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हनुमान नहीं, माता पार्वती के कारण हुआ था लंका दहन

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लंका दहन के पीछे असली वजह थी मां पार्वती | Boldsky

पवित्र हिंदू ग्रंथ रामायण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि बजरंबली के उत्पात से परेशान होकर रावण ने उनकी पूँछ में आग लगाने का आदेश दे दिया था जिसके पश्चात भगवान ने अपनी पूँछ से पूरी लंका को जलाकर राख कर दिया था। किंतु इस घटना से केवल हनुमान जी और रावण ही नहीं बल्कि देवी पार्वती और भोलेनाथ भी जुड़े हुए हैं।

आइए जानते हैं कैसे।

mata parvati

विश्वकर्मा जी ने स्वयं किया था सोने के महल का निर्माण

हम सब के मन में अपने खुद के घर की इच्छा होती है और ऐसी ही लालसा माता पार्वती के अंदर भी थी। वे बार बार भोलेनाथ से एक भवन के लिए कहती थीं। एक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती की बहन देवी लक्ष्मी और उनके पति विष्णु जी कैलाश पधारे किंतु वहां ठंड इतनी थी जिसे लक्ष्मी जी सहन नहीं कर पा रही थीं। उन्होंने अपनी बहन से कहा कि वे किस प्रकार इस पर्वत पर अपना जीवन व्यतीत कर रही है। यह सुनकर पार्वती जी को बहुत दुःख पहुंचा। थोड़ी देर बाद लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को वापस घर चलने को कहा और जाते जाते उन्होंने पार्वती जी और भोलेनाथ को उनके घर आने का न्योता दिया।

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कुछ समय के पश्चात पार्वती जी और भोलेनाथ लक्ष्मी जी और विष्णु जी से मिलने गए। वहां उनका वैभव देखकर देवी पार्वती दंग रह गयी और मन ही मन अपने लिए भी ऐसे ही जीवन की कामना करने लगीं।

वापस लौटने के बाद से देवी पार्वती बहुत उदास रहने लगी। तब भोलेनाथ ने उनसे इसका कारण पूछा इस पर उन्होंने शिव जी को अपने मन की बात बतायी किन्तु भगवान तो अंतर्यामी थे उन्हें इस बात का पता पहले से ही था कि पार्वती जी के जीवन में भवन का सुख नहीं है। महादेव के लाख समझाने पर भी जब वे नहीं मानीं तो उन्होंने भगवान विश्वकर्मा को आदेश दिया की वह फ़ौरन ही एक महल का निर्माण करें।

महादेव की आज्ञा का पालन करते हुए विश्वकर्मा जी ने एक सोने का महल तैयार किया। कहते हैं वह उस समय का सबसे भव्य महल था।

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महादेव ने कर दिया था अपना महल दान

सोने का महल पाकर पार्वती जी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने समस्त देवी देवताओं के साथ ऋषि मुनियों को भी अपने महल में आमंत्रित किया। भोलेनाथ और माता पार्वती ने ऋषि मुनियों को दान भी किया। उन्ही में से एक ऋषि विश्रवा ने महादेव से दान में उनका महल मांग लिया। भोलेनाथ उसे निराश नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने फ़ौरन हाँ कर दी और अपना सोने का महल उसे दान कर दिया ।

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जब माता पार्वती ने दिया ऋषि विश्रवा को श्राप

माता पार्वती का सबसे बड़ा सपना पल में ही टूट गया। यह सब देख उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने उस ऋषि को श्राप दे दिया कि एक दिन यह सोने का महल जलकर राख हो जाएगा।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण पुलस्त्य मुनि का पौत्र था अर्थात् उनके पुत्र विश्रवा का पुत्र था।

बाद में रावण ने सोने का वह महल अपने भाई कुबेर से छीन लिया था जो आगे चलकर हनुमान की पूँछ के माधयम से राख़ में तब्दील हो गया था।

English summary

Know The Link Between Mata Parvati And Lanka Dahan

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Story first published: Monday, April 16, 2018, 12:50 [IST]
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