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गुरु पूर्णिमा 2020: जानें तिथि और घर पर पूजा करने की विधि-मंत्र

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हिंदू धर्म में गुरु को भगवान से भी ऊंचे और श्रेष्ठ दर्जे पर रखा जाता है। जीवन में आने वाले हर तरह के पड़ाव को पार करने में गुरु ही मदद करते हैं। गुरु के ज्ञान और उनके दिखाए मार्ग पर चलकर लोगों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है।

Guru Purnima 2019: Date, Time and Significance

शास्त्रों में तो ये भी कहा जा चुका है कि ईश्वर से मिले श्राप से आपकी रक्षा गुरु कर सकता है लेकिन गुरु के दिए श्राप से आपको भगवान भी नहीं बचा सकते हैं। हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के रूप में मनायी जाती है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की पूजा की जाती है। इस साल ये पर्व 5 जुलाई को मनाया जाएगा।

गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु पूर्णिमा का महत्व

इस दिन को हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिवस भी माना जाता है। महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व में हुआ था। उनके सम्मान में ही हर साल आषाढ़ शुक्ल की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है। वो संस्कृत के महान विद्वान थे और महाभारत जैसा महाकाव्य उन्हीं की देन है। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। इन्हें वेदों का असीम ज्ञान था। वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी इन्हीं को दिया जाता है। यही वजह है कि इनका नाम वेदव्यास पड़ा। महर्षि वेदव्यास को आदिगुरु भी कहा जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा के नाम से भी मशहूर है।

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गुरु पूर्णिमा का मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा का मुहूर्त

गुरु पूर्णिका की तिथि: 5 जुलाई, 2020

गुरु पूर्णिमा प्रारंभ: 4 जुलाई 2020 को सुबह 11 बजकर 33 मिनट से

गुरु पूर्णिमा तिथि समापन: 5 जुलाई 2020 को सुबह 10 बजकर 13 मिनट तक

गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन

गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन

सबसे पहले एक श्वेत वस्त्र पर चावल की ढेरी लगाकर उस पर कलश-नारियल रख दें।

उत्तराभिमुख होकर सामने शिवजी का चित्र रख दें।

आप शिवजी को गुरु मानकर इस मंत्र को पढ़कर श्रीगुरुदेव का आवाहन करें-

'ॐ वेदादि गुरुदेवाय विद्महे, परम गुरुवे धीमहि, तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।।'

हे गुरुदेव! मैं आपका आह्वान करता हूं।

फिर अपनी यथाशक्ति के अनुसार पूजन करें। नैवेद्यादि आरती करें तथा 'ॐ गुं गुरुभ्यो नम: मंत्र' की 11, 21, 51 या 108 माला का जप करें।

यदि इस दिन आप कोई विशेष साधना करना चाहते हैं, तो उसकी आज्ञा गुरु से मानसिक रूप से लेकर की जा सकती है।

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महादेव हैं सबसे पहले गुरु

महादेव हैं सबसे पहले गुरु

पुराणों के अनुसार, भगवान शिव सबसे पहले गुरु माने जाते हैं। शनि और परशुराम इनके दो शिष्य हैं। शिव जी ही थे जिन्होंने धरती पर सबसे पहले सभ्यता और धर्म का प्रचार प्रसार किया था। भोलेनाथ को आदिदेव, आदिगुरु और आदिनाथ के नाम से भी जाना जाता है। शनि और परशुराम के साथ सात लोगों को भगवान शिव ने अपना शिष्य बनाया। इन्होंने ही आगे चलकर शिव के ज्ञान का प्रसार किया।

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English summary

Guru Purnima: Date, Time and Significance

Guru Purnima is also celebrated as Vyasa Purnima as this day marks the birth anniversary of Guru Veda Vyasa, who is generally considered the author of the Mahabharata.
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