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गणेश चतुर्थी 2019: जानें किस मुहूर्त में मूर्ति स्थापना रहेगी शुभ
भारत के कई पर्व ऐसे थे जो एक क्षेत्र या राज्य तक ही सीमित थे लेकिन हर धर्म के लोगों की सहभागिता ने इन तीज-त्योहारों का दायरा बढ़ा दिया है। पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा हो या फिर महाराष्ट्र में मनाई जाने वाली गणेश चतुर्थी, अब ये उत्सव पूरे देश में मनाए जाते हैं।
गणेश चतुर्थी का पर्व लगभग दस दिनों तक मनाया जाता है और इसे गणेशोत्सव भी कहते हैं। यश, कीर्ति, सम्मान, समृद्धि और सुख-शांति के लिए गणेश जी की पूजा की जाती है। विघ्नहर्ता गणेश जी की विधि-विधान और सच्चे मन से पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है।
गणेश चतुर्थी तिथि और मुहूर्त
गणेश चतुर्थी - 2 सितंबर 2019
मध्याह्न गणेश पूजा - 11:05 से 13:36
चंद्र दर्शन से बचने का समय- 08:55 से 21:05 (2 सितंबर 2019)
चतुर्थी तिथि आरंभ- 04:56 (2 सितंबर 2019)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 01:53 (3 सितंबर 2019)
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कितने दिनों का होता है गणेशोत्सव
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से भगवान गणेश का उत्सव गणपति प्रतिमा की स्थापना और फिर उनकी पूजा करने के साथ आरंभ होता है। इस साल गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना 2 सितंबर को की जाएगी। ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा का जन्म हुआ था। भगवान गणेश की प्रतिमा को लगातार दस दिनों तक रखा जाता है और अनंत चतुर्दशी के दिन उनकी विदाई की जाती है। आमतौर पर ये त्योहार 7 से 10 दिनों तक मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल नगाड़े बजाते, बप्पा के जयकारे लगाते, नाचते गाते हुए गणेश प्रतिमा को विसर्जन के लिये ले जाया जाता है। विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव की समाप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी को कहते हैं डंडा चौथ
भगवान गणेश को ऋद्धि-सिद्धि और प्रखर बुद्धि का दाता माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत इसी दिन से विद्या अध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्चे डंडे बजाकर खेलते भी हैं। यही वजह है कि कई जगह पर ये डंडा चौथ के नाम से भी जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी पर गणेश प्रतिमा की स्थापना और पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन प्रात: उठकर स्नानादि करने के पश्चात गणेश जी की प्रतिमा बनाई जाती है। यह प्रतिमा आप अपने सामर्थ्य के अनुसार सोने, तांबे, मिट्टी या गाय के गोबर से बना सकते हैं। इसके बाद एक कलश लेकर उसमें जल भरकर उसे कोरे कपड़े से बांधा जाता है। अब गणेश प्रतिमा की स्थापना की जाती है। इसके बाद गणेश प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर षोडशोपचार कर उसकी पूजा की जाती है। गणेश जी की पूजा में दूर्वा जरूर चढ़ाएं। कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। तुलसी छोड़कर गणेश जी को सभी तरह के फूल अर्पित किए जा सकते हैं। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित करने के बाद उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखें और बाकि ब्राह्मणों में बांट दें। गणेश जी की पूजा सांयकाल में करनी चाहिये। पूजा के बाद दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से बचना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी दी जाती है।
कई स्थानों पर भक्त पंडाल सजाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करते हैं। गणेश जी के गीत और भजन के साथ बप्पा को याद किया जाता है। गणपति के मंत्रों के उच्चारण के साथ पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। अनंत चतुर्दशी के साथ ही बप्पा को विदा करके उनकी मूर्ति विसर्जित की जाती है और उनसे अगले साल जल्दी आने का निवेदन किया जाता है।