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जानें गणेश जी से जुड़ें इन रहस्यों के बारे में

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प्रथम पूजनीय श्री गणेश न केवल अपने भक्तों के जीवन से सभी बाधाओं को दूर करते हैं बल्कि उनका सही मार्गदर्शन भी करते हैं। गणेश जी को सभी देवी देवताओं में सबसे हंसमुख और खुश रहने वाल देवता माना गया है। ठीक उसी प्रकार जो भी भक्त सच्चे मन से इनकी उपासना करता है उसके जीवन में सदैव खुशियां रहती है, साथ ही यह उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं और अपना आशीर्वाद भी देते हैं।

आज हम आपको गणेश जी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताएंगे जिनका वर्णन हमारे पुराणों में किया गया है।

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पुत्र प्राप्ति के लिए माँ पार्वती ने किया था व्रत

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि देवी पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए पुण्यक नाम का एक व्रत किया था जिसके फलस्वरूप उन्हें गणेश जी पुत्र के रूप में मिले थे। शिवपुराण के अनुसार माता पार्वती को श्री गणेश की उत्पत्ति करने का सुझाव उनकी दो सखियों जया और विजया से मिला था। उन्होंने माता से कहा था कि वह ऐसी रचना करें जो सिर्फ माता पार्वती की ही आज्ञा का पालन करे क्योंकि नंदी और सभी गण सिर्फ महादेव की आज्ञा मानते हैं। तब देवी पार्वती ने श्री गणेश की रचना अपने शरीर के मैल से की थी।

कहते हैं गणेश जी के शरीर का रंग लाल और हरा है। लाल इनकी शक्ति का प्रतीक है और हरा इनकी समृद्धि को दर्शाता है।

शनि देव के कारण कट गया श्री गणेश का सिर

माना जाता है कि गणेश जी के जन्म के बाद सभी देवी देवताओं ने उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया था। उन्हीं में से एक शनि देव भी थे। जब शनि देव गणेश जी को आशीर्वाद दे रहे थे तो वे उन्हें न देख कर नीचे की ओर देख रहे थे। माता पार्वती को यह सब अजीब लगा। तब उन्होंने शनि देव से इसका कारण पूछा इस पर उन्होंने बताया कि अगर वे सीधे गणेश जी को देखेंगे तो उन्हें हानि पहुँच सकती है। लेकिन पार्वती जी के कहने पर शनिदेव ने गणेश जी की ओर देख कर उन्हें आशीर्वाद दे दिया जिसके थोड़ी देर बाद ही शिव जी ने गणेश जा का सिर काट दिया था।

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सूर्यदेव के पिता ने दिया था शिव जी को श्राप

एक कथा के अनुसार एक बार शिव जी किसी बात पर सूर्य देव से नाराज़ हो गए थे। क्रोधवश उन्होंने अपना त्रिशूल सूर्यदेव पर चला दिया तब सूर्यदेव के पिता कश्यप ने महादेव को श्राप दिया था कि जिस प्रकार उनके प्रहार से सूर्यदेव आहत हुए हैं, ठीक उसी प्रकार शिव जी के पुत्र का भी मस्तक कट जाएगा। बाद में शिव जी ने अनजाने में ही सही अपने पुत्र गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया था जिसके पश्चात माता पार्वती के क्रोध की ज्वाला को शांत करने के लिए विष्णु जी ने पुष्पभद्रा नदी के तट पर हथिनी के साथ सो रहे एक गजबालक का सिर काटकर गणेश जी को लगा दिया जिससे वह पुनः जीवित हो उठे।

जब स्वयं शिव जी ने की पुत्र गणेश की पूजा

शिव पुराण के अनुसार जब शिव जी त्रिपुर का नाश करने जा रहे थे तब आकाशवाणी हुई थी कि युद्ध में जाने से पहले उन्हें श्री गणेश की पूजा करनी होगी तभी उन्हें सफलता मिलेगी। तब महादेव ने भद्रकाली के साथ मिलकर गणेश जी की पूजा की थी। उनके आशीर्वाद से भोलेनाथ ने तीनों पुरों का वध किया और विजय प्राप्त की थी।

श्री गणेश ने लिखी थी महाभारत

माना जाता है विद्या और लेखनी के अधिपति माने जाने वाले श्री गणेश ने हिंदू ग्रंथ महाभारत स्वयं लिखी थी। कहा जाता है कि वेदव्यास बोलते गए और श्री गणेश लिखते गए। किन्तु लिखने से पहले गणेश जी ने यह शर्त रखी थी कि वेदव्यास उन्हें महाभारत निर्बाध सुनाएंगे अगर एक क्षण के लिए भी वह कथावाचन में विश्राम लेंगे तो गजानन लिखना छोड़ देंगे। वहीं दूसरी ओर वेदव्यास ने भी उनसे वचन लिया था कि बिना समझे वह कुछ भी नहीं लिखेंगे, एक एक पंक्ति का मर्म उन्हें समझना होगा। गणेश जी ने फ़ौरन उनकी बात मान ली और उन्होंने महाभारत लिख डाली।

English summary

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Lord Ganesha is the son of Lord Shiva and Goddess Parvati. Well, we all know this. Here is a list of other interesting facts about Lord Ganesha. Take a reading.
Story first published: Friday, May 11, 2018, 12:38 [IST]
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