Just In
- 27 min ago आम पन्ना से 10 गुना ज्यादा ठंडक देता है इमली का अमलाना, लू से बचने का है देसी फार्मूला
- 2 hrs ago रूबीना दिलैक ने शेयर किया स्तनपान से जुड़ा दर्दनाक एक्सपीरियंस, नई मांए ने करें ये गलती
- 2 hrs ago Gajalakshmi Yog April 2024: 12 वर्षों के बाद मेष राशि में बनेगा गजलक्ष्मी राजयोग, इन 3 राशियों पर बरसेगा पैसा
- 3 hrs ago Formal Blouse Design: IAS Interview में जमाना है इम्प्रेशन, तो कैंडिडेट पहने ऐसे सोबर ब्लाउज
Don't Miss
- Technology अब चीन में नहीं चलेंगे Whatsapp और Threads, Apple को मिला ऐप्स हटाने का आदेश
- Finance Employee Count: देश की टॉप IT कंपनियों में कम हो गए 63,759 कर्मचारी, जानें किस कंपनी में कितने लोग हुए कम
- News Gorakhpur News: DDU University प्राणि विज्ञान विभाग की प्रायोगिक परीक्षाओं का ये है शेड्यूल, देखें डिटेल
- Movies दुकानों की साफ-सफाई करती थी ये लड़की, शाहरुख खान की बनी एक्ट्रेस तो खुली किस्मत, आज है करोड़ों की मालकिन...
- Travel 6 हिल स्टेशन जहां सीधे फ्लाईट से पहुंच सकते हैं, नहीं नापनी पड़ती घुमावदार पहाड़ी सड़कें
- Automobiles 3 करोड़ की कार में वोट डालने पहुंचे साउथ सिनेमा के दिग्गज स्टार Dhanush, फैंस ने किया स्वागत
- Education ग्राफिक डिजाइन कोर्स
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
कर लें भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन और पाएं भोलेनाथ का आशीर्वाद
भगवान शिव की भक्ति का महीना शुरू हो गया है। इस महीने में भोलेनाथ की पूजा और उपासना करने का विशेष महत्व है। श्रावण माह में शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ पहुंचती है। सावन के महीने में किसी भी शिवालय अथवा शिव मंदिर में शिवजी का जल अभिषेक करना शुभ माना जाता है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं और लोगों की आस्था है कि कोई भी शिव भक्त सावन के महीने में 12 ज्योतिर्लिंग में से कहीं भी जलाभिषेक करता है तो उसके जन्म जन्म के कष्ट दूर हो जाते हैं तथा उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन माह के शुभारंभ के साथ ही जानते हैं सभी 12 ज्योतिर्लिंगों और उनकी महिमा के बारे में।
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के काठियावाड़ इलाके में स्थित है। यह भारत ही नहीं बल्कि इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा को श्राप दिया था और तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर कठोर तप करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और श्राप से मुक्ति पाई थी। यह मंदिर विदेशी आक्रमणों के कारण 17 बार नष्ट हो चुका है और हर बार इसे तैयार किया गया।
Most Read:समुद्र मंथन से जुड़ी है कांवड़ यात्रा की शुरुआत, जानें यात्रा की अहम तारीखें
2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। यहां भगवान शिव श्रीमल्लिकार्जुन के रूप में विराजमान हैं। इस स्थान को दक्षिण भारत का कैलाश माना जाता है। मान्यता है कि इस स्थान पर आकर शिव पूजन करने से अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल हासिल होता है।
3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
उज्जैन शहर को मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहा जाता है और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग इसी शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग की खासियत है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन की जाने वाली भस्म आरती विश्व विख्यात है। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि यहां भोलेनाथ के दर्शन करने से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। उज्जैन के निवासी महाकालेश्वर को ही अपना राजा मानते हैं और उनका विश्वास है कि वो ही उनकी रक्षा करेंगे।
4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
मध्य प्रदेश राज्य में उज्जैन से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर एक और प्रमुख ज्योतिर्लिंग मौजूद है जो दुनियाभर में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से विख्यात है। जिस स्थान पर ये ज्योतिर्लिंग मौजूद है उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और चारों तरफ पहाड़ी है। नदी और पहाड़ की मौजूदगी से यहां प्रतीत होता है कि प्रकृति ने स्वयं ही ॐ शब्द लिख दिया हो। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, यही वजह है कि इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
Most Read:शुक्रनीतिः जीवनसाथी और इन 2 चीजों को कभी ना छोड़े दूसरों के भरोसे, श्रीराम भी थे पछताए
5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में हिमालय की चोटी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि ये तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इस स्थान का महत्व कैलाश के समान है। केदारनाथ के नजदीक ही बद्रीनाथ मंदिर है। इन दोनों धामों के एक साथ दर्शन से भक्त कई परेशानियों से मुक्त हो जाता है।
6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह शिवलिंग काफी मोटा है इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।
7. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
यह शिवलिंग उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर वाराणसी (काशी) में स्थित है। इस धाम से जुड़ी मान्यता है कि प्रलय आने के बाद भी यह स्थान ऐसे ही रहेगा क्योंकि भगवान शिव स्वयं त्रिशूल लेकर इसकी रक्षा करते हैं इसलिए इस जगह की विशेष महत्ता है। इस ज्योतिर्लिंग में बाबा भोलेनाथ विश्वनाथ रूप में हैं।
Most Read:चाणक्य नीति: मर्द अपनी इन चार बातों को राज ही रखें, ना करें किसी से भी साझा
8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोदावरी नदी के नजदीक स्थित है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। ऐसा कहा जाता है कि गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह के बाद भगवान शिव को यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में रहना पड़ा।
9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में नौंवा स्थान वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का है। झारखंड के देवघर में भगवान शिव बाबा वैद्यनाथ के रूप में मौजूद हैं। ऐसा माना जाता है कि रावण के हाथों इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।
Most Read:शिवलिंग पर चढ़ा प्रसाद ग्रहण करना चाहिए या नहीं, जानें सच
10. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के बड़ौदा में स्थित है। यह द्वारिका पुरी से 17 मील दूर है। नीलकंठ को नागों का देवता भी कहा जाता है और नागेश्वर का पूरा अर्थ है नागों का ईश्वर।
11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंगों की सूची में 11वां स्थान रामेश्वरम का है जो तमिलनाडु के रामनाथम जनपद में स्थित है। यह स्थान हिंदुओं के चारों धामों में से एक है। समुद्र के किनारे भगवान रामेश्वरम का विशाल मंदिर है। माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वयं प्रभु श्रीराम ने की थी और इस वजह से इस स्थान को रामेश्वरम पुकारा जाता है।
12. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नजदीक दौलताबाद से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान को लोग घुश्मेश्वर और घृष्णेश्वर भी कहते हैं। इस स्थान पर लोग मंदिर के दर्शन करने और साथ ही आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए आते हैं।