the regrets they later had for insulting each other in Mahabharat’s two crucial episodes.
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