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साल के सबसे शुभ दिनों में से एक है कार्तिक पूर्णिमा, स्नान-दान का विशेष महत्व
कार्तिक माह में होने वाली पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा या त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहते हैं। यूं तो साल की सभी पूर्णिमा तिथि की अपनी विशेष महत्ता है लेकिन हिंदू परम्परा में कार्तिक पूर्णिमा को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा का शुभोत्सव दरअसल पांच दिनों का पर्व है जो प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होता है और कार्तिक पूर्णिमा के साथ खत्म। जानते हैं इस साल कार्तिक पूर्णिमा किस दिन पड़ रही है और इस तिथि का क्या महत्ता है, साथ ही जानते हैं पूजा विधि।
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि एवं मुहूर्त
इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा का शुभ पर्व 19 नवंबर, शुक्रवार के दिन मनाया जायेगा। इसका शुभ मुहूर्त 18 नवंबर की रात 11:55 बजे से शुरू होकर 19 नवंबर के दोपहर 2:25 बजे तक रहने वाला है।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवन शिव ने मत्स्य अवतार लिया था। उन्होंने इस दिन त्रिपुरासुर का विनाश किया था इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह दिन देवी देवताओं को प्रसन्न करने का ख़ास दिन होता है इसलिए इस दिन गंगा में डुबकी लगाना और दान देना विशेष महत्व रखता है। धर्मानुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पूरे वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है इसलिए इस दिन धार्मिक अनुष्ठान या समारोह किये जाते है। साथ ही इस शुभ दिन पर सत्यनारायण की पूजा कराना विशेष महत्व रखता है।
कार्तिक पूर्णिमा की पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना चाहिए। यदि गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर में ही थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। भगवान् शिव, विष्णु एवं लक्ष्मीनारायण की विशेष पूजा और आरती करें। साथ ही उनका मनपसंद भोग लगाएं। मान्यता है कि इस दिन ही मां तुलसी का पृथ्वी पर आगमन हुआ था इसलिए भगवन विष्णु को तुलसी अर्पित करना शुभ माना जाता है। शिवलिंग पर कच्चा दूध और गंगाजल में शहद मिलाकर चढ़ाएं। साथ ही पूजा कक्ष, तुलसी, मुख्य द्वार और जल में दिये जलाएं। इस दिन दान अवश्य करें। अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों की सहायता करें व भोजन कराएं।