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शुभ मुहूर्त पर इस विधि से करें गोवर्धन पूजा, मिलेगा भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद

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हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है। हर साल दिवाली के अगले दिन ये पूजा की जाती है। ये त्योहार भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। गोवर्धन पूजा कई स्थानों पर अन्नकूट पूजा के नाम से भी मशहूर है। इस दिन गौ माता और गोवर्धन पर्वत की खास पूजा की जाती है। जानते हैं इस साल गोवर्धन पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है, साथ ही जानते हैं गोवर्धन पूजा का महत्व और इससे जुड़ी कथा के बारे में।

गोवर्धन पूजा की तिथि

गोवर्धन पूजा की तिथि

इस साल दिवाली का त्योहार 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि में 28 अक्टूबर (सोमवार) को है।

गोवर्धन पूजा 2019 शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा 2019 शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा मुहूर्त: शाम 3 बजकर 24 मिनट से शाम 5 बजकर 36 तक

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: सुबह 9 बजकर 8 मिनट से (28 अक्टूबर 2019)

प्रतिपदा तिथि समाप्त: शाम 6 बजकर 13 मिनट तक (29 अक्टूबर 2019)

गोवर्धन पूजा का महत्व

गोवर्धन पूजा का महत्व

हिंदू धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से गोवर्धन पूजा के महत्व के बारे में पता चलता है। इस दिन गौ माता को पूजा जाता है। गोवर्धन पर्वत एक छोटी सी पहाड़ी है, जो ब्रज में स्थित है। पुराणों में गोवर्धन को पर्वतों का राजा और भगवान हरि का प्रिय बताया गया है। इसे पृथ्वी और स्वर्ग लोक के सबसे श्रेष्ठ तीर्थ स्थल के तौर पर देखा जाता है।

गोवर्धन पूजा व्रत की कथा

गोवर्धन पूजा व्रत की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में ब्रज के निवासी इंद्र की पूजा करते थे। एक बार इंद्र की पूजा के दौरान भगवान श्री कृष्ण वहां पहुंच गए और उन्होंने इस पूजा के उद्देश्य के बारे में पूछा। ब्रजवासियों ने बताया कि वर्षा के लिए वो इंद्र देव की आराधना करते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि वर्षा कराना इंद्र देव का कर्म और दायित्व है। उनके बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए जिनकी वजह से हमारी गायों को संरक्षण और भोजन मिलता है।

श्री कृष्ण के समझाने के बाद ब्रज के लोगों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी शुरू कर दी और इस बात से इंद्र देव क्रोधित हो उठे। उन्होंने मेघों को लगातार बरसते रहने का आदेश दिया। ब्रज में पानी पानी हो जाने से स्थानीय लोग भयभीत हो गए। उन सभी लोगों की रक्षा के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया और इंद्र के प्रकोप से उनकी रक्षा की। सभी लोग गोवर्धन पर्वत के नीचे सुरक्षित थे। ये देखकर इंद्र देव ने अपने पूरे बल का इस्तेमाल किया लेकिन जब उन्हें ये एहसास हुआ कि कृष्णा भगवान विष्णु के ही अवतार हैं, तब उन्हें अपनी भूल का अंदाजा हुआ। उन्होंने श्री कृष्ण से माफी मांगी और तब से गोवर्धन पूजा की परंपरा की भी शुरुआत हो गई। साथ ही गऊ धन का भी महत्व बढ़ा। गौ माता से मिलने वाली चीजें मनुष्य के लिए बहुत अनमोल है।

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा की विधि

गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन की मूर्ति तैयार करें। फिर भगवान गिरिराज का ध्यान करें और अन्नकूट का भोग लगाएं। इस दिन गाय और बैलों को पूजा जाता है। इस पूजा के लिए उन्हें स्नान कराएं और फिर धूप, दीप, फूल तथा माला से उनकी पूजा करें। उनकी आरती उतारें और मिठाई का भोग लगाएं। फिर उस मिठाई को सभी लोगों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दें।

English summary

Govardhan Puja 2019: Date, Puja Muhurat, Significance, Katha, Puja Vidhi

Govardhan Puja is celebrated a day after Diwali, that is the fourth day of the 5-day grand Hindu festival.
Story first published: Monday, October 21, 2019, 12:18 [IST]
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