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Jaya Ekadashi 2022: फरवरी की इस तारीख को है जया एकादशी, जरूर करें इस आरती का पाठ
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाता है। साल में आने वाली सभी एकादशी तिथियां भगवान विष्णु को समर्पित बताई गयी है। इस दिन श्रीहरि की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रहे कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जाने-अनजाने में किये पापों के लिए भगवान विष्णु से माफ़ी मांगी जाती है। जानते हैं साल 2022 में जया एकादशी किस तिथि को पड़ रही है और साथ ही जानें भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विशेष आरती।
जया एकादशी 2022 की तिथि एवं पूजा मुहूर्त
एकादशी तिथि का आरंभ: 11 फरवरी, शुक्रवार को दोपहर 01:52 मिनट से
एकादशी तिथि का समापन: 12 फरवरी, शनिवार को सायं 04:27 मिनट पर
उदयातिथि 12 फरवरी को होने की वजह से जया एकादशी का व्रत 12 फरवरी को रखा जायेगा।
जया एकादशी शुभ मुहूर्त आरंभ: 12 फरवरी, शनिवार, दोपहर 12:13 मिनट से
जया एकादशी शुभ मुहूर्त समाप्त: 12 फरवरी, शनिवार, दोपहर 12: 58 मिनट तक।
जया एकादशी व्रत पारण समय: 13 फरवरी, रविवार को प्रात: 07: 01 मिनट से प्रातः 09:15 मिनट के बीच
जया एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। भगवान विष्णु को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए सच्चे मन से उनकी पूजा की जाती है। इस व्रत में जो जातक रात्रि जागरण करता है उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है। इस दिन साधक भगवान श्रीहरि को उनकी प्रिय चीजें अर्पित करते हैं और उनका आशीर्वाद पाने के लिए एकादशी आरती का पाठ करते हैं।
जरूर पढ़ें एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।