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व्रत नहीं रखते तो अब से रखना शुरु कर दें क्योंकि इसके पीछे छुपे हैं कुछ वैज्ञानिक कारण
उपवास यानि व्रत आज कल लोगों ने इसको अंध श्रद्धा का नाम दे दिया है। मगर ये भारतीय संस्कृति में स्वस्थ रहने की अनूठी प्रक्रिया है।
आप इसको अपने जीवन का हिस्सा बना कर अपने शरीर का कायाकल्प कर सकते हैं और अनेकों स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
आपको भूखा रख कर भगवान को कोई ख़ुशी नहीं होगी, अगर कुछ होगा तो वो ये के आपका स्वास्थ्य बेहतर से और बेहतर होता चला जायेगा। आइये समझें उपवास के पीछे के रहस्य को। उपवास से पाचनतंत्र दुरूस्त रहता है जिससे शरीर में उपस्थित विषाक्त पदार्थों का निष्कासन आसानी से हो जाता है।
हर सप्ताह उपवास रखने से कोलेस्ट्राल की मात्रा घटने लगती है जो धमनियों के लिए लाभदायक है। आइये जानते हैं हर दिन उपवास रखने से क्या लाभ होते हैं।
रविवार
भगवान सूर्यदेव का व्रत करने से व्यक्ति को उनके अनेक कष्टो से मुक्ति मिल जाती है तथा उसे सुखो की प्राप्ति होती है। रविवार का व्रत करने से सम्पूर्ण दुखो से मुक्ति मिलती है तथा आरोग्यदायक और अत्यधिक शुभ फल मिलता है। हर व्यक्ति को रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा एवं प्रतिदिन प्रात:काल सूर्य-नमस्कार करना चाहिए। इससे व्यक्ति का जीवन सुखो से भर जाता है। सुबह स्नान करके साफ़ कपड़े पहने चाहिएउसके बाद सूर्यदेव को लाल फूल चढ़ा कर माथे पर चन्दन का तिलक करना चाहिए।
सोमवार
हिन्दू धर्म के अनुसार सावन के महिने में सोमवार के दिन व्रत रखना काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। क्योंकि शिव भक्ति में सावन के सोमवार को साल भर रहने वाले सोमवार के व्रतों से अधिक पुण्य देने वाला बताया गया है। सोमवार को व्रत रखने से भगवान शिव खुश होकर सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करते है। इस श्रावण मास में सभी को लघुरूद्र, अतिरूद्र और महारूद्र का पाठ कर प्रत्येक सोमवार का व्रत रखते हुए शिवजी का पूजन करना चाहिए। सावन में सोमवार के व्रत का पूजन करने से पहले भगवान श्री गणेश जी का सर्वप्रथम पूजन करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव जी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए।
मंगलवार
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भी लोग मंगलवार का व्रत करते हैं। मंगलवार का व्रत सर्वसुख, राज सम्मान तथा पुत्र प्राह्रिश्वत के लिए किया जाता है। हनुमान जी की साधना अति सरल एवं सुगम है क्योंकि वो खुद बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इनकी साधनाओं में ब्रह्मचारी व्रत अवश्य लेना चाहिए। माना जाता है कि कलियुग में हनुमान जल्द ही मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। हनुमान जी की पूजा करते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
बुधवार
बुधवार का व्रत व्यक्ति का ज्ञान बढ़ाता है। व्यापार में लाभ कमाने के लिए व्यापार के क्षेत्र में बाधाओं को कम करने के लिए ये व्रत लाभकारी है। या व्रत उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी कुण्डली में बुध अशुभ भाव का स्वामी है। इस व्रत में दिन-रात में एक ही बार भोजन करना चाहिए।
गुरूवार
हिन्दू धर्म में गुरुवार का व्रत बड़ा ही फलदायी माना जाता है। गुरुवार के दिन जगतपालक श्री हरि विष्णुजी की पूजा का विधान है। कई लोग बृहस्पतिदेव और केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं। बृहस्पतिदेव को बुद्धि का कारक माना जाता है। केले के पेड़ को हिन्दू धर्मानुसार बेहद पवित्र माना जाता है। बृहस्पतिदेव की पूजा करनी हो तो उनका ध्यान करना चाहिए। इसके बाद फल, फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पतिदेव और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। प्रसाद के रूप में केले चढ़ाना शुभ माना जाता है लेकिन इन केलों को दान में ही दे देना चाहिए। भोजन पीले चने की दाल खाएं परन्तु नमक नहीं खाएं और पीले वस्त्र पहनें, पीले ही फलों का प्रयोग करें, पीले चन्दन से पूजन करें।
शुक्रवार
शुक्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए और शुक्र को बलि बनाने के लिए शुक्रवार का व्रत करना बहुत फलदायक है। यह व्रत अविवाहित स्त्री-पुरुष हेतु मनोकामना सिद्धि प्रदायक तथा दाम्पत्य सुख विवर्धक है एवं मांगलिक कार्य समाधान बने। यह व्रत स्त्री-पुरुष एवं कुमार-कुमारी सभी वर्ग हेतु फ़लप्रदायक है शुक्रवार का व्रत तीन तरह से किया जाता है। इस दिन भगवान शुक्र के साथ-साथ संतोषी माता तथा वैभव लक्ष्मी देवी का भी पूजन किया जाता है। तीनों व्रतों की विधियाँ अलग-अलग हैं। यह व्रत सूर्यास्त के साथ समाप्त होता है शाम को मिठाई, आमतौर पर खीर या किसी अन्य दूध से बनी मीठी चीज़ खानी चाहिए।
शनिवार
शनिदेव की प्रसन्नता के लिए लोग कई सारे उपाय करते हैं। जिसमें शनिवार का व्रत और रामदूत हनुमान की आराधना प्रमुख है। ऐसा माना जाता है कि हनुमानजी की आराधना करनेवाले लोगों पर शनि की कुदृष्टि नहीं पड़ती है। इसके अतिरिक्त शनिवार को सूर्योदय से पहले पीपल के वृक्ष में जल देना और परिक्रमा करना भी विशेष फलदायी माना जाता है। साथ ही शनिवार के दिन काली वस्तु जैसे काले कपड़े, धातु के टुकड़े, सरसों के तेल, काली उड़द और काले तिल (तिल के बीज)का दान करने से व्यक्ति को अशुभ होने से बचाता है।