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इस वजह से द्रौपदी ने अपने ही हाथों मिटाया था अपने माथे का सिंदूर

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Sindoor, सिन्दूर | Importance | Sindoor in Hinduism | सिन्दूर लगाने के पीछे ये है मान्यता | Boldsky

एक सुहागन के सिर का ताज होता है सिंदूर। जी हां, यह डायलॉग हमने फिल्मों में सुना है लेकिन असल ज़िंदगी में भी यह एकदम सत्य है। हिंदू धर्म में सिंदूर का बड़ा ही महत्व है। एक विवाहित महिला के लिए उसके सिंदूर से बढ़कर और कुछ नहीं होता क्योंकि यह उसके सुहाग की निशानी माना जाता है।

विवाहित महिलाएं सिंदूर को अपने पति की खुशियों और उसकी सलामती से जोड़ती है इसलिए अगर कोई स्त्री शादी के बाद भी सिंदूर नहीं लगाती तो बहुत ही अशुभ माना जाता है। सिंदूर का प्रयोग हरप्पन सभ्यता में भी महिलाओं द्वारा किया जाता था इसलिए यह प्रथा तीन हज़ार साल से भी ज़्यादा पुरानी मानी जाती है।

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यह अधिकार अविवाहित स्त्रियों को नहीं बल्कि केवल विवाहित महिलाओं को दिया गया है। सिंदूर हमारी देवियों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। आइए जानते हैं सिंदूर से जुड़ी कुछ और रोचक बातें।

देवियों के लिए भी सिंदूर बहुत महत्वपूर्ण

सिंदूर हमारे देवी देवताओं के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कहते हैं माता पार्वती इसे भोलेनाथ के लिए अपनी मांग में सजाती थी, वहीं देवी सीता इसे श्री राम के लिए लगाती थी। अपने पति को सम्मान देने के लिए हमारी देवियां सिंदूर लगाती थी इसलिए जब द्रौपदी का कौरवों द्वारा अपमान किया गया तब उसने क्रोधवश अपने हाथों से अपना सिंदूर मिटा दिया था।

सिंदूर के आयुर्वेदिक गुण

कुछ अध्ययनों के अनुसार, वैदिककाल में हिंदुओं द्वारा लगाए जाने वाली धार्मिक वस्तुएं जैसे, चन्दन, हल्दी, सिंदूर आदि का उपयोग औषधीय जड़ी बूटियों को तैयार करने में किया जाता था। इन जड़ी बूटियों का उपयोग वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए किया गया था। उदाहरण के लिए माथे पर चन्दन का तिलक लगाने से दिमाग शांत रहता है और इसका सुखद प्रभाव भी पड़ता है। इसी प्रकार, माथे पर हल्दी लगाने से त्वचा को लाभ मिलता है। कई बार हल्दी से बनी माला भी पहनने के लिए उपयोग की जाती थी। हल्दी के आध्यात्मिक कारणों के साथ हल्दी के औषधीय लाभ भी होते हैं। ठीक उसी प्रकार विवाह के प्रतीक के रूप में सिंदूर लगाने के पीछे भी यही कारण है।

सिंदूर कई रंग में उपलब्ध होते हैं नारंगी रंग, हल्के लाल रंग, गाढ़े लाल रंग या फिर मेहरून। सिंदूर हल्दी, चूना और मरकरी से बना होता है। मरकरी शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है, तनाव कम करता है और दिमाग को शांत रखता है साथ ही यह यौन इच्छा को भी बढ़ाता है। सिंदूर का लाल रंग खून और आग का प्रतीक होता है और यह सिर के बीचों-बीच मांग में लगाया जाता है जहां शरीर की मुख्य नसें स्थित होती हैं। कहते हैं इससे शरीर के चक्र सक्रिय हो जाते हैं जिससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

देवी देवताओं को क्यों अर्पित किया जाता है सिंदूर

हिंदू धर्म में सिंदूर हमारे देवी देवताओं को भी अर्पित किया जाता है। यह विशेष रूप से देवी लक्ष्मी, विष्णु और हनुमान जी को चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंत्रों के उच्चारण के साथ ईश्वर के चरणों में सिंदूर अर्पित करने से इसकी पवित्रता और भी बढ़ जाती है।

बजरंबली को बहुत ही प्रिय है सिंदूर

वैसे तो सिंदूर हम कई देवी देवताओं को अर्पित करते हैं लेकिन नारंगी रंग का सिंदूर बजरंबली को विशेष रूप से बहुत पसंद है। इसके पीछे एक कथा इस प्रकार है कि एक बार बजरंगबली ने देवी सीता को सिंदूर लगाते देखा तब उन्होंने उनसे पूछा कि वह अपनी मांग में सिंदूर क्यों लगाती हैं। इस पर सीता जी ने उन्हें बताया कि सिंदूर लगाने से श्री राम की उम्र बढ़ेगी और वह प्रसन्न भी रहेंगे। माता सीता की यह बात सुनकर बजरंगबली ने फ़ौरन सिंदूर उठाया और उसे अपने पूरे शरीर पर लगा लिया। माना जाता है की मंगलवार और शनिवार के दिन नारंगी सिंदूर बजरंबली को चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

English summary

Importance Of Sindur/Vermilion In Hinduism

Vermilion or Sindur is applied by the Hindu women. Read on to know the reason behind it and the importance of Sindur/vermilion in Hinduism.
Story first published: Thursday, May 17, 2018, 12:37 [IST]
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