Just In
- 8 hrs ago Nitin Gadkari Health : पहले भी कई दफा बेहोश हो चुके हैं नितिन गडकरी, कहीं शुगर तो वजह नहीं?
- 9 hrs ago Cow Dreams Meaning: सपने में गाय देखना शुभ या अशुभ, जानें क्या कहता है स्वप्न शास्त्र
- 9 hrs ago Shukra Gochar 2024: भोग-विलास के कारक शुक्र देव का गोचर जल्द, इन राशियों के शुरू होंगे ऐशो-आराम के दिन
- 10 hrs ago पार्टनर से कितना भी हो प्यार, मगर कभी बर्दास्त न करें उनके ये काम, शादी नर्क बनते नहीं लगेगी देर
Don't Miss
- News AAP सांसद संजय सिंह का दावा- दिल्ली के वोटर यहां की सातों सीट INDIA गठबंधन को देने जा रही
- Education JEE Main Result 2024 Out: NTA ने जारी किया जेईई मेन रिजल्ट स्कोरकार्ड डाउनलोड लिंक यहां
- Movies Seema Haider ने पाकिस्तानी प्रेमी का किया खुलासा, कहा- 'मैं उससे शादी करके घर बसाना चाहती थी, लेकिन...'
- Technology OPPO Find X7 Ultra Camera Deep-Dive: स्मार्टफोन पर फोटोग्राफी की सीमाओं को आगे बढ़ाने का नया उपाय
- Finance IndiGo Airline: आपके एंटरटेनमेंट पर नहीं लगेगा फुल स्टॉप, फ्लाइट में मिलेगी ये खास सर्विस
- Automobiles मिडिल क्लास की पसंदीदा है Hero की ये बाइक, कीमत सिर्फ 75 हजार रुपये, माइलेज भी है शानदार..
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
Ganga Saptami 2021 : गंगा सप्तमी तिथि का है खास महत्व, इस दिन महादेव की जटाओं में पहुंची थी मां गंगा
सनातन धर्म में वैशाख का महीना कई मायनों में ख़ास माना गया है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी विशेष तिथि पर गंगा माता की उत्पत्ति हुई थी और वो स्वर्ग लोक से भोलेनाथ की जटाओं में पहुंची थी। गंगा मैय्या की उत्पत्ति का यह दिन गंगा जयंती, वैशाख शुक्ल सप्तमी और गंगा सप्तमी के नाम से जाना जाता है। गौरतलब है कि जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है और यह पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है।
इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि इस साल गंगा सप्तमी की तिथि, मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और इससे जुड़ी कथा के बारे में।
गंगा सप्तमी की तिथि
गंगा सप्तमी तिथि प्रारंभ: 18 मई 2021 को दोपहर 12:32 बजे से
गंगा सप्तमी तिथि समापन: 19 मई 2021 को दोपहर 12:50 बजे तक
गंगा सप्तमी का महत्व
हिंदू धर्म में गंगा सप्तमी तिथि की खास महत्ता बताई गयी है। लोगों की आस्था है कि इस दिन माता गंगा की पूजा करने तथा गंगा में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जातक को सुख-समृद्धि और सम्मान मिलता है। इस दिन मंदिरों में विशेष आयोजन किये जाते हैं। गंगा सप्तमी के दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
गंगा सप्तमी पूजा की विधि
इस दिन गंगा स्नान करने का खास महत्व है। इस दिन गंगा नदी में जाकर स्नान करना संभव न हो तो आप घर पर ही बाल्टी के पानी में गंगा जल की कुछ बूंदे डालकर स्नान कर लें। इसके बाद गंगा माता की प्रतिमा रखकर पूजा करें। पूजा में पुष्प, प्रसाद, चंदन, अक्षत, दक्षिणा आदि अर्पित करें। इसके बाद श्रीगंगासहस्रनामस्तोत्रम का पाठ करें। साथ ही 'ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे माँ पावय पावय स्वाहा' मंत्र का जाप करें। इस दिन शंकर भगवान की पूजा भी जरूर करें।
मां गंगा की उत्पत्ति की कथा
भागीरथ एक प्रतापी राजा थे। उन्होंने अपने पूर्वजों को जीवन-मरण के दोष से मुक्त कराने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाने का निर्णय लिया। उन्होंने कठोर तपस्या शुरू की। गंगा उनकी तपस्या से बहुत खुश हुईं तथा स्वर्ग से पृथ्वी पर आने के लिए राजी हो गईं। मगर उन्होंने भागीरथ से कहा कि यदि वे सीधे स्वर्ग से पृथ्वी पर आएंगी तो पृथ्वी उनका वेग सहन नहीं कर पाएंगी और संभावना है कि रसातल में चली जाएगी। गंगा को अभिमान हो गया था।
यह सुनने पश्चात् भागीरथ सोच में पड़ गए और तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ की उपासना शुरू कर दी। शंकर भगवान प्रसन्न हुए और भागीरथ से वर मांगने के लिए कहा। उन्होंने अपना सब मनोरथ प्रभु को कह सुनाया।
गंगा जैसे ही स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने लगीं तब गंगा का गर्व दूर करने के लिए शिव ने उन्हें जटाओं में कैद कर लिया। वह छटपटाने लगी और भोले बाबा से माफी मांगी। तब शिव ने उसे जटा से एक छोटे से पोखर में छोड़ दिया, जहां से गंगा सात धाराओं में प्रवाहित हुईं। इस प्रकार भागीरथ पृथ्वी पर गंगा का वरण करके भाग्यशाली हुए। गंगा की हर एक धारा भागीरथ महाराज की कठोर तपस्या का बखान करती है।